इस साल मानसूनी बारिश के चलते हुए भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश समेत 14 राज्यों में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए. भारतीय मौसम विभाग ने इस भयानक आपदा का कारण अगस्त के आरम्भ में होने वाली लगातार और सामान्य से अधिक बारिश को बताया. केरल में इस तरह की आपदा पिछले साल भी आई थी जब पूरे राज्य में आई बाढ़ के चलते पांच सौ लोग मर गए थे. पानी के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों और लोगों के अनौपचारिक नेटवर्क साउथ एशिया नेटवर्क ऑफ डैम्स, रिवर्स और पीपुल के समन्यवक हिमांशु ठक्कर ने कारवां की रिपोर्टर निलीना एम एस से आपदा प्रबंधन से निपटने में भारत के तौर-तरीकों की खामियों के बारे में बात की. ठक्कर ने बताया कि बांधों के प्रभावी प्रबंधन से मानसून के दौरान आने वाले बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि पिछले दो सालों में बाढ़ को जन्म देने वाली परिस्थितियों और उनके प्रति प्रतिक्रिया से यह साफ पता चलता है कि बांधों के कुप्रबंधन के लिए बांध ऑपरेटर दोषी हैं और इस कुप्रबंधन ने बाढ़ से होने वाले नुकसान में अपना योगदान दिया है.
निलीना एम एस: केरल में पिछले साल आई बाढ़ के बारे में आपका विश्लेषण था कि यदि बांधों का संचालन विवेकपूर्ण ढंग से किया जाता तो इस आपदा के नुकसान को कम किया जा सकता था. पिछले साल राज्य में बाढ़ आने का प्रमुख कारण क्या था?
हिमांशु ठक्कर: इस साल ज्यादातर मौतें अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में हुई हैं. इनमें से अधिकांश मौतों का रिश्ता भूमि-उपयोग में होने वाले परिवर्तन और उत्खनन आदि से था. बांधों से अब तक कोई समस्या नहीं हुई है. अगर आप ये देखना चाहते हैं कि पिछले साल की आपदा से इस बार क्या सबक लिए गए तो आपदा प्रबंधन को सामान्य रूप से देखिये. कुछ-कुछ जगहों पर थोड़े बहुत बदलाव हुए हैं लेकिन कुल मिलाकर कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं हुआ है.
उदारहण के लिए, अगर आप आपदा से बचना चाहते हैं तो आपको एक चीज जिसको जानना आपके लिए तुरंत जरूरी होगा, वह है प्रत्येक बांध के लिए नदी के बहाव की क्षमता को जानना. इस तरह आपको पता होता है कि अगर आप नदी के बहाव की क्षमता से अधिक पानी छोड़ रहे हैं, जिसमें बारिश का पानी भी शामिल है तो आप बाढ़ की स्थिति पैदा कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस तरह का कोई आकलन नहीं किया है. इसी तरह के कई अन्य मुद्दे भी हैं और जो कुछ भी आवश्यक है, वह नहीं किया गया है.
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