स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) ने फरवरी के पहले सप्ताह की अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में भारत में कोविड-19 के पहले तीन मामले रिकार्ड थे. आईडीएसपी भारत में बीमारियों के प्रसार को ट्रैक करता है और अपनी वेबसाइट पर प्रकोपों के बारे में साप्ताहिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है. एक दशक से अधिक समय से आईडीएसपी ने भारत में बीमारियों के प्रकोप के बारे में साल के हर हफ्ते रिपोर्ट प्रकाशित की है. लेकिन भारत में कोरोनावायरस महामारी को ट्रैक और सर्वेक्षण कर सकने की सबसे अच्छी क्षमता और विशेषज्ञता वाली इस एजेंसी ने 2 फरवरी की रिपोर्ट के बाद एक भी रिपोर्ट जारी नहीं की है.
वैश्विक लोक स्वास्थ्य के एक विशेषज्ञ ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "इस संगठन की स्थापना का मकसद यही तो था.” यह संगठन शुरू से ही इसी तरह की किसी महामारी की तैयारी ही तो कर रहा था. अब महामारी हमारे सिर पर है लेकिन एनसीडीसी कहां है? दुनिया भर के रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) महामारी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन भारत में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) यह काम कर रही है और एनसीडीसी सिरे से गायब है.” कोविड-19 के खिलाफ तीन महीने से चल रही लड़ाई में आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी सहित कई महामारीविदों और लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एनसीडीसी ना तो आईसीएमआर के साथ डेटा साझा कर रहा था, ना ही नियमित रूप से महामारी-प्रतिक्रिया बैठकों में भाग ले रहा था.
आईडीएसपी को नवंबर 2004 में स्थापित किया गया था, जिसे गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम या सार्स के प्रकोप के एक साल बाद विश्व बैंक ने वित्त पोषित किया था. इसे भारत के एनसीडीसी के तहत रोगों को ट्रैक करने के विशिष्ट अधिदेश के साथ स्थापित किया गया था. केंद्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर निगरानी इकाइयों की स्थापना की गई. रियल टाइम में मलेरिया, डेंगू वगैरह जैसी बीमारियों के प्रकोप के सर्वेक्षण के लिए पहल की साप्ताहिक रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण हैं. इसकी वेबसाइट बताती है कि आईडीएसपी "रैपिड रिस्पांस टीमों के माध्यम से शुरुआती चरण में, फैलने वाली बीमारियों का पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिए" बीमारी के रुझान की निगरानी करना और प्रतिक्रिया देना'' का प्रयास करता है.
नोवेल कोरोनवायरस महामारी एनसीडीसी की सबसे बड़ी परीक्षा ना होकर इसका प्रयोजन है. मोटे तौर पर स्वास्थ्य मंत्रालय अपने डेटा को दो प्रमुख स्रोतों से प्राप्त करता है: आईडीएसपी, जिसमें बड़ा डेटा सेट है, जिसमें संपर्क-ट्रेसिंग संचालन, क्वारंटीन केंद्र और हवाई अड्डों से एकत्रित जानकारी शामिल है और आईसीएमआर, जो प्रयोगशालाओं से परीक्षण डेटा प्राप्त करता है. लेकिन 2 फरवरी से आईडीएसपी ने अपने डेटा का खुलासा नहीं किया है.
सरकार की महामारी प्रतिक्रिया से जुड़े कम से कम तीन वैज्ञानिकों और महामारीविदों के साथ मेरी बातचीत के अनुसार, एक बैठक में आईडीएसपी द्वारा आंकड़े जारी ना करने का मुद्दा उठाया गया था. इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल थे. 27 मार्च को हर्षवर्धन ने भारत में कोविड-19 स्थिति की समीक्षा के लिए एक "उच्च स्तरीय समिति" का गठन किया था. समिति ने चार दिन बाद अपनी पहली बैठक की. वैज्ञानिकों और महामारीविदों के अनुसार बैठक के दौरान जब उपस्थित लोगों ने इस मुद्दे को उठाया तो वर्धन ने डेटा को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया. उन्होंने मुझे बताया कि वर्धन ने दावा किया कि उनके पास "इन-हाउस विशेषज्ञ" हैं. उन्होंने यह नहीं बताया कि इन-हाउस विशेषज्ञों ने एनसीडीसी को डेटा साझा करने से क्यों रोका.
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