कोविड-19 : बिहार के क्वारंटीन सेंटरों में क्यों नहीं रहना चाहते प्रवासी मजदूर

आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 17 मई तक राज्य में क्वारंटीन सेंटरों की संख्या 7042 है जिनमें 455562 प्रवासी मजदूर ठहरे हुए हैं.
फोटो साभार : उमेश कुमार राय
आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 17 मई तक राज्य में क्वारंटीन सेंटरों की संख्या 7042 है जिनमें 455562 प्रवासी मजदूर ठहरे हुए हैं.
फोटो साभार : उमेश कुमार राय

“यहां प्रवासी मजदूरों को किसी तरह तीन वक्त का खाना मिल जाता है. सोने के लिए बिस्तर नहीं दिया गया है. लोग गमछा बिछाकर सोते हैं. 5-6 फीट की दूरी तो दूर की बात है, यहां एक फीट की फिजिकल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन नहीं की जा रही है. कई बार प्रवासी मजदूर प्रदर्शन कर चुके हैं. यहां की अव्यवस्था से उकता कर कई लोग भाग भी जाते हैं, तो हमलोग पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी सूचना देते हैं. मंगलवार (12 मई) को तो यहां दो गुटों में मारपीट भी हो गई. दोनों ओर से पथराव किया गया.” ये बातें मुझे पूर्णिया जिले के धमदाहा ब्लॉक के मीरगंज में एक स्कूल में बने क्वारंटीन सेंटर में ड्यूटी करने वाले एक कर्मचारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताईं.

इस क्वारंटीन सेंटर में 100 से ज्यादा प्रवासी ठहरे हैं. ये लोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व दूसरे राज्यों से आए हैं. पूर्णिया के पोहाराघाट के एक युवक में मंगलवार (12 मई) को कोरोनावायरस का संक्रमण मिला था. यह युवक दिल्ली के रेड-जोन आजादपुर मंडी से लौटा है. उसी दिन आजादपुर मंडी से लौटे तीन प्रवासी मजदूरों को इस क्वारंटीन सेंटर में लाया गया है. इससे दूसरे प्रवासी मजदूर डरे हुए हैं. क्वारंटीन सेंटर के उक्त कर्मचारी ने कहा, “वे लोग डरे हुए हैं, लेकिन साथ ही रह रहे हैं. फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन नहीं हो रहा है, जिससे दूसरे मजदूरों में कोरोनावायरस के फैलने की आशंका है.”

कटिहार जिले के कटिहार टाउन में स्थित ऋषि भवन को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है. 4 मई को बारिश का फायदा उठाकर इस सेंटर से 10 लोग फरार हो गए. वे सभी छत्तीसगढ़ से आए थे. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में क्वारंटीन सेंटर में तैनात पुलिस पदाधिकारी व एक मजिस्ट्रेट पर कार्रवाई की गई. पुलिस ने जांच टीम बना कर फरार लोगों की तलाश शुरू की और उन्हें आजमनगर थाना क्षेत्र के खोरियाल गांव से बरामद कर लिया गया.

कटिहार के डीएम तनुज कंवल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “प्रवासी कामगार वहां रहना नहीं चाहते थे. वहां उनका मन नहीं लग रहा था और वहां थोड़ी अव्यवस्था भी बन रही थी. उसी क्रम में दोपहर में जब तेज बारिश हुई और आंधी आई, तो उसका फायदा उठाकर वे वहां से भागने में सफल हो गए. इसको लेकर कटिहार टाउन थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई. सेंटर में प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारी को निलंबित किया गया और मजिस्ट्रेट को कारण बताओ नोटिस दिया गया. इसके अलावा दो अन्य मजिस्ट्रेट को भी शोकॉज किया गया.” डीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का जिक्र नहीं किया कि उन्हें वक्त पर खाना नहीं मिल रहा था, लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि क्वारंटीन सेंटर में भोजन पानी नहीं मिलने से वे लोग परेशान थे और शोर-शराबा कर रहे थे, तो उन लोगों ने उनके लिए चाय-बिस्कुट का इंतजाम किया था.

24 मार्च से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी. उनकी घोषणा के बाद देशभर की फैक्टरियों में ताले लटक गए, सरकारी परियोजनाएं थम गईं और परिवहन व्यवस्था ठप हो गई. जब प्रवासी कामगारों के सामने खाने-पीने का संकट मुंह बाए खड़ा हो गया तो लाखों प्रवासी मजदूरों ने शहरों से गांवों की ओर पलायन, पैदल या साइकल पर, शुरू कर दिया. इस बीच कुछेक राज्यों से बसें चलाईं गई. दूसरे चरण के लॉकडाउन के बाद, 4 मई से केंद्र सरकार अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला लिया.

उमेश कुमार राय पटना के स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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