भारत के जलवायु आंदोलन को राह दिखाते युवा पर्यावरण संगठन

22 मार्च 2021
20 सितंबर 2019 को दिल्ली में "फ्राइडे फॉर फ्यूचर" आंदोलन के वैश्विक प्रदर्शनों के भाग के रूप में जलवायु परिवर्तन पर सरकारी निष्क्रियता के विरोध में युवा पर्यावरणविद एक हड़ताल में भाग लेते हुए.
के आसिफ/ इंडिया टुडे ग्रुप/ गैटी इमेजिस
20 सितंबर 2019 को दिल्ली में "फ्राइडे फॉर फ्यूचर" आंदोलन के वैश्विक प्रदर्शनों के भाग के रूप में जलवायु परिवर्तन पर सरकारी निष्क्रियता के विरोध में युवा पर्यावरणविद एक हड़ताल में भाग लेते हुए.
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चेन्नई के एक लेखक और शोधकर्ता नित्यानंद जयारमन ने 19 जनवरी को अडाणी वॉच नाम की एक वेबसाइट पर दुनिया भर में युवाओं द्वारा चलाए जा रहे 25 से अधिक पर्यावरणीय संगठनों की अडाणी समूह के खिलाफ हफ्ते भर के विरोध प्रदर्शन की घोषणा की. जयरामन की पोस्ट का शीर्षक था : "अडाणी को रोकने के लिए युवाओं की योजना (वाईएएसटीए), 27 जनवरी से 2 फरवरी". इसमें आगे लिखा था, "वाईएएसटीए अडाणी के लोकतंत्र को नष्ट करने, सामूदायिक आवाजों को दाबने और उनकी आलोचना करने वालों को परेशान करने से रोकने के लिए दुनिया भर के युवाओं द्वारा चलाए जा रहे संगठनों का आह्वान है." इसके चार दिन बाद अडाणी समूह ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक खुला पत्र लिख कर दावा किया कि उसे कुप्रचार का निशाना बनाया जा रहा है. स्पष्ट है कि भारत में युवाओं द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण समूहों ने देश में जलवायु आंदोलन की प्रकृति को लेकर एक अमिट छाप छोड़ी है.

वाईएएसटीए को कई अन्य समूहों का भी समर्थन मिला. इनमें फ्राइडे फॉर फ्यूचर इंडिया, चेन्नई क्लाइमेट एक्शन ग्रुप, एक्स्टेंशन रिबेलियन इंडिया, लैट इंडिया ब्रीथ और युगम नेटवर्क शामिल हैं. इन संगठनों ने विरोध के लिए निर्धारित तारीख से पहले कई हफ्तों तक लोगों का समर्थन जुटाया और लोगों से उनके सोशल मीडिया पेज के जरिए इस वैश्विक आंदोलन से जुड़ने की अपील की. सप्ताह भर चले विरोध में सोशल मीडिया पर अनेक कार्यक्रम भी चलाए गए जिनमें भारत और ऑस्ट्रेलिया में अडाणी की परियोजनाओं से प्रभावित लोगों के बयानों के वीडियो प्रसारण सहित दुनिया भर के प्रतिरोध और उम्मीद के गीतों की प्लेलिस्ट, कला और आंदोलन पर मास्टरक्लास, कॉरपोरेट के अपराधों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव और जलवायु मुद्दे पर लेखक अमिताभ घोष के साथ एक प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया था.

हाल के वर्षों में युवाओं के नेतृत्व में जलवायु न्याय और पर्यावरण केंद्रित आंदोलनों की लहर ने पर्यावरण में आई गिरावट के खिलाफ चल रहे संघर्ष में सोशल मीडिया पर सक्रियता और समर्थन प्राप्त करने की तकनीक, जैसे नए उपकरण और ताकत को बढ़ाया है. वाईएएसटीए (यास्टा) अभियान में शामिल एक कार्यकर्ता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर मुझे बताया, "अडाणी समूह को ऐसा बयान देना पड़ा, इससे पता चलता है कि उन्हें हमारे कामों के बारे में जानकारी है." चेन्नई स्थित वैटिवर कलेक्टिव नामक एक पर्यावरण संगठन के सदस्य जयारामन ने मुझे बताया, “हाल के वर्षों में देश भर में राजनीतिक रूप से मुखर युवा वर्ग कोयला खनन, वनों की कटाई और आर्द्रभूमि के विनाश के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों के साथ तेजी से जुड़ा है."

उन्होंने आगे कहा, "युवाओं ने उनकी आवाजों को मजबूत करने में मदद की है और यही बात है जो सरकार को असहज करती है." जैसा कि देश में युवाओं के नेतृत्व में हुए विभिन्न आंदोलनों से भी दिखाई पड़ता है कि युवा जलवायु कार्यकर्ता राज्य और केंद्र सरकारों के साथ-साथ कॉरपोरेट दिग्गजों पर भी आसानी से दबाव बना लेते हैं.

इसकी एक मिसाल है वैटिवर कलेक्टिव जो उत्तरी चेन्नई में 30 किलोमीटर दूर स्थित कट्टुपल्ली बंदरगाह के पास एन्नोर पुलिकट क्षेत्र में अडाणी समूह द्वारा किए गए विस्तार के कारण आर्द्रभूमि के विनाश और आजीविका को होने वाले नुकसान पर रोशनी डालता है. जयरामन ने कहा, "एन्नोर पुलिकट में आर्द्रभूमि संरक्षण के संघर्ष में युवाओं की भागीदारी हाशिए के समूहों के दृष्टिकोण से की गई थी. औद्योगीकरण को बढ़ाने के लिए बनाए गए क्षेत्र, उत्तरी चेन्नई के रतुआ इलाके का आद्रभूमि और समुद्री मार्ग वाला मुख्य हिस्सा अडाणी-कट्टुपल्ली बंदरगाह के लिए निर्धारित किया गया है जिसका स्थानीय समुदायों द्वारा विरोध किया जा रहा था." उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु के कुछ राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर्यावरणीय चिंताओं के महत्व को समझने वाली रही हैं.

तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.

Keywords: environmentalists Disha Ravi climate Toolkits Ministry of Environment, Forest and Climate Change government crackdown
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