"भारत पूर्ण विकसित महामारी से निपटने के लिए तैयार नहीं", पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव

23 मार्च 2020
अदनान अबीदी/रायटर्स
अदनान अबीदी/रायटर्स

कानुरु सुजाता राव ने 2009 से 2010 तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव के रूप में कार्य किया. इससे पहले राव राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की महानिदेशक थी, जो स्वास्थ्य मंत्रालय का एक प्रभाग है और भारत में एचआईवी/एड्स नियंत्रण कार्यक्रम का शीर्ष निकाय है. वह विश्व स्वास्थ्य संगठन और एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के बोर्डों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. राव ने भारत में स्वास्थ्य सेवा पर एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक है, डू वी केयर : इंडियाज हेल्थ सिस्टम. (क्या हमें भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की परवाह है?)

कारवां में रिपोर्टिंग फेलो तुषार धारा के साथ एक इंटरव्यू में, राव ने कोविड-19 महामारी के लिए भारत की प्रतिक्रिया और परीक्षण के लिए देश के वर्तमान प्रोटोकॉल के बारे में बात की. "परीक्षण नहीं करने से हम कम मामले दर्ज कर सकते हैं या मामले हमारे हाथों से निकल सकते हैं," उन्होंने कहा. "आप जितना अधिक परीक्षण करते हैं, रणनीति उतनी ही मजबूत होती है और महामारी पर नियंत्रण अधिक होता है."

तुषार धारा : भारत वर्तमान में कोविड-19 के प्रसार के संबंध में कहां खड़ा है?

सुजाता राव : अगर आप सरकार के आंकड़ों पर जाएं, तो यह बेहतर हो रहा है. अन्य देशों की तुलना में हम संक्रमण को नियंत्रण करते प्रतीत होते हैं. हमारे यहां अब 315 मामले हैं, जो हमारे जैसी आबादी के लिए बुरा नहीं है. (स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 22 मार्च को रात 8 बजे भारत में कोविड-19 के 329 सक्रिय मामले सामने आए थे.) यह देखते हुए कि दुनिया भर में लगभग तीन लाख लोग इससे संक्रमित हैं और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए है कि हम एक अत्यधिक आबादी वाले देश हैं जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली बहुत बेहतर नहीं है, हम अच्छा कर रहे हैं. अगर ये आंकड़े सही हैं तो यह अच्छी स्थिति है. लेकिन इन आंकड़ों पर संदेह खड़ा होता है क्योंकि परीक्षण अपर्याप्त किया गया है. प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर लगभग 10 लोगों का परीक्षण किया गया है.

तुषार धारा : कोविड परीक्षण के लिए भारत की नीति तैयार करने वाली नोडल एजेंसी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है कि सामुदायिक संक्रमण का कोई सबूत नहीं मिला है. इस दावे में कितना दम है?

तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.

Keywords: COVID-19 health policy Ministry of Health and Family Welfare public health
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