शहजादी लातिफा अपहरण मामले में भारत सरकार कटघरे में

इरहन एलल्दी/अनादोलू एजेंसी/गैटी इमेजिस
25 December, 2018

मार्च 2018 को शेख लातिफा बिन मोहम्मद अल मकतूम के यूनाइटेड अरब अमीरात से भागने से जुड़ा एक वीडियो यूट्यूब पर आया. लातिफा दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की बेटी हैं. लातिफा ने शेख के तानाशाही भरे रवैये को अपने भागने का कारण बताया था. शहजादी ने बताया कि जब उन्होंने 2002 में भागने की कोशिश की थी तब उनके पिता ने उनका टॉर्चर किया और तीन साल और चार महीनों के लिए जेल में डलवा दिया था. लातिफा ने दावा किया, “हो सकता है ये मेरा आखिरी वीडियो हो.”

इस साल फरवरी में शहजादी ने फ्रांसीसी व्यवसायी और पूर्व जाजूस अर्वे जबेयर तथा उनकी मित्र टीना योहियानेन के साथ एक बार फिर भागने का प्रयास किया. जबेयर खुद एक बार यूएई से भाग चुके थे. इन लोगों की योजना भारत से होकर अमेरिका जाने की थी. शहजादी के दोस्तों का कहना है कि 4 मार्च को जब वे तीनों गोवा तट के पास अपने याट पर थे तो यूएई के कमांडो और भारतीय तट रक्षक बल के लोग उनके याट में दाखिल हुए. खबरों के अनुसार लंदन की गैर सरकारी संस्था डीटेंड इन दुबई (दुबई में कैद) के सह संस्थापक राधा स्टर्लिंग के साथ राजकुमारी ने संपर्क किया. जबेयर और योहियानेन का कहना है कि एजेंसियों के लोगों ने याट में दाखिल होकर तोड़फोड़ और लोगों के साथ मारपीट की और अपहरण करने से पहले जान से मार देने की धमकी दी. उसके बाद से लातिफा को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है लेकिन दुबई की कॉर्ट का दावा है कि वह जीवित हैं.

क्योंकि यह मामला अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र से संबंधित है इसलिए मामले में भारत के दखल पर कानूनी सवाल उठे हैं. हालांकि भारत ने कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन समाचार पत्र बिजनेस स्टैंडर्ड ने उच्च स्रोतों के हवाले से बताया है कि इस कार्रवाई में तीन तट रक्षक पोतों, हेलिकॉप्टरों और समुद्री निगरानी विमान का इस्तेमाल हुआ था.

घटना के बाद डीटेंड इन दुबई ने लातिफा के कथित अपहरण के मामले में टोबी कैडमैन से संपर्क किया. कैडमैन अदालतों में अंतर्राष्ट्रीय जवाबदेही की वकालत करने वाली लंदन की संस्था गुएर्निका 37 अंतर्राष्ट्रीय न्याय चैंबर के सह संस्थापक हैं. कैडमैन ने लातिफा को पेश करने तथा अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में याट पर छापा मारने के लिए भारत पर मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्र संघ के जबरन गायब और इच्छा के विरुद्ध अपहृत किए गए लोगों के कार्य समूह में शिकायत दर्ज कराई.

कारवां के स्टाफ राइटर सागर ने इस कथित अपहरण और भारत की संलिप्तता एवं भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर इसके असर पर कैडमैन से ईमेल पर संपर्क किया.

सागर- भारतीय एजेंसियों के खिलाफ क्या आरोप है?

टोबी कैडमैन- आरोप है कि भारतीय तट रक्षक बल ने यूएई की एजेंसियों के साथ मिलकर अंतराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अवैध तरीके से अमेरिकी याट नोस्ट्रोमो पर हमला किया और शेख लातिफा और अन्य पांच को अवैध हिरासत में लिया. ये हैं- अर्वे जबेयर, टीना योहियानेन और क्रू के तीन सदस्य. उन लोगों ने मारपीट, याट में तोड़फोड़ और सामान की चोरी की. शेख लातिफा ने उन लोगों से छोड़ देने की मिन्नत की. शहजादी ने शरण की मांग की लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया. उन्हें यूएई की एजेंसियों के हवाले कर दिया गया और उस वक्त से वे गायब हैं.

सागर- इस कथित सैन्य कार्रवाई में भारत की संलिप्तता का कोई प्रमाण है? क्या राष्ट्र संघ के जबरन गायब और इच्छा के विरुद्ध अपहृत किए गए लोगों के कार्य समूह ने इस मामले का संज्ञान लेकर जांच के आदेश दिए हैं?

टीसी- चूंकि इस मामले में अभी जांच चल रही है इसलिए मेरे लिए यह ठीक नहीं होगा कि मैं इन आरोपों के बारे में विस्तार से बात करूं या सबूतों के बारे में अपनी राय दूं. मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि जो सबूत हैं वे विश्वसनीय और ठोस हैं और अलग अलग स्रोतों से मिले हैं. जबरन गायब और इच्छा के विरुद्ध अपहृत किए गए लोगों के लिए राष्ट्र संघ के कार्य समूह ने शिकायत को यूएई और भारत दोनों को भेज दिया है. लेकिन इस पर पूरी तरह से खामोशी है. यह मामला मृत्युदंड के मामलों के लिए राष्ट्र संघ के विशेष प्रतिवेदक (रैपोर्टर्र) को भेज दिया गया है क्योंकि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि शेख लातिफा जीवित नहीं हैं.

दुबई के कॉर्ट ऑफ रूलर का वक्तव्य कई कारणों से बैचेन करने वाला है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि वक्तव्य में साफ तौर पर कबूल किया गया है कि शेख लातिफा को यूएई की एजेंसियां वापस ले गईं थीं हालांकि भागने की कोशिश करने के बाद से ही वह दिखाई नहीं दीं हैं.

सागर- आप ने कब और कितनी बार भारतीय एजेंसियों से इस कथित अपहरण के मामले में संपर्क किया? क्या इन एजेंसियों ने इसका जवाब दिया है?

टीसी- जिस समूह ने मुझे अपना वकील बनाया है उसने कई बार भारतीय एजेंसियों को पत्र लिखा. साथ ही राष्ट्र संघ की विशेष प्रक्रिया शाखा ने भी उनसे संपर्क किया है. उन लोगों ने एक भी निवेदन का जवाब नहीं दिया. यदि भारतीय एजेंसियों को अपने कृत्य के परिणामों की चिंता है तो मेरी उन्हें सलाह है कि वे राष्ट्र संघ से संपर्क करें या लातिफा से संबंधित हमारे अनुरोधों का जवाब दें.

सागर- आपके पास यह केस कैसे आया और आपने इसे लेने का निर्णय क्यों किया?

टीसी- मार्च 2018 में डीटेंड इन दुबई के सह संस्थापक डेविड हेग ने मुझसे संपर्क किया. हेग को भी दुबई में गिरफ्तार किया गया था और मैं उस मामले में वकील हूं. लातिफा अल मकतूम के अपहरण वाली शाम श्री हेग ने मुझे आगाह किया था. बाद में हेग और राधा स्टर्लिंग के संगठन ने इस मामले को राष्ट्र संघ में ले जाने का निर्देश दिया और इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक और सिविल अभियोग के बारे में विचार करने को कहा.

सागर- भारत ने मानव अधिकारों के सार्वभौम घोषणा के छह मुख्य कंवेशनों पर हस्ताक्षर किए हैं. इन आरोपों से उसकी विश्वसनीयता और प्रतिबद्धताओं पर कैसा असर पड़ेगा?

टीसी- कई अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार संधियों पर हस्ताक्षर करने और संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश होने के बावजूद भारत का इस मामले में मानव अधिकारों का उल्लंघन करना चिंताजनक है. भारत स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताता है और कानून के शासन की बात करता है. अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में उसका अवैध सैन्य हमला उसके उपरोक्त दावों के खिलाफ जाता है.

सागर- कम से कम दो मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि यूएई से ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के बदले भारत ने शहजादी के अपहरण में मदद की.

टीसी- मीडिया में ऐसा कहा गया है और यह ऐसा मामला है जिसका खुलासा वक्त आने पर पूरी तरह से किया जाएगा.

सागर- क्या भारतीय एजेंसियों पर इस मामले में कार्रवाई की जा सकती है?

टीसी- हमारा समूह, गुएर्निका 37 अंतर्राष्ट्रीय न्याय चैंबर, कई कानूनी विकल्पों पर काम कर रहा है. जिन कानूनी कार्रवाइयों पर विचार किया जा रहा है उन पर बात करना ठीक नहीं होगा. भारतीय और यूएई की एजेंसियों को समय आने पर इसकी जानकारी करा दी जाएगी.