कोयले की कालिख

जर्मनी में भूरा कोयला खनन के खिलाफ लोगों का संघर्ष

फोटोग्राफ और आलेख रोक्को रोरांडेली
13 May, 2022

2021 की नवंबर के एक बरसते दिन मैं हेल्मुट केहरमन के साथ उनके पारिवारिक घर, जर्मनी के खनन केंद्र रुहर घाटी में ऑल्ट-कीनबर्ग गांव में बैठा था. एक कुर्सी और एक कोने में पड़े कुछ बक्सों को छोड़कर कमरा खाली था. धूल भरे लकड़ी के फर्श पर फर्नीचर और पुरानी चीजों के निशान अभी भी दिखाई दे रहे थे. यह आखिरी बार था जब हेल्मुट अपने घर आए थे.

कीनबर्ग के निवासियों को बेदखली का हुक्म मिला है. भूरे कोयले या लिग्नाइट का खनन करने वाली पास की गारजवीलर ओपन-पिट खदान का विस्तार हो रहा है. खदान के मालिक जर्मनी की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी आरडब्ल्यूई एजी ने ज्यादातर गांव खरीद लिए हैं. अधिग्रहण पूरा होते ही विध्वंस शुरू हो जाएगा, लिग्नाइट खदान के लिए जगह बनाने के लिए 2024 तक गांवों को नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा.

नॉर्बर्ट विनजेनिस ऑल्ट-कीनबर्ग गांव के बचे हुए कुछेक निवासियों में से एक है. 2024 तक इस गांव को पूरी तरह ध्सस्त किया जाना है. वह अपने परिवार के साथ 1863 के बने एक फार्म में रहते हैं. वह निवासियों के उस समूह का हिस्सा हैं जो बेदखली का विरोध कर रहा है.
लिग्नाइट का एक टुकड़ा. 2013 में 183 मिलियन टन खनन के साथ जर्मनी भूरे कोयले या लिग्नाइट के उत्पादन में दुनिया में पहले नंबर पर था. यह कोयला देश में बिजली उत्पादन का 25 प्रतिशत पूरा करता है. सभी तरह के कोयले में लिग्नाइट सबसे ज्यादा प्रदूषणकारी है. घरेलू लिग्नाइट की लागत इतनी कम है कि 40 यूरो प्रति टन यानी लगभग 3210 रुपए प्रति टन का कार्बन डाईआक्साइड-उत्सर्जन जुर्माना भी लिग्नाइट बिजली संयंत्रों से होने वाले लाभ से बहुत कम है.

"अपने घर को छोड़ जाना मुश्किल है," खाली दीवारों को गुमसुम सा देखते हुए केहरमन फुसफुसाए. ऑल्ट- कीनबर्ग उन छह गांवों में से एक है जो गारजवीलर ओपन-पिट खदान के विस्तार से खतरे में हैं. गांव में लगभग एक हजार निवासी हुआ करते थे लेकिन अब 250 से भी कम रह गए हैं. पुनर्वास 2016 में शुरू हुआ और अधिकांश निवासी कुछ किलोमीटर दूर नए गांव न्यूस कीनबर्ग में चले गए. पिछले सत्तर सालों में लिग्नाइट खनन ने इस क्षेत्र के लगभग पचास गांवों को चपेट में लिया है जिसमें 40000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. देश भर में आंकड़े और भी गंभीर हैं- लगभग 120000 लोगों को स्थानांतरित किया गया और 370 गांवों को ध्वस्त कर दिया गया.

जर्मनी के नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया क्षेत्र में मैनहेम में एक सुनसान सड़क. यह गांव कभी लगभग 1700 लोगों का घर था लेकिन धीरे-धीरे आरडब्ल्यूई एजी द्वारा हंबाच लिग्नाइट खदान के विस्तार हेतु जगह बनाने के लिए इसे खरीदा और मंजूरी दे दी गई. हंबाच में लिग्नाइट खनन 1978 में शुरू हुआ. तब से लिग्नाइट खनन के भीतर के चार गांव खाली हो चुके हैं.

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने ऐतिहासिक रूप से महत्वाकांक्षी पर्यावरण नीतियों का मार्ग प्रशस्त किया है. देश को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास में अग्रणी माना जाता है और स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा में पर्याप्त निवेश कर रहा है. आज यूरोप में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों की संख्या सबसे अधिक जर्मनी में है. 2013 में वह 183 मिलियन टन लिग्नाइट खनन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक भी बना हुआ है. लिग्नाइट देश के बिजली उत्पादन का एक चौथाई पैदा करता है और यह कार्बन उत्सर्जन के पांचवें हिस्से के लिए जिम्मेदार है. देश ने 1970 के दशक में जंगलों, खेतों और पूरे गांवों को नष्ट करते हुए खुले गड्ढे वाली कोयला खदानों में खुदाई शुरू की.

 

इंडेन में वीजवीलर लिग्नाइट से चलने वाले पावर स्टेशन का एक दृश्य. 2014 में इसे यूरोप का पांचवां सबसे बड़ा कार्बनडाइ आक्साइड उत्सर्जक माना गया था. भूरे कोयले में पारा और अन्य भारी धातुएं भी होती हैं. औसतन लिग्नाइट से चलने वाला एक यूरोपीय बिजली स्टेशन प्रति वर्ष आधा टन जहरीला पारा उत्सर्जित करता है.

डैटेलन के निवासी के बगीचे से जाते कोयला आधारित बिजली संयंत्र डैटेलन4 के भाप के पाइप. जर्मनी में नवीनतम कोयला आधारित बिजली संयंत्र, डैटेलन4 का उद्घाटन 2019 में किया गया था. अब लगभग पचास नागरिकों का एक समूह इसे बंद करने के लिए लड़ रहा है. डैटेलन4 हर साल लगभग 8.4 मिलियन टन कार्बनडाइआक्साइड का उत्पादन करता है.

वाल्ट्राउड कीफर्नडॉर्फ और उनके पति, उलरिच, कुचकम में अपने घर पर. उनके 200 वर्ग मीटर के बगीचे में विदेशी और दुर्लभ वनस्पतियों का एक छोटा संग्रह है. पिछले दस वर्षों से दंपति ने आरडब्ल्यूई एजी की जब्ती के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. कंपनी की योजना के मुताबिक 2028 तक विध्वंस की तैयारी में उनके घर की खिड़कियों सील कर दिया जाएगा. आज कुक्कम के लगभग पचास प्रतिशत निवासियों को स्थानांतरित कर दिया गया है. गारजवीलर ओपन-पिट लिग्नाइट खदान के विस्तार से प्रभावित छह गांवों में से एक है.

नॉरबर्ट विनजेनिस कीनबर्ग के दूसरी तरफ रहते हैं. उन्होंने एक शानदार लकड़ी के बरामदे के नीचे अपने घर में मेरा स्वागत किया. असमान पत्थर की टाइलों ने इस 1863 के फार्म की उम्र का खुलासा किया जो जर्मनी के उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया राज्य में पूर्व-औद्योगिक ग्रामीण जीवन का एक जीवित स्मारक है. गारजवीलर खदान के विस्तार के कारण पहले के घर से बेदखल होने के बाद विनजेनिस के दादा ने 1960 के दशक में संपत्ति खरीदी थी. उस समय कोयला कंपनी ने उन्हें आश्वासन दिया कि कीनबर्ग एक सुरक्षित क्षेत्र है और खदान वहां कभी नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन 1983 में बेदखली की शुरुआती अफवाहें फैलने लगीं.

उन्होंने कहा, "अपने बचपन में मैंने बड़ी मशीनों के गांवों को खा जाने की कहानियां सुनी थीं लेकिन हमारे लिए यह हमारे दादा की सुनाई एक कहानी भर थी," उन्होंने कहा. अब विनजेनिस गांव के इस हिस्से में बचे कुछ निवासियों में से एक है. "समुदाय कई गुटों में टूट गया है," उन्होंने कहा. "अभी भी लोग बेदखली का विरोध कर रहे हैं, फिर जो लोग छोड़ गए और आशा करते हैं कि गांव नष्ट नहीं होगा और अंत में वे लोग जिन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया और चाहते हैं कि गांव गायब हो जाए, ताकि वे उसे भूल सकें जो वह खो चुके हैं."

 

मैनहेम के निर्जन गांव में छोड़ी हुई इमारतों का सामने का हिस्सा. सालों की बातचीत के बाद, 2012 में निवासियों को फिर से बसाना शुरू किया गया था, और मैनहेम से निकासी 2022 तक पूरी की जानी है. ज्यादातर निवासियों को न्यू-मैनहेम में स्थानांतरित कर दिया गया है.

जर्मनी के लिग्नाइट क्षेत्र में बेदखली और पर्यावरणीय तबाही शायद ही कभी अंतरराष्ट्रीय समाचार बनाते हैं लेकिन देश के सामाजिक आंदोलनों में उनकी एक मजबूत प्रतिध्वनि है. मौजूदा यथास्थिति के खिलाफ जर्मनी के प्रमुख शहरों में सक्रिय कार्यकर्ताओं का एक उग्र प्रदर्शन हुआ है. कुछ कार्यकर्ता भी प्रभावित क्षेत्रों में चले गए हैं और अर्ध-स्थायी डेरे बनाए हैं.

हाल के वर्षों में नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में हंबाच के जंगल पर कब्जे के चलते मीडिया का ध्यान और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन पाता रहा है. 2012 से शुरू होकर कार्यकर्ताओं ने इस आदिम जंगल की रक्षा के लिए एक स्थायी चौकी का निर्माण करते हुए लगभग 100 ट्री-हाउस बनाए. आज लगभग 90 प्रतिशत जंगल तबाह हो गया है लेकिन कार्यकर्ताओं के एक कट्टर समूह द्वारा संरक्षित हिस्सा कायम है. हालांकि यह सक्रियता पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता से प्रेरित है, हंबाच पर कब्जे ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन वाली अर्थव्यवस्था के कुप्रभाव के खिलाफ साथ आंदोलनों को प्रेरित किया है. उदाहरण के लिए एंडी ग्लेलैंड - "यहां और आगे नहीं" - जर्मनी के उस सबसे बड़े पर्यावरणीय सविनय अवज्ञा आंदोलन का समन्वय करता है जो भूरा-कोयला उत्पादक क्षेत्रों में जारी है.

कीनबर्ग और लुत्जेरथ के गांवों में स्थायी शिविर भी मौजूद हैं. कार्यकर्ता ट्री हाउस और टेंट में रहते हैं और "ब्लॉकाडिया एक्शन" का आयोजन करते हैं - एक शब्द जिसे सामाजिक कार्यकर्ता नाओमी क्लेन ने जीवाश्म-ईंधन परियोजनाओं को रोकने के लिए अपने शरीर को बैरिकेड्स के रूप में उपयोग करने वाले लोगों का वर्णन करने के लिए गढ़ा है. इन कार्रवाइयों से लिग्नाइट खदानों और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में उत्पादन बाधित होता है.

मैनहेम गांव में एक परित्यक्त इमारत. गांव कभी लगभग1700 लोगों का घर था लेकिन धीरे-धीरे आरडब्ल्यूई एजी द्वारा हंबाच लिग्नाइट खदान के विस्तार हेतु जगह बनाने के लिए इसे खरीदा और साफ कर दिया गया. अधिकांश निवासियों को न्यू-मैनहेम में बसाया गया है.
हेल्मुट केहरमन आखिरी बार ऑल्ट-कीनबर्ग में अपने घर में. केहरमन को उनके घर से बेदखल कर दिया गया था क्योंकि जिस जमीन पर वह था, उस पर स्थानीय चर्च का स्वामित्व था, जिसने इसे आरडब्ल्यूई एजी को बेच दिया था. कीनबर्ग उन छह गांवों में से एक है जो गारज़वीलर ओपन-पिट लिग्नाइट खदान के विस्तार से खतरे में हैं. आरडब्ल्यूई एजी की योजना के अनुसार 2024 तक गांव को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाएगा.

आरडब्ल्यूई एजी और ऐसे कार्यकर्ताओं के बीच टकराव केवल स्थानीय समुदायों द्वारा झेले जाने वाले अन्याय के बारे में नहीं है, जो अपने घरों और रोटी रोजगार को छोड़ने के लिए मजबूर हैं. इसका कोयला खनन के पर्यावरणीय प्रभावों और खदानों और बिजली संयंत्रों के आस पास और साथ ही उससे परे रहने वाले लोगों के बिगड़ते स्वास्थ्य जैसे बुरे प्रभावों से भी लेना-देना है. अगर अतीत में ये संघर्ष औद्योगिक हितों से बाधित थे तो अब जर्मनी के वर्तमान सत्तारूढ़ गठबंधन ने, जिसने 2021 में सत्ता संभाली और जिसमें ग्रीन पार्टी भी शामिल है, पर्यावरणविदों और निवासियों के लिए नई आशा की जोत जलाई है और चरणबद्ध तरीके से कोयले को हटाने की एक संभावित बहस शुरू की है.

सबसे बड़ी हंबाच ओपन-पिट खदान में निम्न बादलों और धुंधली हवा की सामान्य स्थिति मानव निर्मित छेद की विशालता का आंकलन करना कठिन बना देती है. किसी मानचित्र पर एक नजर भर इसके 80-वर्ग किलोमीटर की खुदाई के पैमाने का अनुमान लगाने में मदद करती है. अगर यह कोई यूरोपीय शहर होता, तो यह क्षेत्र पचास लाख लोगों को अपनी चपेट में ले चुका होता. लेकिन इसका एक और भयावह आयाम है - पिट की गहराई 500 मीटर तक पहुँच जाती है, जिससे यह हमारे ग्रह के सबसे गहरे कृत्रिम गड्ढों में से एक बन गया है. और यह ऐसा पिट है जो अभी भी चालू है. किसी गुहा की तरह सैकड़ों मजदूरों और विशाल रहट उत्खनकों, जिनमें से कुछ स्टैच्सू ऑफ लिबर्टी के बाराबर हैं, यह दिन रात ध्वंश और दिन ब दिन चौड़ी होती जा रही है और लिग्रनाइट की गहरी सिराओं को खोद रही है और ​खनन कर रही है. हंबाच क्षेत्र की तीन सक्रिय लिग्नाइट खानों में से एक है. स्थानीय बिजली संयंत्रों में ईंधन बतौर, गारज़वीलर और इंडेन में हैम्बच खदान और इसकी दो सहयोगी संचालन इकाइयां, देश की क्षेत्रीय बिजली आवश्यकताओं के लगभग 40 प्रतिशत को पूरा करने के लिए पर्याप्त भूरे कोयले का उत्पादन करते हैं. 

गारजवीलर लिग्नाइट खदान का एक हवाई दृश्य. यह 48 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है और इसका स्वामित्व जर्मनी की सबसे बड़ी बिजली कंपनी आरडब्ल्यूई एजी के पास है. 1970 के दशक से, खदान के विस्तार ने 20 गांवों को ध्वस्त कर दिया है.
मैनहेम के रिहायशी इलाके में यातायात के लिए बंद एक सड़क. गांव का अधिकांश भाग अब समतल हो गया है और बाकी तबाही 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है.

जर्मनी और दुनिया भर में कोयला एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट को दूर करने के लिए ग्लासगो में हाल ही में COP26 की बैठक के बाद, दो चीजें स्पष्ट हो गईं : पहला, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कोयला एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिसकी 2020 में कुल 38 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी; और दूसरा, कि यह सबसे अधिक प्रदूषणकारी ईंधन स्वच्छ ऊर्जा के लिए वर्तमान संक्रमण में एक प्रमुख खतरा है. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, 2021 में गैस की बढ़ती कीमतों के कारण वैश्विक कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन में वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत अधिक है. रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा युद्ध के आर्थिक प्रभाव गैस की लागत को उच्च स्तर पर धकेल रहे हैं और यूरोपीय देश प्रतिक्रिया में कोयला आधारित बिजली का उत्पादन बढ़ा रहे हैं. आज दुनिया भर में कोयले से चलने वाले 195 नए बिजली संयंत्र बनाए जा रहे हैं और अधिकांश कोयला-खनन देशों में कोयले की निकासी में वृद्धि हुई है. आईईए ने भविष्यवाणी की है कि 2024 तक गैस की कीमत बढ़़े रहने की संभावना के चलते कोयले की मांग इस साल उच्च रिकॉर्ड दर्ज कर सकती है.

 

न्यू-मोर्शेनिच का एक दृश्य जहां मोर्सचेनिच-ऑल्ट के पुराने गांव के अधिकांश निवासी चले गए हैं. मूल रूप से मोर्शेनिच-ऑल्ट में लगभग 600 निवासी थे. आरडब्ल्यूई एजी विस्थापित निवासियों की प्रतिपूर्ति करता है और उनके लिए भवन भूखंड आरक्षित करता है. मेरजेनिच शहर के बाहरी इलाके में न्यू-मोर्शेनिच एक आधुनिक, विकासशील क्षेत्र है. पुराने गांव से ली गई सड़कों के नाम को छोड़कर, सब कुछ नया है.
न्यू-मोर्शेनिच के मुख्य चर्च का निर्माण स्थल. शहर की सभी इमारतें एक स्थानीय गैस से चलने वाले ताप संयंत्र से जुड़ी हुई हैं और निवासियों को अपनी छतों पर सौर पैनल स्थापित करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.
न्यू-मोर्शेनिच के नए शहर का कब्रिस्तान. मोर्सचेनिच-ऑल्ट के पुराने गांव से सभी नश्वर अवशेषों को पुनर्वास की शुरुआत में यहां ले जाया गया था.

जर्मनी 2038 तक कोयले से चलने वाले अपने बिजली संयंत्रों को समाप्त करने की योजना बना रहा है. हालांकि नया सत्तारूढ़ गठबंधन 2030 तक ऐसा करने का लक्ष्य बना रहा है. यूरोपियन पॉल्यूटेंट रिलीज और ट्रांसफर रजिस्टर के अनुसार, यूरोप में 12 सबसे खराब कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जक संयंत्रों में से सात जर्मन लिग्नाइट हैं. प्रक्षेपवक्र में नाटकीय परिवर्तन के बिना यह गणना की जाती है कि जर्मनी अगले कुछ वर्षों में यूरोप में ग्रीनहाउस गैसों का शीर्ष उत्सर्जक होगा, जो वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 30 प्रतिशत होगा.

जर्मनी और कई अन्य देशों द्वारा स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में स्थानांतरित करके कार्बन उत्सर्जन को कम करने की प्रतिज्ञा अंतरविरोधों से भरी है. जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के अनुसार, जलवायु संकट के प्रभावों को सीमित करने के लिए वैश्विक ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन को 2030 तक आधा करने की आवश्यकता है. विज्ञान पत्रिका नेचर में हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्रह को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने से रोकने के लिए 89 प्रतिशत कोयले के भंडार को जमीन के अंदर ही रखने की आवश्यकता है. इसके अलावा, कोयला आधारित बिजली का प्रभाव कार्बनडाईआक्साइड के उत्सर्जन से भी परे है - जो एकमात्र सबसे बड़ा स्रोत है. जलता हुआ कोयला भी जहरीले पारा और नाइट्रिक ऑक्साइड का मुख्य उत्सर्जक है. कोयले की खदानें बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षरण का कारण बनती हैं और एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोयला बिजली संयंत्रों के पास रहने वाले लोग अपने जीवन के औसतन पांच साल खो देते हैं.

 

लुत्जेरथ के एक शिविर में एक कार्यकर्ता सबीना. एक फार्म को छोड़कर, गांव पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. सबीना जुलाई 2020 में कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह के साथ गांव चली आईं थी. अब शिविर सैकड़ों लोगों की मेजबानी करता है. "यह एक कीप की तरह है, यहां दुनिया के सबसे बुरे और धूर्त एक साथ हो रहे हैं," उन्होंने कहा. "लोग यहां एकत्र होते हैं, वे अपने गुस्से और निराशा को जाहिर करना चाहते हैं, और वे ऐसा करने के लिए एक जगह तलाशते हैं, और एक विकल्प बनाने की कोशिश करते हैं." सबीना का मानना है कि " लुत्जेरथ कोई स्थानीय समस्या नहीं है."
एलेक्स, एंडे गेलैंडे - "यहां और आगे नहीं"- के सदस्य. यह जर्मनी में खनन के कारण गांवों की बेदखली और विनाश को रोकने के लिए लड़ाई का समन्वय करने वाला मुख्य संगठन है. एलेक्स 2011 में हंबाच वन कब्जे के वक्त भी एलेक्स थे. उनकी मास्टर्स की थीसिस विस्थापित निवासियों पर बेदखली के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर है. उन्होंने 2015 में एंडे गेलैंडे की स्थापना की. "हम यहां जो कर रहे हैं वह केवल ग्रामीणों के लिए नहीं है," उन्होंने कहा. "यह वैश्विक जलवायु इंसाफ का मुद्दा है."

रुहर क्षेत्र कभी जर्मनी के कोयला और इस्पात उद्योग का केंद्र था, और इसे जर्मनी के आर्थिक चमत्कार के लिए प्रेरक शक्ति माना जाता था. आज, यह देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है, जहां राष्ट्रीय औसत 6.8 प्रतिशत की तुलना में 11 प्रतिशत बेरोजगारी है. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर की जर्मन शाखा के एक वरिष्ठ नीति सलाहकार जूलियट डी ग्रैंडप्रे के अनुसार, कोयला-उत्पादक क्षेत्रों को शुद्ध-शून्य-उत्सर्जन अर्थव्यवस्था में उचित संक्रमण की अनुमति देने के लिए स्थानीय और राष्ट्रीय अधिकारियों से वित्तीय और नीतिगत समर्थन की आवश्यकता होती है.

बेदखली के इस परिदृश्य में, "डिवाइड एट इम्पेरा," या डिवाइड एंड रूल, खनन की मुख्य योजना का एक अभिन्न अंग है. हालांकि, कार्यकर्ताओं और निवासियों के एक उत्साही समुदाय का संघर्ष जरूरी संवाद और आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करने में मदद कर रहा है, और एक उचित ऊर्जा संक्रमण के लिए विभिन्न संभावनाओं की कल्पना को प्रेरित कर रहा है.

न्यूरथ के लिग्नाइट से चलने वाले बिजली स्टेशन का एक दृश्य. यूरोपियन पॉल्यूटेंट रिलीज और ट्रांसफर रजिस्टर के अनुसार, न्यूरथ और नीडेराउसम के लिग्नाइट-आधारित संयंत्र यूरोप में दूसरे और तीसरे सबसे बड़े कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जक हैं. यूरोप के बारह सबसे खराब कार्बन-डाइऑक्साइड प्रदूषकों में से सात जर्मन लिग्नाइट संयंत्र हैं.

रोक्को रोरांडेली रोक्को रोरांडेली ने जीव विज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई के बाद एक डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफर के रूप में काम करना शुरू किया. वैश्विक सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों में उनकी गहरी रुचि है और कलेक्टिव टेराप्रोजेक्ट के संस्थापक सदस्य हैं.