भारत में कोयला आधारित आर्थिक विकास से निकलते विनाशकारी नतीजे

07 अगस्त 2021
झारखंड में महागामा के पास एक खुली कोयला खदान में ट्रक पर मिट्टी लोड करते हुए.
जेवियर गैलियाना / एएफपी / गैटी इमेजिस
झारखंड में महागामा के पास एक खुली कोयला खदान में ट्रक पर मिट्टी लोड करते हुए.
जेवियर गैलियाना / एएफपी / गैटी इमेजिस

हाल ही में हुई कोयला ब्लॉक की नीलामी के बारे में बात करते हुए प्रभु दयाल उरांव ने फरवरी में मुझे बताया कि “हमें इसके बारे में गूगल से पता चला- इन दिनों आप गूगल पर सब कुछ ढूंढ सकते हो.” प्रभु दयाल झारखंड के लातेहार जिले के बसिया गांव के रहने वाले हैं. उनकी उम्र 54 साल है. उन्होंने कहा कि “अगर हम बैठकर फैसला कर लें तो हमारे गांवों में कोई कुछ नहीं कर सकता. परहा राजा के शासन को राज्य भी मान्यता देता है. कोई बड़ा बाबू कुछ नहीं कर सकता. अनुच्छेद 244 हमें अपने जंगलों के प्रबंधन का अधिकार देता है.”

उरांव परहा राजा हैं. परहा एक स्थानीय राजनीतिक-पवित्र संस्था है जिसमें दो दर्जन गांव शामिल होते हैं. प्रत्येक परहा की अध्यक्षता एक प्रमुख द्वारा की जाती है, जिसकी जिम्मेदारी अपने लोगों की रक्षा करना और भूमि संघर्षों को हल करना है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 में कहा गया है कि पांचवीं अनुसूची के प्रावधान उन अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए लागू होते हैं, जिनकी पहचान सरकार ने अच्छी खासी आदिवासी आबादी वाले और सापेक्षिक रूप से अभाव का सामना करने वाले क्षेत्र बतौर की है. इन प्रावधानों में पराह जैसी जनजाति सलाहकार परिषदों की स्थापना भी शामिल है जिनसे अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित कोई भी नियम बनाने से पहले परामर्श किया जाना जरूरी है. ऐसी परिषदों को अनुसूचित क्षेत्रों में जमीन की खरीद-फरोख्त या हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है.

बसिया चाकला कोयला ब्लॉक से सटा हुआ है. नवंबर 2020 में शुरू हुई वाणिज्यिक कोयला-ब्लॉक नीलामी में चाकला ब्लॉक की नीलामी एल्यूमीनियम निर्माता हिंडाल्को को मिली थी. अब 800 हेक्टेयर से अधिक भूमि को खनन के लिए दे दिया जाएगा. इससे चाकला, हरियाटोली, नवाटोली और अंबुआतनर गांवों के निवासियों के विस्थापित होने का खतरा है.

इस साल जनवरी और फरवरी में मैंने झारखंड में चाकला, गोंडुलपारा और उर्मा पहाड़िटोला कोयला ब्लॉकों का दौरा किया. नीलामी में चाकला ब्लॉक हिंडाल्को को मिला तो गोंडुलपारा अडानी एंटरप्राइजेज को और उर्मा पहाड़िटोला को अरबिंदो रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को नीलाम किया गया है. इन क्षेत्रों में मिले अधिकांश लोगों ने मुझे बताया कि वे नीलामी के बारे में नहीं जानते. कोयला ब्लॉकों को वाणिज्यिक नीलामी के लिए सूचीबद्ध किए जाने के लगभग एक साल बाद और बोली लगने के तीन महीने बाद भी उन्हें सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है.

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सुष्मिता एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं और वर्तमान में आईआईएसटी, इरास्मस विश्वविद्यालय के साथ काम कर रही हैं. वह वन अधिकारों, कृषि अधिकारों और लैंगिक न्याय के मुद्दों पर काम करती हैं. उनसे @sushmitav1 पर संपर्क किया जा सकता है.

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