कोविड ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों से किए वादों से मुकरी गुजरात सरकार

27 सितंबर 2021
7 अगस्त 2021 को अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल बायरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज में हड़ताल के दौरान नारेबाजी करते रेजिडेंट डॉक्टर.
पीटीआई
7 अगस्त 2021 को अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल बायरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज में हड़ताल के दौरान नारेबाजी करते रेजिडेंट डॉक्टर.
पीटीआई

अगस्त की शुरुआत में गुजरात के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत लगभग दो हजार रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. हड़ताल कर रहे डॉक्टर राज्य सरकार के उस आदेश का विरोध कर रहे थे जिसमें कोविड-19 वार्डों में नियुक्त डॉक्टरों को अनिवार्य सेवा अवधि से कम काम करने की अनुमति को वापस ले लिया गया था. विरोध के केंद्र में भले ही इस नीति को रद्द करने का मुद्दा था लेकिन डॉक्टरों ने अन्य मुद्दों को भी उठाया जैसे कि महामारी के दौरान डॉक्टरों बलिदान पर ध्यान देना, 7वें वेतन आयोग अनुसार वेतन तथा अन्य. डॉक्टरों ने 10 दिनों के बाद हड़ताल वापस ले ली लेकिन राज्य सरकार ने केवल उनकी एक मांग पर मामूली रियायत दी.

गुजरात में सरकारी संस्थानों में मेडिकल छात्रों को अपने तीन साल का पोस्ट-ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में एक साल की अनुबंध सेवा देनी होती है. छात्र 40 लाख रुपए का भुगतान करके इस बॉन्ड से मुक्त हो सकते हैं. कई डॉक्टर अपनी एक साल की अनुबंध सेवा के बाद एक साल के सीनियर रेजिडेंसी के लिए कॉलेज में लौटते हैं. यह उन्हें अपने संबंधित संस्थानों में शिक्षण भूमिका निभाने के योग्य बनाता है.

अप्रैल और मई 2021 में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के चरम में गुजरात सरकार ने स्नातकोत्तर छात्रों को परिसर में रहने और कोविड-19 रोगियों को देखने में मदद करने के लिए प्रोत्साहन योजना तैयार की. गुजरात के स्वास्थ्य आयुक्त जय प्रकाश शिवहरे ने 12 अप्रैल को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 ड्यूटी के प्रत्येक दिन को उनकी अनिवार्य अनुबंध सेवा के दो दिनों के रूप में गिना जाएगा.

जैसे ही दूसरी लहर थमी गुजरात सरकार ने अपना 12 अप्रैल का आदेश वापस ले लिया और एक साल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा कार्य का एक नया निर्देश जारी कर दिया. इस नए आदेश में 12 अप्रैल के अनुबंध सेवा अवधि को 1:2 के अनुपात में गिने जाने के निर्देश का जिक्र नहीं है. इसमें केवल इतना कहा गया है कि प्रत्येक डॉक्टर को पूरे एक साल की अनुबंध अवधि पूरी करनी होगी. इसे लेकर 4 अगस्त को गुजरात के मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए.

12 अगस्त को गुजरात सरकार ने एक लिखित आदेश जारी कर कहा कि 2018 बैच के छात्रों के सीनियर रेजिडेंसी का साल उनकी अनुबंध सेवा के हिस्से के रूप में गिना जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि जिन छात्रों ने 2021 में सरकारी मेडिकल कॉलेज में अपना सीनियर रेजिडेंसी पूरा किया है उन्हें पिछले बैचों की तरह अनुबंध सेवा में एक और वर्ष नहीं देना होगा. मतलब कि डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से अपने कॉलेजों में सीनियर रेजिडेंट के बतौर एक वर्ष बिताना होगा या अपनी अनुबंध सेवा से बाहर निकलने के लिए भुगतान करना होगा. भावनगर के एक रेजिडेंट डॉक्टर के अनुसार, "इससे हमें कुछ राहत मिली है लेकिन निश्चित रूप से हम सरकार से भी निराश हैं क्योंकि उन्होंने हमारी सबसे जरूरी मांग नहीं मानी है. यानी 1: 2 अनुपात की अुनबंध सेवा." मेडिकल कॉलेज के 2018 बैच सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा, "लेकिन हम पर सरकार का दबाव था और हम में से कुछ को डर था कि हमारी नौकरी चली जाएगी या हमें तनख्वाह नहीं मिलेगी इसलिए अभी के लिए यही ठीक है."

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

Keywords: Byramjee Jeejeebhoy Medical College medical college COVID-19 Deaths COVID-19 coronavirus Gujarat pandemic
कमेंट