अम्फान तूफान के बाद सुंदरबन वाली गलती ना दोहराए सरकार

2009 में आए तूफान ऐला के बाद टूटे तटबंधों की मरम्मत करते गांव वाले. पार्थ सान्याल/ रॉयटर्स
01 June, 2020

मैं नवंबर 1988 में गोसाबा द्वीप में बहने वाली बिद्या नदी में एक नाव पर था जिसमें सुंदरवन नेशनल पार्क में बाघों की गणना करने के लिए जा रहे वन अधिकारी थे. गोसाबा द्वीप सुंदरवन के डेल्टा मैंग्रोव वन क्षेत्र के मुख्य द्वीपों में से एक है. तभी वहां 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार का चक्रवात आया और लगभग छह घंटे तक ऊंची लहरें तटों से जोर-जोर से टकराती रहीं. चमात्कार ही कह लीजिए कि हमारी नाव डूबने से बच गई और हमने एक संकरी खाड़ी में शरण ली. लेकिन उसी मार्ग पर मौजूद वन विभाग की एक अन्य नाव हम जितनी भाग्यशाली नहीं थी और बिद्या नदी में बह गई. 

पूरी रात तूफान से लड़ने के बाद अगली सुबह हमने जंगलों में अपना रास्ता बनाया. चक्रवात ने जो तबाही मचाई थी उसके निशान पूरे मैंग्रोव वन में दिखाई दे रहे थे. दो दिन बाद कोलकाता लौटते समय, मुझे चक्रवात द्वारा मचाई तबाही का मनुष्य पर असर देखने को मिला. मैंने जिन द्वीपों की यात्रा की वहां लगभग सभी घर जमीन में धंसे हुए थे या उनकी छतें उड़ गई थीं. मैंने पेड़ों के ऊपर मृत मवेशियों और नदी किनारे बिखरे-कुचले नावों के अवशेष देखे.

सुंदरवन में हुई इस तबाही के बावजूद, अगले तीन दिनों तक चक्रवात की शायद ही कोई मीडिया रिपोर्ट में आई. तीन दशक बाद जब 20 मई की शाम को उसी क्षेत्र में अम्फान तूफान आया, तो इस क्षेत्र से आने वाले समाचार पहले की तरह ही सरक-सरक कर बाहर आए. सोशल मीडिया कोलकाता और उसके आस-पास के शहरी इलाकों की तस्वीरों से ही भरा हुआ था लेकिन सुंदरबन, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उस दिन एक संवाददाता सम्मेलन में "सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र" कहा था, मीडिया कवरेज से पूरी तरह से गायब था. मोबाइल क्रांति के बावजूद, पहले पांच दिनों तक मुझे उस द्वीप की बहुत अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हुई जहां मैंने 1988 में तबाही देखी थी.

प्राप्त समाचारों से पता चलता है कि वहां तूफान ने भीषण तबाही मचाई है. चक्रवात ने ना केवल मिट्टी और ईंटों के घर गिराए बल्कि असंख्य पेड़ों को भी उखाड़ दिया है. कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र पिंटू दास, जो जी-प्लॉट द्वीप से आते हैं, मुझे बताया कि खेतों में सब्जी की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं. उन्होंने कहा कि खारे ज्वार के उभार की वजह से तालाब अनुपयोगी हो गए थे. इस कारण तालाब दूषित हो गए और उसके अंदर मछलियां मर रही हैं. मवेशियों और मुर्गों का भी बहुत नुकसान हुआ है. जी-प्लॉट द्वीप बंगाल की खाड़ी के सामने वाले डेल्टा के सबसे दक्षिणी छोर पर है.

कई द्वीपों में नदियों द्वारा तटबंधों को तोड़ने की रिपोर्टें भी आई हैं. बांध में इतनी चौड़ी दरार बताई गई कि ज्वार के कारण पानी गांवों और खेतों में भर गया और कम होता गया. कोलकाता स्थित राहत कार्य करने वाले समूहों के अनुसार चक्रवात ने गोसाबा द्वीप पर रंगाबेलिया ब्लॉक में तटबंधों को तोड़ दिया, जिससे मुख्य सड़क पर पानी भर गया है और द्वीप पर पहुंचना मुश्किल हो गया है. दास ने मुझे फोन पर बताया कि चक्रवात के चलते उनके गांव कृष्णदासपुर में 80 प्रतिशत घर ढह गए हैं या उनकी छतें उड़ गई हैं.

तूफान के कारण पूरे क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क और बिजली की आपूर्ति रुक गई है. दास ने कहा, "नहीं लगता कि महीनों तक बिजली आ पाएगी." जिस तरह से पश्चिम बंगाल की सरकार ने कोलकाता और उसके उपनगरों में बुनियादी ढांचे की बहाली को प्राथमिकता दी है, संभवत: हमें सुंदरबन में हुए नुकसान का पूरा पता लगाने में कई दिन लगेंगे. लेकिन शुरुआती रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने वाले, कृषि पर निर्भर और मछली पकड़ने वाले करोड़ों लोगों की आजीविका पूरी तरह से तबाह हो गई है.

मई 2009 में यही क्षेत्र चक्रवात ऐला की चपेट में आया था. जिससे खेतों में पानी भर गया था और आजीविका के अन्य साधन नष्ट हो गए थे. खारे-पानी के बढ़ने से अधिकतर कृषि योग्य क्षेत्र वर्षों के लिए बंजर हो गए. रिपोर्टर के रूप में मैंने पिछले कुछ वर्षों में चार बार सुंदरवन का दौरा किया. स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि किस तरह चक्रवात ऐला के बाद आजीविका के व्यापक नुकसान के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पलायन हुआ. मैंने बिजली के खंभे और पेड़ की टहनियों पर छोटे-छोटे पोस्टर देखे जो केरल, बेंगलुरु और दिल्ली के निर्माण क्षेत्रों में नौकरी का प्रस्ताव दे रहे हैं. जिन परिवारों से मैंने बात की उसमें से लगभग हर परिवार के एक या एक से अधिक सदस्य काम की तलाश में पलायन कर चुके थे. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा किए गए एक अध्ययन, "डेल्टास, वल्नरेबिलिटी एंड क्लाइमेट चेंज : माइग्रेशन एंड अडेप्टेशन" में बताया गया है कि ऐला के कारण कृषि आधारित आजीविका में नुकसान के चलते द्वीपों से पलायन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

आजीविका के नुकसान को सरकार तुरंत कदम उठा कर कम सकती थी. चक्रवात के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सरकार ने सुंदरवन में राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में बहुत सुस्ती दिखाई. सरकार ने टूटे हुए तटबंधों के पुनर्निर्माण में तेजी से काम नहीं किया और चक्रवात से प्रभावित लोगों की मदद करने में विफल रही. इसने सुंदरवन के गांवों में बाढ़ आ गई और वे मुख्य भूमि से अलग हो गए. ऊंची लहरों से जन्मी दीर्घकालिक बाढ़ इस क्षेत्र में खारे और बंजरपन का कारण है.

2009 के चक्रवात के बाद स्थानीय लोगों ने महीनों टेंटों में बिताए. कई लोग सरकार द्वारा बांटे जाने वाले साप्ताहिक रियायती राशन पर जीवित रहे. जिसे चक्रवात के बाद स्थानीय भाषा में ऐला चावल कहा जाता है. जिसे सरकार आज तक लोगों के बीच वितरित करती है. वैश्विक कोरोनावायरस के प्रसार को धीमा करने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद बिना स्थिर आय वाले लोगों की सुंदरवन में वापसी हुई है.

इन प्रवासियों की वापसी का मुख्य कारण यह था कि वे आय के अभाव में भी कम से कम अपने गांवों में मछलियों और सब्जियों पर जीवित रह सकते थे. ये भी अब चक्रवात की भेंट चढ़ गए हैं.

एक साल पहले सुंदरवन के उत्तरी इलाके में सतजेलिया द्वीप के स्थानीय लोगों ने मुझे बताया था कि आमतौर पर चक्रवात ऐला से तबाह हुए गांवों में हालात सामान्य हो रहे हैं. मिट्टी की लवणता में गिरावट आने से कृषिकार्य को फिर से शुरू करने की संभावना लग रही थी. इस महीने आए ज्वार-भाटा और बांध के टूटने से अधिकांश कृषि क्षेत्र आधे दशक तक खेती के काबिल नहीं रह जाएंगे. महामारी के कारण चहलकदमी पर सख्त प्रतिबंधों के साथ-साथ वर्तमान आर्थिक मंदी के कारण यहां से पलायन करना सुंदरवन के लोगों के लिए अब उतना आसान नहीं होगा जितना अतीत में था.

जब तक सरकार बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण के प्रयास तुरंत शुरू नहीं करती और वैकल्पिक आजीविका का बंदोबस्त नहीं करती तब तक सुंदरवन के दूर-दराज के द्वीपों में रहने वाले लोग गरीबी और भोजन की कमी का सामना करते रहेंगे.

अनुवाद : अंकिता


Nazes Afroz is former executive editor for BBC World Service, South and Central Asia. He has been visiting Afghanistan regularly since 2002 and has co-authored a cultural guidebook on Afghanistan.