मैं नवंबर 1988 में गोसाबा द्वीप में बहने वाली बिद्या नदी में एक नाव पर था जिसमें सुंदरवन नेशनल पार्क में बाघों की गणना करने के लिए जा रहे वन अधिकारी थे. गोसाबा द्वीप सुंदरवन के डेल्टा मैंग्रोव वन क्षेत्र के मुख्य द्वीपों में से एक है. तभी वहां 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार का चक्रवात आया और लगभग छह घंटे तक ऊंची लहरें तटों से जोर-जोर से टकराती रहीं. चमात्कार ही कह लीजिए कि हमारी नाव डूबने से बच गई और हमने एक संकरी खाड़ी में शरण ली. लेकिन उसी मार्ग पर मौजूद वन विभाग की एक अन्य नाव हम जितनी भाग्यशाली नहीं थी और बिद्या नदी में बह गई.
पूरी रात तूफान से लड़ने के बाद अगली सुबह हमने जंगलों में अपना रास्ता बनाया. चक्रवात ने जो तबाही मचाई थी उसके निशान पूरे मैंग्रोव वन में दिखाई दे रहे थे. दो दिन बाद कोलकाता लौटते समय, मुझे चक्रवात द्वारा मचाई तबाही का मनुष्य पर असर देखने को मिला. मैंने जिन द्वीपों की यात्रा की वहां लगभग सभी घर जमीन में धंसे हुए थे या उनकी छतें उड़ गई थीं. मैंने पेड़ों के ऊपर मृत मवेशियों और नदी किनारे बिखरे-कुचले नावों के अवशेष देखे.
सुंदरवन में हुई इस तबाही के बावजूद, अगले तीन दिनों तक चक्रवात की शायद ही कोई मीडिया रिपोर्ट में आई. तीन दशक बाद जब 20 मई की शाम को उसी क्षेत्र में अम्फान तूफान आया, तो इस क्षेत्र से आने वाले समाचार पहले की तरह ही सरक-सरक कर बाहर आए. सोशल मीडिया कोलकाता और उसके आस-पास के शहरी इलाकों की तस्वीरों से ही भरा हुआ था लेकिन सुंदरबन, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उस दिन एक संवाददाता सम्मेलन में "सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र" कहा था, मीडिया कवरेज से पूरी तरह से गायब था. मोबाइल क्रांति के बावजूद, पहले पांच दिनों तक मुझे उस द्वीप की बहुत अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हुई जहां मैंने 1988 में तबाही देखी थी.
प्राप्त समाचारों से पता चलता है कि वहां तूफान ने भीषण तबाही मचाई है. चक्रवात ने ना केवल मिट्टी और ईंटों के घर गिराए बल्कि असंख्य पेड़ों को भी उखाड़ दिया है. कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र पिंटू दास, जो जी-प्लॉट द्वीप से आते हैं, मुझे बताया कि खेतों में सब्जी की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं. उन्होंने कहा कि खारे ज्वार के उभार की वजह से तालाब अनुपयोगी हो गए थे. इस कारण तालाब दूषित हो गए और उसके अंदर मछलियां मर रही हैं. मवेशियों और मुर्गों का भी बहुत नुकसान हुआ है. जी-प्लॉट द्वीप बंगाल की खाड़ी के सामने वाले डेल्टा के सबसे दक्षिणी छोर पर है.
कई द्वीपों में नदियों द्वारा तटबंधों को तोड़ने की रिपोर्टें भी आई हैं. बांध में इतनी चौड़ी दरार बताई गई कि ज्वार के कारण पानी गांवों और खेतों में भर गया और कम होता गया. कोलकाता स्थित राहत कार्य करने वाले समूहों के अनुसार चक्रवात ने गोसाबा द्वीप पर रंगाबेलिया ब्लॉक में तटबंधों को तोड़ दिया, जिससे मुख्य सड़क पर पानी भर गया है और द्वीप पर पहुंचना मुश्किल हो गया है. दास ने मुझे फोन पर बताया कि चक्रवात के चलते उनके गांव कृष्णदासपुर में 80 प्रतिशत घर ढह गए हैं या उनकी छतें उड़ गई हैं.
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