हर तरफ चेतावनी थी. सायरन और माइक्रोफोन बज रहे थे. सुंदरबन के बाली द्वीप के अन्य निवासियों की तरह परितोष विश्वास के पास भी अपना घर छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. वह अपने परिवार के साथ पास की एक चट्टान पर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. "हमने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था," उन्होंने कहा और बताया, "पानी ने एक घंटे में गांव को अपनी चपेट में ले लिया."
"बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान" माना जाने वाला चक्रवात यास 26 मई से शुरू हुआ और तीन दिनों तक ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में कहर बरपाता रहा. ज्वार की लहरों ने तटीय गांवों को तबाह कर दिया और मूसलाधार बारिश ने पड़ोसी क्षेत्रों को बर्बाद. समंदर का पानी अपने रास्ते में आए तटबंधों को पार कर घरों, खेतों और मछलियों के तालाबों में घुस आया और हजारों लोगों को अपने सामान और आजीविका से महरूम कर दिया. चक्रवात ने ओडिशा के 11000 गांवों में 60 लाख लोगों को प्रभावित किया है. पश्चिम बंगाल में तीन लाख घर क्षतिग्रस्त हुए है और एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. सुंदरबन क्षेत्र, जो बंगाल का एक ज्वारीय डेल्टा क्षेत्र है, इससे गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. एक महीने से अधिक समय से किसान अपनी आजीविका को हुए नुकसान से निपटने के लिए संघर्षरत हैं.
जब विश्वास के गांव में ज्वार कम हुआ और वह अपने घर और खेतों को देखने के लिए भागे लेकिन सब कुछ बर्बाद हो चुका था. उनका घर घुटने तक पानी में डूबा हुआ था. उनके परिवार का सामान, खाना, बारह बोरी धान की फसल, जिसे उन्होंने बाद में इस्तेमाल के लिए रखा था, उनके बेटे की स्कूल की किताबें, कुछ भी नहीं बचा.
विश्वास एक सीमांत किसान हैं और पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के गोसाबा ब्लॉक के बाली के निवासी हैं. उनका ढाई बीघा खेत, जो मौसमी सब्जियों- खीरा, भिंडी, और लौकी, से भरा हुआ था, डूब गया. उनके तालाब की सभी मीठे पानी की मछलियां समंदर के खारे पानी के घुस आने के कारण मर गईं. “सड़ती मछली से उठती बदबू बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. मैंने सारी मरी हुई मछलियों को इकट्ठा किया और उन्हें समुद्र में फेंक दिया.” मछली को फिर से प्रजनन के लिए विश्वास को पूरे तालाब को पंप करना होगा और ताजे या बारिश के पानी से भरना होगा. ब्लीचिंग और वातन यानी हवा का मिश्रण महंगा पड़ता है. ताजे पानी के धान या अन्य मौसमी सब्जियों को फिर से उगाने के लिए मिट्टी को ठीक होने में भी कम से कम तीन साल लगेंगे. चक्रवात से उन्हें करीब पचास हजार रुपए का नुकसान हुआ है.
विश्वास की तरह सुंदरबन के हजारों निवासीयों, जो इस क्षेत्र के पारंपरिक व्यवसायों जैसे खेती और मछली पालन पर निर्भर हैं, का भविष्य अनिश्चय की स्थिति में है. बार-बार आने वाले चक्रवातों की चपेट में आने से उनके लिए यह नुकसान और बहाली का थकाऊ खेल बन गया है. इस बार पश्चिम बंगाल के समुद्र तट के कई गांवों ने खराब गुणवत्ता वाले तटबंधों का विरोध किया, जो क्षेत्र में पानी के खतरे के कारण हर बार टूट जाते या उनमें दरार पड़ जाती है. 5 जून को पर्यावरण दिवस के अवसर पर गोसाबा ब्लॉक, घोरमारा द्वीप और मौसुनी द्वीप के कई गांवों के लोगों ने सरकारी सहायता के बजाय ठोस तटबंधों की मांग को लेकर मार्च और धरना प्रदर्शन किया.
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