सितंबर 2018 में एक दिन मैं थार रेगिस्तान के एक हिस्से से गुजर रही थी. जहां तक नजर जाती हर तरफ रेत थी, जहां-तहां उगी झाड़ियां नजारे को थोड़ा बदलती, मुझे हरियाली और इंसानी वजूद की एक असली और थोड़ी खतरनाक गैर-मौजूदगी महसूस हुई. मैं राजस्थान में जैसलमेर से लगभग साठ किलोमीटर दूर सुदासरी डेजर्ट नेशनल पार्क की अपनी पहली यात्रा पर थी. राष्ट्रीय उद्यान गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी प्रजाती ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का घर है. मेरे सहयात्री और मैं उनकी तलाश में रेगिस्तान के बीच से रास्ता बनाते हुए खुली जीप से जा रहे थे. हमने झाड़ियों में छिपे कुछ पक्षियों को देखा. यह एक छोटी सी झलक थी जो मुझे लुप्तप्राय पक्षियों के संरक्षकों के साथ लंबे समय तक जुड़ाव की ओर ले जाने वाली थी. बस्टर्ड की झलक पाने के तुरंत बाद, मैं पुष्पा शेखावटी और पुश्ता पवार से मिली. दोनों महिला वन रक्षक इस कम चर्चित पार्क के बीहड़ वातावरण में रहतीं और काम करती हैं.
जब मैं उस दिन उनसे पहली बार मिली थी, तब वे पार्क के एक हिस्से में गश्त करके लौटी ही थीं. सुदासरी में वन रक्षकों की नौकरी का मुख्य उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के रख-रखाव को सुनिश्चित करना और उनकी तेजी से घटती संख्या को रिकॉर्ड करना है. गश्त का उद्देश्य किसी भी असामान्य गतिविधि पर ध्यान देना, ऐसे अतिक्रमण की जांच करना है जो पक्षियों की रिहाइश को बाधित करता है और आपात स्थिति की रिपोर्ट करना है. वन रक्षकों को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि पार्क में जल संचयन संरचनाओं को बनाए रखते हुए पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के पास पर्याप्त पानी हो. यह एक ऐसा काम है जिसके लिए बहुत घूमना पड़ता है. शेखावटी और पवार हर दिन दो बार की गश्त में कम से कम पंद्रह किलोमीटर पैदल चलती हैं.
उनका काम बाहरी लोगों के साथ ज्यादा मेलजोल की इजाजत नहीं देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सुदासरी सुदूर क्षेत्र है और इसका मौसम खुशगवार नहीं है. यहां ज्यादा पर्यटक भी नहीं आते हैं. जब मैं शेखावटी और पवार से मिली, तो मुझे हैरानी हुई की दो औरतें किस तरह से यहां आई होंगी. मुझे लगा कि औरतों के लिए वन रक्षक के रूप में काम करना असामान्य है, भले ही दो पद औरतों के लिए आरक्षित थे. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह थी कि वे अपने परिवारों से इतनी दूर रहती थीं, वह भी राजस्थान जैसे राज्य के इस सुदूर क्षेत्र में, जो बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों की खराब शिक्षा और कार्यबल में औरतों की कम भागीदारी के लिए कुख्यात है.
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