कैसे 74 साल का अमेरिकी बचा रहा है क्लासिक भारतीय सिनेमा

18 अप्रैल 2022
tommydan55 यूट्यूब चैनल पर 1930, 1940 और 1950 के दशक की हिंदी और उर्दू फिल्में हैं.
tommydan55 यूट्यूब चैनल पर 1930, 1940 और 1950 के दशक की हिंदी और उर्दू फिल्में हैं.

अस्सी हजार फॉलोअर्स वाला यूट्यूब चैनल tommydan55 भारतीय फिल्मों में रुचि रखने वाले लोगों के बीच लोकप्रिय है. इस चैनल को चलाते हैं 74 साल के थॉमस डैनियल जो अमेरिका के हवाई राज्य में रहते हैं. इसके अलावा वह ऐसे ही अन्य चैनल भी चलाते हैं. उनके tommydan55 चैनल पर ज्यादातर 1930, 1940 और 1950 के दशक की हिंदी और उर्दू फिल्में हैं लेकिन हाल ही में बंगाली फिल्मों को भी स्थान दिया गया है.

डैनियल को न हिंदी आती है और न बंगाली. उन्होंने मुझे बताया कि उनके पास दक्षिण-भारतीय फिल्में भी हैं लेकिन सबटाइटल इतने खराब हैं कि वे सुधारे नहीं जा सकते. उन्होंने एक ईमेल में मुझे लिखा, “जाहिर तौर पर भारतीय फिल्म कंपनियों में सबटाइटल लिखने वाले अंग्रेजी की कामकाजी समझ भी नहीं रखते.” डैनियल पहले मछुआरे थे. उस काम से अवकाश लेने के बाद उनकी फिल्मों में रुचि बढ़नी शुरू हुई. वह इन फिल्मों को विभिन्न स्रोतों से खरीदते हैं और जितना हो सके उतना उनके मूल रूप में लाने के लिए सुधार करते हैं. आयोवा विश्वविद्यालय में सिनेमा और संस्कृति संस्थान के निदेशक कोरी क्रीकमुर ने मुझे बताया, "भारतीय सिनेमा के प्रशंसक होने के नाते डैनियल ने भारतीय फिल्म अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने एक ऐसे संग्रहालय का निर्माण किया है जो कई मायनों में सिनेमा के इतिहास के अन्य संग्रहालयों की तुलना में अधिक मूल्यवान और आसानी से उपलब्ध होन वाला है."

डैनियल 1970 दशक में दो बार भारत आए थे. पंद्रह साल पहले उन्होंने 1962 में आई गुरुदत्त की फिल्म साहिब, बीबी और गुलाम देखी और मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने मुझे बताया, "मुझे नहीं पता था कि कलाकार कौन हैं मगर मीना कुमारी गजब की खुबसूरत लगीं. मुझे बाद में गुरुदत्त के बारे में पता चला.” उन्होंने कहा, "फिल्म में मीनू मुमताज की जोड़ी और वीके मूर्ति की आश्चर्यजनक चलचित्रकला, मेरे तीन बेहद पसंदीदा नृत्यों में से एक है. मुझे यह भी नहीं पता था कि वीके मूर्ति कौन थे लेकिन लाइट्स और अंधेरे के उनके उपयोग से मैं बहुत प्रभावित हुआ. गीतों में उन्होंने सपोर्ट डांसरों को ज्यादातर समय छाया में ही रखा है." उन्होंने आगे कहा, “निर्माण सर्वोत्तम है, कहानी सुसंगत है (जो भारतीय फिल्मों में हमेशा नहीं होती) और यह गंभीर ड्रामा फिल्म है जो मुझे पसंद है.”

इन फिल्मों को चुनने का एक अन्य कारण कॉपीराइट के तहत उनकी अपेक्षाकृत कम अवधि थी. जोकि भारत में रिलीज से लगभग साठ वर्ष और पाकिस्तान में पचास वर्ष है. डैनियल ने कहा, "दोनों देशों के कॉपीराइट कानून समझने योग्य और स्पष्ट हैं. अमेरिकी कॉपीराइट कानून एक दलदल है और कॉपीराइट की समय अवधि लंबी है.”

विडंबना यह है कि दुनिया के सबसे बड़े सिनेमा यानी भारतीय सिनेमा का आलोचनात्मक विश्लेषण और लोकप्रियता का आनंद इन फिल्मों तक सीमित पहुंच के कारण बाधित हुआ है." डैनियल ने इन फिल्मों की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार किया है. उन्होंने मुझे बताया, "डीवीडी, वीसीडी या टेप पर क्लासिक भारतीय फिल्में खराब गुणवत्ता की हैं.”

शुभ्रा दीक्षित स्वतंत्र पत्रकार, फोटोग्राफर और फिल्ममेकर हैं.

Keywords: Indian cinema
कमेंट