ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस साल 21 अप्रैल की शुरुआत में अहमदाबाद पहुंचे. यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र के गृह राज्य गुजरात की उनकी पहली यात्रा थी. दिन की शुरुआत साबरमती आश्रम की यात्रा से हुई. यह आश्रम कभी मोहनदास करमचंद गांधी का निवास स्थान था और नमक पर ब्रिटिश इजारेदारी का विरोध करने के लिए गांधी की प्रसिद्ध दांडी यात्रा का प्रस्थान बिंदु भी. जॉनसन ने गांधी की तस्वीर पर फूल चढ़ाए, चरखा काता और आगंतुक रजिस्टर में लिखा कि राष्ट्रपिता "एक असाधारण व्यक्ति" थे. इसके बाद उन्होंने स्वामीनारायण अक्षरधाम की ओर रुख किया जो देश के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है और इसका अपना खुद का आईमैक्स थिएटर, प्रदर्शनी हॉल, ऑडियो-एनिमेट्रॉनिक्स शो, अनुसंधान केंद्र और एयर असेंबली ग्राउंड है. कारपोरेट हिंदुत्व के लिए यह एक मील का पत्थर है. जॉनसन तब अरबपति गौतम अडानी के साथ एक त्वरित बैठक के लिए आए. अंत में, वह हलोल में ब्रिटिश कंपनी जेसीबी के नवीनतम संयंत्र में पहुंचे, जहां उन्होंने एक बुलडोजर के ऊपर तस्वीरें खिंचवाईं. यात्रा कार्यक्रम भारत के पुनर्निर्माण की मोदी की महत्वाकांक्षाओं और सपनों की विकास परियोजनाओं के विभिन्न चरणों, जो उन्हें वहां पहुंचाएंगे, का एक आदर्श झांकी था.
जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, साबरमती आश्रम वैश्विक नेताओं का एक निरंतर पड़ाव रहा है. 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यहां आए. 2017 में पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, 2018 में इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और 2020 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यहां आए. यही वह जगह भी है जहां से मोदी ने भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र बतौर 75 साल पूरे करने के मौके पर ढाई साल लंबे उत्सव को हरी झंडी दिखाई थी. वास्तव में, यह जगह मोदी की सार्वजनिक गतिविधियों में लगभग इतनी बार आती रही है जितनी खुद गांधी के जीवन में आती रही है. इसलिए, यह हैरतंगेज नहीं है कि 2021 में घोषित आश्रम के पुनर्विकास को मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया है.
"गांधी आश्रम स्मारक और क्षेत्र विकास" परियोजना राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की जा रही है और इसे 1200 करोड़ रुपए का बजट सौंपा गया है. अहमदाबाद नगर निगम के स्वामित्व वाले साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पर इसे पूरा करने का जिम्मा है.
कमेंट