2021 की नवंबर के एक बरसते दिन मैं हेल्मुट केहरमन के साथ उनके पारिवारिक घर, जर्मनी के खनन केंद्र रुहर घाटी में ऑल्ट-कीनबर्ग गांव में बैठा था. एक कुर्सी और एक कोने में पड़े कुछ बक्सों को छोड़कर कमरा खाली था. धूल भरे लकड़ी के फर्श पर फर्नीचर और पुरानी चीजों के निशान अभी भी दिखाई दे रहे थे. यह आखिरी बार था जब हेल्मुट अपने घर आए थे.
कीनबर्ग के निवासियों को बेदखली का हुक्म मिला है. भूरे कोयले या लिग्नाइट का खनन करने वाली पास की गारजवीलर ओपन-पिट खदान का विस्तार हो रहा है. खदान के मालिक जर्मनी की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी आरडब्ल्यूई एजी ने ज्यादातर गांव खरीद लिए हैं. अधिग्रहण पूरा होते ही विध्वंस शुरू हो जाएगा, लिग्नाइट खदान के लिए जगह बनाने के लिए 2024 तक गांवों को नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा.
"अपने घर को छोड़ जाना मुश्किल है," खाली दीवारों को गुमसुम सा देखते हुए केहरमन फुसफुसाए. ऑल्ट- कीनबर्ग उन छह गांवों में से एक है जो गारजवीलर ओपन-पिट खदान के विस्तार से खतरे में हैं. गांव में लगभग एक हजार निवासी हुआ करते थे लेकिन अब 250 से भी कम रह गए हैं. पुनर्वास 2016 में शुरू हुआ और अधिकांश निवासी कुछ किलोमीटर दूर नए गांव न्यूस कीनबर्ग में चले गए. पिछले सत्तर सालों में लिग्नाइट खनन ने इस क्षेत्र के लगभग पचास गांवों को चपेट में लिया है जिसमें 40000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. देश भर में आंकड़े और भी गंभीर हैं- लगभग 120000 लोगों को स्थानांतरित किया गया और 370 गांवों को ध्वस्त कर दिया गया.
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