पुणे में कोविड-19 ड्यूटी में खटने वाले ठेका स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन के लिए करनी पड़ रही हड़ताल

पुणे में बैरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज से जुड़े ससून अस्पताल के स्वास्थ्य कार्यकर्ता 23 नवंबर 2020 को डीन के साथ बात करने और बकाया राशि प्राप्त करने के लिए इकट्ठा हुए.
प्रथम गोखले / हिंदुस्तान टाइम्स
पुणे में बैरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज से जुड़े ससून अस्पताल के स्वास्थ्य कार्यकर्ता 23 नवंबर 2020 को डीन के साथ बात करने और बकाया राशि प्राप्त करने के लिए इकट्ठा हुए.
प्रथम गोखले / हिंदुस्तान टाइम्स

1200 बिस्तरों की क्षमता वाला पुणे का एक सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल ससून, बैरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज और एक नर्स प्रशिक्षण स्कूल से संबद्ध है. कॉलेज में 260 से अधिक डॉक्टरों का शिक्षण स्टाफ है और 200 एमबीबीएस और 144 स्नातकोत्तर छात्र हर साल कॉलेज से पास होकर निकलते हैं. अप्रैल 2020 में बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच अस्पताल ने एक नवनिर्मित भवन में 1000 विस्तरों का समर्पित कोविड-19 केंद्र की शुरूआत की. अस्पताल ने नए कोविड-19 केंद्र में कर्मचारियों की भर्ती का ठेका 2008 में बनी भर्ती कंपनी ठाकुर करियर जोन को दिया था. 

काम पर रखे गए सैकड़ों लैब तकनीशियनों, नर्सों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरह ही 26 वर्षीय खेकन की भी छह महीने के ठेके पर नियुक्ति हुई थी.

10 नवंबर 2020 को खेकन ने पुणे की लेबर कोर्ट में करियर जोन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया. खेकन ने महीनों तक ससून अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में लैब टेक्नीशियन का काम किया था लेकिन उन्हें पूरा वेतन नहीं मिला था. करियर जोन ने उन्हें तीन महीने बाद अचानक काम से निकाल दिया. खेकन का कहना कि उन्हें पूरे वेतन का भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने मुझे बताया कि वह पहले ही करियर जोन की प्रमुख भाग्यश्री ठाकुर से गुहार लगा चुकी हैं और ससून अस्पताल के डीन से शिकायत कर चुकी हैं. जब कुछ भी काम नहीं आया, तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया.

खेकन को 25000 रुपए प्रति माह वेतन देने का वादा किया गया था लेकिन उन्हें अगस्त और सितंबर में केवल 15000 रुपए का भुगतान किया गया. 31 अक्टूबर को रात 10 बजे खेकन को करियर जोन के कार्यालय से एक फोन आया और कहा गया कि अगले दिन से काम पर न आएं. उन्होंने पूछा, “आधी रात में वे हमें इस तरह कैसे हटा सकते हैं? कोई नोटिस अवधि नहीं, कुछ भी नहीं."

अगले सोमवार को 25 लैब टेक्नीशियन, जिन सभी के अनुबंध खेकन के साथ समाप्त कर दिए गए थे, ठाकुर के ससून अस्पताल के अस्थायी कार्यालय में पहुंचे और मांग की कि उन्हें पूरी राशि का भुगतान किया जाए. अगस्त और सितंबर के महीने का आधा वेतन और अक्टूबर की पूरी तनख्वाह नहीं मिली थी. खेकन के अनुसार, ठाकुर कहती रहीं कि ससून अस्पताल ने अभी तक हमारा वर्क आर्डर दाखिल नहीं किया है और करियर जोन को भी अब तक अस्पताल से भुगतान नहीं मिला है. इसके बाद तकनीशियनों ने ससून अस्पताल के डीन मुरलीधर तांबे से बात की, जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि अस्पताल ने करियर जोन का भुगतान कर दिया है और उन्हें नहीं पता कि ठाकुर ने अनुबंध श्रमिकों को भुगतान क्यों नहीं किया.

नेहा मेहरोत्रा दिल्ली की फ्रीलांस रिपोर्टर हैं.

Keywords: coronavirus COVID-19 Pune Nurses Maharashtra
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