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फोटो जर्नलिस्ट एम पलानी कुमार की 2019 में एन्नोर की पहली यात्रा अविस्मरणीय अनुभवों से भरी थी. उन्होंने मुझे बताया कि, "मैं यह देख कर आश्चर्यचकित रह गया कि एन्नोर चेन्नई से कितना अलग है जबकि यह चेन्नई से एकदम लगा हुआ है." तब से वह बार-बार यहां की यात्रा करते रहे हैं. वहां तीन वर्षों तक किए गए कुमार के काम का मकसद यह पता करना है कि उद्योगों ने इस जगह को और यहां के लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है. उन्होंने महसूस किया कि तस्वीरों के बिना इस जगह के साथ लोगों के बदलते संबंधों को दिखा पाना मुमकिन नहीं होगा.
एन्नोर एक प्रायद्वीप पर स्थित है, जो कोसस्थलैयार नदी, एन्नोर क्रीक और बंगाल की खाड़ी के विशाल विस्तार से घिरा हुआ है. यह खाड़ी पड़ोस के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों के बीच एक प्राकृतिक विभाजन का काम करती है. उत्तरी भाग में विशाल उत्तरी चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन और तमिलनाडु के तीन प्रमुख बंदरगाहों में से एक कामराजार बंदरगाह, जो पहले एन्नोर बंदरगाह कहलाता था, मौजूद हैं. इसमें शहर का सबसे बड़ा डंप यार्ड भी है और यहां चौबीसों घंटे भारी डीजल वाहनों का आना-जाना होता है.
एन्नोर थर्मल पावर स्टेशन को 1970 के दशक की शुरुआत में चेन्नई और आस-पास के क्षेत्रों में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चालू किया गया था और विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कोयले से चलने वाली इकाइयों से तैयार किया गया था. यह तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा स्थापित राज्य के चार प्रमुख थर्मल प्लांटों में से एक है. कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र में अब 30 से अधिक खतरनाक श्रेणी के उद्योग हैं जो पर्यावरणीय गिरावट का कारण बनने, हवा और पानी में प्रदूषकों को छोड़ने और खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न करने का एक बड़ा जोखिम पैदा करते हैं.
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