7 अप्रैल को भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजकुमार पांडे की पत्नी प्रीति पांडे का एक वीडियो मध्य प्रदेश में, खासकर भोपाल में खूब वाइरल हुआ. उस वीडियो में प्रीति बता रही हैं कि कैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में आईटी एक्सपर्ट उनके पति को अपने सहकर्मियों के साथ एक बैठक में भाग लेने के चलते कोविड-19 संक्रमण हो गया है. वह बैठक सरकारी अधिकारियों ने महामारी के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए बुलाई थी. मध्य प्रदेश में राजकुमार सहित कई राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यकर्ता कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं. मध्य प्रदेश में इस विभाग के लगभग सभी लोगों को क्वारंटीन में रखे जाने के चलते, प्रदेश में महामारी का संकट और गहरा गया है.
प्रीति वीडियो में बोल रही हैं, “उन्होंने अपना टेस्ट करवाया तो रिजल्ट पॉजिटिव आया और वह एम्स अस्पताल (भोपाल) में एडमिट हो गए. दो दिन से वहां एडमिट हैं लेकिन कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आ रहा, पूछने नहीं आ रहा है. आइसोलेशन के नाम पर उन्हें सिर्फ दो दवाइयां मिली हैं – सेट्रीजिन और पैरासिटामोल.” फिर खुद को संभालने के लिए प्रीति रुकती है और कहती है, “न उन्हें विटामिन सी की गोली मिल रही है न गवर्मेंट का कोई प्रोटोकॉल फोलो कर रहे हैं वे लोग और खाना भी वहां का बहुत बुरा है. दो दिन से वह परेशान हैं. उन्होंने सबसे रिक्वेस्ट किया कि वहां से निकाल कर उन्हें चिरायु (निजी अस्पताल) में शिफ्ट कर दें. लेकिन वे लोग बिल्कुल सुन नहीं रहे हैं.”
जिस दिन यह वीडियो शेयर हो रहा था भोपाल एम्स के जनसंपर्क अधिकारी ने वक्तव्य जारी कर प्रीति के आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि अस्पताल सभी मरीजों का इलाज प्रॉटोकॉल के तहत और समर्पित होकर कर रहा है और राजकुमार की नियमित जांच हो रही है.” पीआरओ ने प्रीति के वीडियो को “प्रॉपगेंडा” बताया और कहा कि इसका राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों के हौसले पर बुरा असर पड़ेगा. लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के स्वास्थ्य आयुक्त फैज अहमद फैज ने एम्स, भोपाल के निदेशक को खत लिख कर बताया कि कोविड-19 से संक्रमित 11 एएचएम कर्मियों को एम्स से चिरायु हस्पताल ले जाया जाएगा.
मध्य प्रदेश में अब तक चार सौ से ज्यादा पुष्ट मामले सामने आए हैं और यह तेजी से कुप्रबंधन के लिए बदनाम होता जा रहा है. 8 अप्रैल को सरकार ने इंदौर, भोपाल और उज्जैन को पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया और इसके दूसरे दिन इंदौर में एक डॉक्टर की मौत इस वायरस से हो गई. यह भारत में इस वायरस से किसी डॉक्टर की पहली मौत थी. भोपाल के 74 पुष्ट मामलों में 34 स्वास्थ्य कर्मियों और 15 पुलिस और उनके परिजनों के हैं. मैंने इस संबंध में राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग के सचिव पी. नरहरि को सवाल भेजे तो उनका ईमेल आया, “यह सच है कि पुलिस अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग और उनके परिवार के कुछ सदस्यों में संक्रमण मिला है और वे जहां रह रहे है वह जगह कंटेनमैंट जोन है.”
मार्च के मध्य में, जब दूसरे राज्य कोविड-19 से खिलाफ लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे थे, राज्य में राजनीतिक उठापटक चल रही थी. भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रस सरकार को पठकनी देकर सरकार कब्जा ली और शिवराज चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए. 23 मार्च को, देशव्यापी लॉकडाउन के दो दिन पहले, चौहान ने खचाखच भरे राज भवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उस वक्त सरकार को सोशल डिसटेंसिंग का ख्याल नहीं आया.
इसके बावजूद नरहरि ने दावा कि राज्य सरकार “विपदा से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है” और वह “अपनी जनता की भलाई का कोई भी अवसर हाथ से जाने नहीं देगी.” उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी से “समाज को निजाद दिलाने के लिए लड़ रहे स्वास्थ्य विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस, शहरी विकास और अन्य कर्मचारियों के लिए हमने 50 लाख रुपए का बीमा कवर बनाया है.” जब उनसे पूछा गया कि सरकार स्वास्थ्य मंत्री या कैबिनेट मंत्री क्यों नियुक्त नहीं कर पाई है, तो नरहरि ने दावा किया कि “कोविड-19 महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई एक स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्ति से कहीं बड़ी है.” नरहरि ने लिखा, “जैसे ही मैंने राज्य की जिम्मेदारी संभाली कोरोना संकट से लड़ने की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई और मैंने अपनी पूरी टीम को इसमें लगा दिया. हमारी प्राथमिकता महामारी को नियंत्रित करना है.”
मध्य प्रदेश के खाद्य अधिकार कार्यकर्ता सचिन जैन ने इस बारे में मुझसे कहा, “चौहान ने मुख्यमंत्री बनने की जैसी जल्दबाजी दिखाई थी वैसी जल्दबाजी मंत्रीमंडल के गठन में क्यों नहीं दिखाई जा रही?” जैन ने कहा, “ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश सरकार दुनिया को यह दिखाना चाहती है कि समाज सरकार के बिना भी चल सकता है. राज्य में कैबिनेट नहीं है, सिर्फ मुख्यमंत्री ने शपथ ली है...आने वाले दिनों में शहर को इस ढिलाई की कीमत चुकानी पड़ेगी. इस लापरवाही ने समाज के सभी वर्गों को संकट में डाल दिया है. संकट का संबोधन करने की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है.”
सच तो यह है कि मध्य प्रदेश का लगभग पूरा स्वास्थ्य विभाग या कोरोना पॉजिटिव है या क्वारंटीन में है. 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से बचे लोगों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा बताती हैं, “राज्य में स्वास्थ्य मंत्री नहीं है और पूरी सरकारी मशीनरी सुस्त पड़ी है." भोपाल गैस त्रासदी में बचे लोगों में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है जो उन्हें कोविड-19 की चपेट में आने के भारी खतरे में डालती है. फिर भी सरकार ने इन चिंताओं को संबोधन करने की कोई तत्परता नहीं दिखाई है.
ढींगरा ने बताया, "सरकार ने खाद्य कमी या नागरिकों की बढ़ती चिकित्सा जरूरतों से निपटने के लिए कोई योजना या प्रोटोकॉल नहीं बनाया है. वे हमसे उम्मीद करते हैं कि हमलोग सामाजिक दूरी बनाए लेकिन उन लोगों ने पूरा मार्च बीजेपी की सरकार को सत्ता में वापस लाने पर लगा दिया और स्वास्थ्य एहतियात की पूरी उपेक्षा की.” बीजेपी के सत्ता में आने के बाद, राज्य के स्वास्थ्य-नीति के फैसले स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच बैठकों में लिए गए. प्रीति पांडे ने भी वीडियो में बताया है कि इन्हीं बैठकों में से किसी में राजकुमार संक्रमित हुए थे. स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा, लगभग 12 आईएएस अधिकारियों के साथ-साथ चौहान और किदवई इन बैठकों में भाग लेने के बाद क्वारंटीन में रखे गए हैं. खाद्य अधिकार कार्यकर्ता जैन ने कहा, "हमारे पास न खाद्य मंत्री है, न स्वास्थ्य मंत्री हैं और सभी निर्णय एक ऐसा व्यक्ति ले रहा है जो खुद संक्रमित रोगियों के संपर्क में आने के बाद आइसोलेशन में है."
स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव, पल्लवी जैन गोविल, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक जे. विजयकुमार और स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त निदेशक वीना सिन्हा, सभी का अप्रैल के पहले सप्ताह में हुआ वायरस परीक्षण सकारात्मक यानी पॉजिटिव रहा. गोविल और सिन्हा वायरस की चपेट में आने वाले पहले स्वास्थ्य अधिकारियों में से थे और जैसा कि बताया जाता है कोविड महामारी पर हुई हर बैठक में शामिल हुए थे. ढींगरा ने कहा, “यहां कोई मंत्री परिषद नहीं है. सभी क्वारंटीन में हैं. हमें बताया गया है कि वे बैठक कर रहे हैं और निर्णय ले रहे हैं, लेकिन जमीन पर कोई असर नहीं दिख रहा है, मैंने जिन समुदायों के साथ काम किया है उनके पास दिन में दो वक्त का भोजन नहीं है.” उन्होंने आगे कहा, "सार्वजनिक-स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो चुकी है और वे लोगों तक भोजन, दवा और उपचार तक नहीं पहुंचा रहे हैं.”
राज्य मशीनरी के पूरी तरह से निष्क्रिय होने के साथ ही शहर के आलीशान चार इमली इलाके को, जहां वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की रिहाइश है, कंटेनमैंट जोन घोषित कर दिया गया है. आसपास के क्षेत्रों में कोरोना मामलों का पता चलने के बाद मुख्यमंत्री निवास और राज भवन भी कंटेनमैंट क्षेत्र में आ गए हैं. गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य अधिकार मंच के सह-संयोजक अमूल्य निधि ने बताया, "मध्य प्रदेश में स्थिति चिंताजनक है. विशेष रूप से इंदौर और भोपाल में. मौतों की संख्या बढ़ रही है और साथ ही संक्रमण दूसरे जिलों में भी फैल रहा है. सरकार को तुरंत एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और योजना बनाने के लिए लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समाज को आमंत्रित करना चाहिए.”
प्रीति ने अपने वीडियो में कहा कि अस्पताल में जो कनिष्ठ सरकारी अधिकारी बतौर मरीज भर्ती हैं, उनकी उचित देखभाल नहीं हो रही है. "वे लोग सिर्फ ऊंची पोस्ट के लोगों की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं," प्रीति वीडियो में कहती हैं. वह आगे बताती हैं, “उनकी लापरवाही की हद देखिए मैं तीन दिन से अपने तीन साल के बेटे के साथ इस घर में बंद हूं लेकिन एनएचएम की तरफ के कोई भी हमारा सैंपल लेने नहीं आया है. मैं कल सुबह से उनका वेट कर रही हूं. मेरे पति की रिपोर्ट को आए हुए घंटों हो गया है लेकिन अभी तक कोई नहीं आया. मेरे पति खुद फोन करके कह रहे हैं कि जाकर मेरी बीवी और बच्चे का सैंपल कलेक्शन कर लीजिए वे लोग टेंशन में हैं लेकिन अभी तक कोई नहीं आया.”
प्रिती ने आगे कहा कि प्रशासनिक लापरवाही का स्तर ऐसा है कि पति के पॉजिटिव होने की खबर आने के बाद भी इलाके में सैनिटाइजेशन का काम नहीं हुआ है. वीडियो के आखिर में प्रीति बताती हैं, “मैं अपना वीडियो सिर्फ इसलिए शेयर कर रही हूं कि मेरा यह वीडियो माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय प्रधानमंत्री जी तक पहुंचे ताकि मुझे और मेरे परिवार को, मेरे पति को सही उपचार मिल सके.”
जबकि स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्त होना बाकी है फिर भी मुख्यमंत्री उस तत्परता से काम करते नहीं दिख रहे जिसकी इस संकट में जरूरत है. नरहरि का जवाब बताता है कि चौहान ने अभी भी कैबिनेट के गठन पर कोई निर्णय नहीं किया है. नरहरी ने लिखा है, "इस समय, नागरिक हित, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सर्वोपरि है और यही हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. कैबिनेट के गठन के संबंध में जो भी निर्णय लिया जाएगा, आपको निश्चित ही उसके बारे में सूचित कर दिया जाएगा.”