आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने संघर्षरत किसानों और मध्यम वर्ग को खुश करने के लक्ष्य के तहत अपना अंतिम बजट पेश किया. 1 फरवरी 2019 को वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया. परंपरागत तौर पर कार्यकाल के अंत में सरकारें धन्यवाद प्रस्ताव या अंतरिम बजट पेश करती है. बजट में किसानों के लिए निश्चित आय, मध्यम वर्ग के लिए आयकर में छूट और अनौपचारिक क्षेत्र के लिए पेंशन योजना जैसे प्रस्ताव हैं.
2 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि के मालिकों के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत प्रत्येक वर्ष 6000 रुपए प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण की योजना प्रस्तावित है. यह योजना 1 दिसंबर 2018 से लागू होगी, जिसका 12 करोड़ छोटे और कमजोर किसानों को लाभ मिलेगा. बजट में इस योजना के लिए प्रति वर्ष 75 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है.
बजट में 5 लाख रुपए सालाना आय वालों को आयकर में पूर्ण छूट का प्रावधान भी है. मध्यम वर्ग की सरकार वाली एनडीए सरकार की छवि पर जोर देते हुए साढ़े छह लाख रुपए सालाना आय वालों को भविष्य निधि, विशेष जमा योजना और बीमा आदि में निवेश करने पर अतिरिक्त छूट का प्रावधान भी बजट में है.
बजट के बाद कारवां के रिपोर्टिंग फेलो तुषार धारा ने दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति से बात की. श्री भानुमूर्ति ने बातचीत में इस बजट से आगामी लोक सभा चुनावों पर पड़ने वाले असर की बात की.
तुषार- बजट पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
भानुमूर्ति- मुझे नहीं लगता कि यह बहुत हैरान करने वाला बजट है. यह चुनाव को ध्यान में रख कर लाया गया बजट है. इसमें दो वर्गों- मध्यम वर्ग और किसान- पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. बजट के प्रस्ताव इन दोनों वर्गों को खुश करने वाले हैं. यह लोकप्रिय और चुनावी बजट है.
तुषार- आयकर वाले प्रस्तावों को कैसे देखते हैं?
भानुमूर्ति- यदि आप बजट विधेयक और वित्त मंत्री के बजट भाषण पर ध्यान दें तो पाएंगे कि दोनों में भारी अंतर है. जो भाषण में बोला गया वह वित्त विधेयक में नहीं है. मुझे लगता है यह आने वाली सरकार पर छोड़ा दिया गया है. वित्त विधेयक में ढाई लाख रुपए से पांच लाख रुपए की सालाना आय वालों के लिए 5 प्रतिशत कर लगाया गया है. लेकिन बजट भाषण में बोला गया कि 5 लाख रुपए तक की सालाना आय वालों को कर में पूरी छूट दी जा रही है. यानि उन्हें कर नहीं भरना पड़ेगा. बजट भाषण और वित्त विधेयक में भारी अंतर है और यह शायद इसलिए है कि यह अंतरिम बजट है.
तुषार- ऐसा है तो कर प्रस्ताव कब लागू होगा? और यह बजट भाषण में होने के बावजूद वित्त विधेयक में क्यों नहीं है?
भानुमूर्ति- यदि यह लागू होता भी है तो अप्रैल 2020 से ही हो सकेगा. यह अंतरिम बजट है और इसमें कोई टैक्स प्रस्ताव नहीं होना चाहिए. इसे बजट भाषण में इसलिए बोला गया ताकि मध्यम वर्ग को सतर्क किया जा सके कि यदि हम दोबारा सत्ता में आए तो इसे लागू करेंगे. यदि बीजेपी दोबारा चुन कर आई तो जून में पूर्ण बजट में इसे पास कर देगी और यह वित्त विधेयक का हिस्सा बन जाएगा.
तुषार- कृषक आय योजना के बारे में आपके क्या विचार हैं?
भानुमूर्ति- मुझे लगता है इस योजना को लागू करने में बहुत मुश्किल होगी क्योंकि इसमें एब्सेंटी लैंडलॉर्ड (दूरवासी जमींदार) और कृषि में सक्रीय जमींदारों में अंतर नहीं किया गया है. इस काम में सरकार को भू-अभिलेख (लैंड रिकार्ड) की जरूरत होगी ताकि उसे पता चल सके कि किन किसानों के पास 2 हेक्टेयर जमीन है. और दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों के पास बेहतर भू-अभिलेख हैं. सब जानते हैं कि पूर्वी और उत्तरी राज्यों के भू-अभिलेखों की हालत क्या है. सरकार बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह योजना कैसे लागू कर पाएगी? यह बहुत बड़ी समस्या होगी.
तुषार- लाभार्थी किसानों की पहचान करने में कितना वक्त लगेगा और प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण कब शुरू हो सकेगा?
भानुमूर्ति- भू-अभिलेखों की समस्या का मतलब है कि केवल उन किसानों को धन वितरित किया जा सकेगा जिनकी पहचान इन रिकार्ड में होगी और जिनके पास बैंक खाता है.
तुषार- सरकार बजट का राजनीतिक लाभ किस तरह ले पाएगी?
भानुमूर्ति- तेलंगाना इसका उदाहरण है. ‘रयथू बंधु योजना’ के तहत किसानों को प्रत्येक मौसम में 4000 रुपए प्रति एकड़ दिया जाता है. इस योजना ने दिसंबर में हुए चुनावों में तेलंगाना राष्ट्र समिति को जीत दिलाई. ऐसा लगता है कि सरकार ने इस योजना से सबक लिया है. इससे राजनीतिक फायदा होगा.
तुषार- चुनावों से तीन महीने पहले इस योजना को लागू करने से क्या सरकार को लाभ मिलेगा?
भानुमूर्ति- दक्षिण और पश्चिम में जरूर लाभ होगा. मैं पूर्वी और उत्तरी राज्यों के बारे में ऐसा नहीं कह सकता.
तुषार- लेकिन उत्तर और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में सबसे ज्यादा सीटें हैं?
भानुमूर्ति- तो भी मतदाता सरकार की छवि देख कर वोट करता है. यदि सरकार की छवि है कि वह उन्हें पैसा दे रही है तो यह एक बड़ी बात है. लेकिन बहुतों को यह भी नहीं पता चल पाएगा कि उनको इसका लाभ मिलेगा या नहीं.
तुषार- क्या इस बजट से उपभोग में वृद्धि होगी जैसा कि बहुत से अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है.
भानुमूर्ति- मैं यह दावे के साथ नहीं कह सकता क्योंकि प्रत्यक्ष आय समर्थन के लिए 20000 करोड़ रुपए आवंटन किया गया है. इन पैसों का कितना हिस्सा वे बांट पाते हैं इससे तय होगा की कितना उपभोग बढ़ेगा.
तुषार- कृषक आय योजना किस तरह उपभोग में वृद्धि करेगी?
भानुमूर्ति- बजट प्रस्ताव से उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीण इलाकों के गरीब किसानों के पास खर्च करने के लिए आय होगी. अर्थशास्त्र में एक शब्द है “सीमांत उपभोग प्रवृत्ति” जो ग्रामीण इलाकों में अधिक है. कृषक आय से उपभोग वस्तु, कपड़े, जूते-चप्पल की खरीदारी में वृद्धि होगी. इस से इन सामग्री की मांग में वृद्धि होगी और इस का असर अन्य वस्तुओं में होगा.
तुषार- क्या इस बजट से बेराजगारी कम होगी?
भानुमूर्ति- नहीं. इस बजट में कोई विशेष प्रस्ताव नहीं है जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे. इस में उद्योगों के लिए कुछ नहीं है. बस आवास क्षेत्र के लिए थोड़ा बहुत कहा गया है. इस बजट में अधिकांश जोर उपभोग पर है.
तुषार- अनौपचारिक क्षेत्र के लिए “प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन’’ जैसी पेंशन योजना के बारे में आप की क्या राय है? इसमें 15000 रुपए आय वाले श्रमिकों को कवर करने की बात है.
भानुमूर्ति- यह एक लंबी प्रक्रिया है. सरकार को लाभार्थियों की पहचान कर पेंशन संजाल में लाना होगा. यह प्रक्रिया अगले वर्ष ही आरंभ हो सकती है. यह पेंशन योजना 60 साल के हो चुके श्रमिकों के लिए है जो श्रम बाजार से बाहर हो चुके हैं. इनकी संख्या बहुत कम है.
तुषार- तब कौन सी बजट योजनाएं आम चुनावों से पहले लागू हो सकेंगी?
भानुमूर्ति- किसानों को प्रत्यक्ष लाभ योजना. वह भी बहुत सीमित रूप में. और आयकर छूट को लेकर भ्रम की स्थिति है.