पंजाबियत : हिंद-पाक दुश्मनी के खिलाफ दो पंजाबों की साझी विरासत

12 फ़रवरी 2020
पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर में सिख श्रद्धालुओं की भीड़. 9 नवंबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर खोला गया. भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीसा सीमा पार जाने की अनुमति है.
साभार: क्योडो न्यूज/गैटी इमेजिस
पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर में सिख श्रद्धालुओं की भीड़. 9 नवंबर 2019 को करतारपुर कॉरिडोर खोला गया. भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीसा सीमा पार जाने की अनुमति है.
साभार: क्योडो न्यूज/गैटी इमेजिस

लुधियाना जिले के गांव आंडलू में रहने वाले कुलवंत सिंह के खूबसूरत से मकान के आगे एक अटपटी-सी बैठकी है जो इस आधुनिक मकान की बनावट से बिल्कुल मेल नहीं खाती. मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि यह बैठकी ठीक वैसी ही है जैसी 1947 से पहले इस मकान में रहने वाला मुस्लिम परिवार छोड़ गया था. सिंह कहते हैं, “मैंने यह इसलिए किया की कभी  अगर लहंदे पंजाब (पाकिस्तानी पंजाब) से इस मकान के पुराने मालिकों की नई पीढ़ी यह मकान देखने आए तो उसे अपने बुजुर्गों की कोई तो निशानी मिले.” वह आगे कहते हैं, “खुद मेरा परिवार 1947 में लायलपुर (फैसलाबाद) से उजड़ कर यहां आया था. मुझे अपना पुराना घर देखने का मौका नहीं मिला, पर किसी और को तो नसीब हो.”

कुलवंत सिंह के मोहल्ले का गुरुद्वारा, 1947 से पहले मस्जिद की जमीन पर बना है लेकिन आज भी मस्जिद गुरुद्वारा का हिस्सा बनी हुई है. इस मस्जिद की देखरेख खुद कुलवंत करते हैं. उनके मुताबिक, “मैं इस गुरुद्वारे का कई सालों से अध्यक्ष हूं, जितना ख्याल मैं गुरुद्वारे का रखता हूं उतना ही इस मस्जिद का भी. पिछले साल विदेश में रहने वाले मेरे भतीजे ने धार्मिक कार्यों के लिए आठ लाख रुपए भेजे थे, मैंने चार लाख रुपए गुरुद्वारा साहिब पर और चार लाख रुपए मस्जिद पर खर्च कर दिए. आखिर हैं तो दोनों एक ही सच्चे रब्ब के घर.”  

लुधियाना जिले के ही हलवारा गांव के जगजीत सिंह ने 2009 में बनाई अपनी शानदार कोठी के सामने 1947 से पहले मौजूद मुस्लिम राजपूत की हवेली को वैसे का वैसा ही रखा है. वह कहते हैं, “मुझे मेरे बहुत से रिश्तेदारों ने कहा कि इतनी खूबसूरत कोठी के आगे पुरानी हवेली अच्छी नहीं लगती इसको तुड़वा दो. लेकिन मैं इसे नहीं तोडूंगा. बेशक मेरा परिवार पाकिस्तान से उजड़ कर नहीं आया, लेकिन अपने पुराने साझे पंजाब की तस्वीर मेरे मन में बसी हुई है. मैं पंजाबियत से मोहब्बत करने वाला इंसान हूं. मैं मानता हूं कि यह हवेली मुझे विरासत में मिली है. कैसे कोई आदमी अपनी विरासत को अपने से दूर कर दे?”

दोनों पंजाबों में ऐसी बहुत सी मिसालें हैं जो वहां बसने वाले पंजाबियों के साझेपन को दर्शाती हैं.

पंजाब सीमावर्ती राज्य है. पाकिस्तान के साथ भारत के खराब संबंधों का सीधा असर पंजाब पर पड़ता है. यहां के सरहदी इलाकों के लोगों को बार-बार उजड़ना पड़ता है. फिर भी पंजाब में पाकिस्तान के प्रति शत्रुता का वह भाव नहीं मिलता जैसा देश के उन हिस्सों में देखा जाता है जहां जंग दूरदर्शन और आकाशवाणी की खबर से ज्यादा कुछ नहीं है. पिछले सालों में जब-जब पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते खराब हुए (पठानकोट हमला, दीनानगर आतंकवादी हमला और पुलवामा जैसी घटनाएं) पंजाब से उठने वाली आवाज पूरे मुल्क से अलग थी. और जब भी भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं ने दोस्ती की बात की, तो पंजाबियों ने इसका पुरजोर स्वागत किया. कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार हो या प्रकाश सिंह बादल की, पाकिस्तान से मेहमान सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. और जब परवेज मुशर्रफ के सैन्य शासन में नवाज़ शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें सजा होने वाली थी, तब भारतीय पंजाब में स्थित नवाज़ शरीफ के पुश्तैनी गांव के गुरुद्वारे में उसकी लंबी उम्र के लिए अरदासें की गई थीं.

शिव इंदर सिंह स्वतंत्र पत्रकार और पंजाबी वेबसाइट सूही सवेर के मुख्य संपादक हैं.

Keywords: Indo-Pak relations Punjab Punjabi Film Punjaban communalism Sikh Gurdwaras Act
कमेंट