कोरोना मरीज को भर्ती करने से मना करते रहे दिल्ली के अस्पताल

30 अप्रैल 2020
सुशील कुमार/ हिंदुस्तान टाइम्स/ गैटी इमेजिस
सुशील कुमार/ हिंदुस्तान टाइम्स/ गैटी इमेजिस

24 अप्रैल को लगभग 3 बजे उत्तर-पश्चिम दिल्ली के भलस्वा गांव की फरजाना शेख ने हताशा से भरा एक वीडियो जारी किया. "यह मेरे पति रज्जाक हैं," उन्होंने अपने अपने बगल में बैठे आदमी की ओर इशारा करते हुए बताया. “कोरोना की जांच कराने के बाद पता चला कि इन्हें संक्रमण है. हमें 2-3 अस्पतालों में रेफर किया गया लेकिन सभी ने भर्ती करने से मना कर दिया.” 23 अप्रैल की दोपहर को रज्जाक की नोवेल कोरोनवायरस जांच पॉजिटिव आई थी.  इसके बाद जो हुआ वह खौफनाक था. फरजाना, रज्जाक और उनके पिता सत्तार अहमद ने अगले 16 घंटे रज्जाक को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया. उस दिन शाम 6 बजे से अगले दिन सुबह 10 बजे तक, परिवार ने दो सरकारी केंद्रों और दो क्वारंटीन केंद्रों सहित कम से कम तीन अस्पतालों का दौरा किया, जहां से उन्हें विभिन्न कारणों से लौट आना पड़ा. 23 और 24 अप्रैल की दरमियानी रात में गहरी हताशा में डूबी और एकदम घबराई हुई फरजाना ने एक वकील के सुझाव पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया ताकि अधिकारियों का उन पर ध्यान जा सके और उन्हें मदद मिल सके.

29 अप्रैल तक दिल्ली में कोविड-19 के कुल 3314 मामले सामने आए हैं. संक्रमण के मामले पर दिल्ली तीसरा बड़ा राज्य है. यहां अब तक 54 मौतें हो चुकी हैं और 99 रेड जोन बनाए गए हैं. तीन दिन पहले एक मीडिया ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा था कि 3 मई से पहले दिल्ली में लॉकडाउन में ढील नहीं दी जाएगी क्योंकि उनकी सरकार का ध्यान“दिल्ली में कोविड-19 संक्रमणों की संख्या को कम करने” पर है.

लेकिन फरजाना और रज्जाक को जो झेलना पड़ा वह कुछ और ही तस्वीर पेश करता है. रज्जाक को कनॉट प्लेस के राम मनोहर लोहिया अस्पताल और दिल्ली गेट में स्थित लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया. रज्जाक उस रात चार बार एलएनजेपी गए. इस बीच आरएमएल ने अस्पताल के बाहर किए गए परीक्षण के परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. बुरारी के एक अस्पताल में जिन क्वारंटीन केंद्रों में उन्हें भेजा गया वह चालू नहीं था जबकि वजीराबाद में उन्हें "लिखित रूप में कुछ दिए" बिना या जब तक कि परिवार "किसी बड़े से बात न करवाए" उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया. परिवार ने कहा कि पुलिस ने कई कॉल के बावजूद उनकी मदद करने से इनकार कर दिया. फरजाना ने मुझे बताया कि रज्जाक को आखिरकार आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे के हस्तक्षेप के बाद एलएनजेपी में भर्ती कराया गया.

19 मार्च को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “जनता कर्फ्यू” की घोषणा की तो फरजाना और रज्जाक, जो नोएडा में रहते हैं, भलस्वा में अपने परिवारिक घर में वापस आ गए. 8 अप्रैल के आसपास रज्जाक बीमार पड़ गए और परामर्श के लिए भलस्वा के बुधिराज नर्सिंग होम गए. उन्हें 18 अप्रैल को टाइफाइड का पता चला था. फरजाना ने मुझे बताया कि नर्सिंग होम के डॉक्टरों ने खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे बार—बार दिखने वाले लक्षणों की अनदेखी कर कोरोनोवायरस की संभावना पर गंभीरता से विचार नहीं किया. आखिरकार 21 अप्रैल को डॉक्टरों ने उन्हें कोविड-19 की जांच कराने को कहा.

फरजाना ने बताया, "हम इस प्रक्रिया में और देरी नहीं करना चाहते थे और चाहते थे कि जांच बहुत जल्दी हो. हमें कुछ सरकारी हेल्पलाइन नंबर मिले, लेकिन उनसे कोई मदद नहीं मिली. क्योंकि घर पर एक बच्चा है और मैं छह महीने की गर्भवती हूं, हमने बहुत जल्दी जांच करवा ली. 22 अप्रैल को रज्जाक ने हडसन लेन में लाल पैथ लैब्स में जांच कराई और उन्हें 23 अप्रैल को लगभग 3 बजे रिपोर्ट मिल गई. फरजाना ने कहा कि शुरू में जांच की रिपोर्ट से उन्हें भ्रम हुआ. "हम काफी हैरान थे," उसने कहा. “रिपोर्ट में नेगेटिव पोजिटिव दोनों था. हमें नहीं पता था कि इसका क्या करना है. हमने इसे बुरारी में अपने डॉक्टर को दिखाया और उन्होंने कहा कि यह पॉजिटिव है. ” डॉक्टर ने सलाह दी कि रज्जाक को अस्पताल में भर्ती कराया जाए.

अहान पेनकर कारवां के फेक्ट चेकिंग फेलो हैं.

Keywords: coronavirus lockdown coronavirus COVID-19
कमेंट