18 मार्च को कोविड-19 से चौथे भारतीय की जान गई. 70 वर्षीय बलदेव सिंह ने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पहले पंजाब के रूपनगर जिले के पवित्र शहर आनंदपुर साहिब के होला मोहल्ला उत्सव में भाग लिया था. छह दिन तक चलने वाले इस सालाना आयोजन में हर साल देश और दुनिया के लाखों सिख भाग लेते हैं. रूपनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वप्न शर्मा के अनुसार, बलदेव इटली होते हुए जर्मनी की दो सप्ताह की यात्रा से लौटे थे. घर आने से पहले वह 8 से 10 मार्च तक उत्सव में शामिल होने के लिए आनंदपुर साहिब में रुके और छह दिन बाद उनकी मौत हो गई. मौत के अगले दिन उनके कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. पंजाब के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक मीडिया बुलेटिन के अनुसार, 21 मार्च तक बलदेव ने नोवेल कोरोनावायरस से परिवार के छह सदस्यों सहित सात लोगों को संक्रमित कर दिया था.
बलदेव राज्य के शहीद भगत सिंह नगर जिले में अपने गांव पथलावा के गुरुद्वारे में ग्रंथी थे. स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि विदेश से लौटने के बाद वह गांव में थे. उन्होंने पथलवा में पाठ करवाया था और भक्तों को प्रसाद वितरित किया था. बलदेव एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते थे. जांच के बाद 21 मार्च को परिवार के छह सदस्यों में कोरोना की पुष्टि हुई. शहीद भगत सिंह नगर जिले में नगरपालिका परिषद नवांशहर के सहायक जनसंपर्क अधिकारी रवि इंदर सिंह मक्कड़ के अनुसार, “प्रशासन ने बलदेव सिंह के संपर्क में आए पारिवारिक सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के 18 नमूने लिए थे. उनके परिवार के छह सदस्य संक्रमित पाए गए, जबकि बाकियों की रिपोर्ट आनी बाकी है.” संक्रमित हुए परिवार के सदस्यों में उनके तीन बेटे, उनकी बेटी, उनकी बहू और पोती शामिल हैं. जिस सातवें व्यक्ति का परीक्षण सकारात्मक रहा वह पंजाब के होशियारपुर जिले के गढ़शंकर शहर के निवासी थे. स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि वह बलदेव के रिश्तेदार थे और विदेश से लौटने के बाद बलदेव उनसे मिले थे.
इन नवीनतम मामलों के साथ, पंजाब में पुष्टि नोवल कोरोनावायरस मामलों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. होला मोहल्ला भारत में होने वाली सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक है. स्वप्न शर्मा ने बताया कि 35 से 40 लाख लोग आम तौर पर आनंदपुर साहिब की सभा में शामिल होते थे. चल रहे सार्वजनिक-स्वास्थ्य संकट के बावजूद, इस बार लगभग 20 लाख लोग त्योहार में आए थे. आयोजन की व्यापकता और बलदेव के परिवार के सदस्यों में संक्रमण के मद्देनजर, पंजाब में संक्रमण की संख्या में और वृद्धि होने की आशंका है.
इस स्थिति के कारण शहीद भगत सिंह नगर जिला प्रशासन ने कठोर कदम उठाए हैं. 20 मार्च को शहीद भगत सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट विनय बुबलानी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की, लोगों को घर के भीतर ही अलग-थलग रखा और जिला राजस्व अधिकारी के रूप में इसकी निगरानी करने के लिए पुलिस टीम के साथ एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया. आदेश में उल्लेख किया गया है कि यह "21.03.2020 को शाम 5 से प्रभावी होगा और 20.05.2020 को 5 बजे तक 60 दिनों तक प्रभावी रहेगा." इसके अलावा, गढ़शंकर के निवासियों ने कहा है कि क्षेत्र से कोविड-19 के सकारात्मक मामले आने के बाद, राज्य पुलिस ने होशियारपुर के कुछ गांवों को सील कर दिया है जहां बलदेव गए थे.
बलदेव का मामला पंजाब के राजनीतिक और धार्मिक अधिकारियों के कोविड-19 महामारी के प्रति ढीलेढाले रवैए और आगे आने वाले बहुत ही गंभीर नतीजों की एक झलक पेश करता है. जब यह सामने आया कि कोविड-19 से बलदेव की मौत हो गई तब जाकर रूपनगर जिला प्रशासन कार्रवाई में जुटा और वायरस के फैलने को रोकने के लिए घर-घर जाकर सर्वे किया गया. फिर भी मृत्यु से पहले तक इतनी सावधानी उसने नहीं दिखाई जबकि हजारों प्रवासी सिख त्योहार के लिए पंजाब लौटे थे. दिल्ली और पंजाब हवाई अड्डे के प्रशासन से लेकर धार्मिक प्रशासन तक, राज्य सरकार और राजनीतिक दलों तक, हर कोई सामूहिक रूप से महामारी की गंभीरता को पहचानने में नाकाम रहा, जबकि दुनिया भर में नाटकीय ढंग से मौतें बढ़ गईं थी.
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