ऑक्सीजन की कमी से हुईं मौतों का डेटा सरकार के पास नहीं, अब लोग ही जुटा रहे आंकड़े

11 अगस्त 2021
1 मई 2020 को गाजियाबाद के ऑक्सीजन शिविर में एक मरीज को सीपीआर देने का प्रयास करता वॉलेंटियर. सीपीआर ने काम तो किया लेकिन उसे अस्पताल ले जाया गया क्योंकि वह मुश्किल से सांस ले रहा था.
इशान तन्खा
1 मई 2020 को गाजियाबाद के ऑक्सीजन शिविर में एक मरीज को सीपीआर देने का प्रयास करता वॉलेंटियर. सीपीआर ने काम तो किया लेकिन उसे अस्पताल ले जाया गया क्योंकि वह मुश्किल से सांस ले रहा था.
इशान तन्खा

24 अप्रैल 2021 की अल सुबह एरिक मैसी को दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल से एक फोन आया. उन्हें बताया गया कि सांस रुक जाने के चलते उनकी 61 वर्षीय मां डेल्फिन मैसी की मौत हो गई है. डेल्फिन को सप्ताह भर पहले कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के चलते अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. जिस सुबह उनकी मौत हुई एरिक उनके शव को लेने अस्पताल गए और देखा कि आईसीयू में केवल दो ही मरीज थे. जबकि उस हफ्ते की शुरूआत में आईसीयू पूरी तरह भरे हुए थे. उन्होंने याद किया कि “यह बहुत अजीब था क्योंकि तब दूसरी लहर चरम पर थी और अस्पताल मरीजों से भर रहते थे. मुझे पता था कि कुछ तो गड़बड़ है.” अगले कुछ घंटों के भीतर उन्होंने पाया कि उनकी मां उन 20 रोगियों में से थीं जिनकी पिछली रात 10 बजे अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते मृत्यु हुई थी. अस्पताल ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों को ऑक्सीजन लगाने की कोशिश की लेकिन आवश्यक ऑक्सीजन के प्रवाह जारी न रख पाने के कारण मरीजों की मौत हो गई.

एरिक और सात अन्य लोग, जिन्होंने उस रात जयपुर गोल्डन अस्पताल में परिवार के सदस्यों को खो दिया था, न्याय के लिए तीन महीनों से संघर्षरत हैं. अप्रैल के अंत में इन आठ परिवारों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की. याचिका में अस्पतालों को समय पर ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अस्पताल और सरकारी अधिकारियों से मुआवजा और उन पर आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है. "अभी तक कुछ नहीं हुआ है," 23 जुलाई को मुझसे बात करते हुए एरिक ने कहा. “मुआवजे की बात तो छोड़िए किसी ने हमसे मांफी मांगने या यह तक पूछने का प्रयास नहीं किया कि हम कैसे हैं. हमें अब कोर्ट से ही उम्मीद है.”

20 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 मौतों पर संसद में एक बयान दिया जिसके बाद हंगामा हो गया. राज्यसभा में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भरत प्रवीण पवार ने एक लिखित जवाब में कहा कि “राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई है." ऐसा कहते हुए सरकार ने इन मौतों के व्यवस्थित रिकॉर्ड की कमी के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दोष दिया.

मंत्री के जवाब ने जयपुर गोल्डन अस्पताल मामले के आठ याचिकाकर्ताओं को झकझोर दिया है. उनके वकील उत्सव बैंस कहते हैं, "वे अभी भी शोक में हैं और अब सरकार यह मानने से इनकार कर रही है कि उनके परिजनों मौत ऑक्सिजन की कमी से हुई है."

अप्रैल के मध्य तक देश भर से ऑक्सीजन की कमी से कोविड-19 रोगियों के मरने की रिपोर्टें आने लगी थीं. जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई घटना के कुछ दिनों बाद दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने के चलते एक डॉक्टर सहित 12 मरीजों की मौत हुई. पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से भी ऐसी ही खबरें आईं.

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

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