15 अप्रैल को कारवां अंग्रेजी ने “मोदी सरकार ने कोरोना संबंधी जरूरी फैसलों से पहले आईसीएमआर द्वारा गठित कार्यबल से नहीं ली सलाह” शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की. स्वास्थ्य मामलों की पत्रकार विद्या कृष्णन की उस रिपोर्ट में खुलासा किया था कि कोविड-19 पर देश के शीर्ष विज्ञानिकों वाले 21 सदस्यीय कार्यबल को गठित करने के बावजूद केंद्र सरकार ने महामारी से संबंधित नीतिगत फैसलों में कार्यबल के सदस्यों से परामर्श नहीं किया. रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले कारवां ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को ईमेल और संदेश भेजे थे लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो भी रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद आईसीएमआर ने एक ट्वीट किया कि कारवां की रिपोर्ट गलत है. इसके बाद प्रेस सूचना ब्यूरो फैक्ट चैक ने अपने ट्विटर हैंडल से कारवां की रिपोर्ट को फेक न्यूज बताया.
इसके बाद कृष्णन ने आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव, कार्यबल के अध्यक्ष विनोद पॉल, पीआईबी फैक्ट चैक के अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए पीआईबी की सहायक महानिदेशक मनीषा वर्मा को ईमेल कर स्पष्ट किया कि कारवां की रिपोर्ट कार्यबल के चार सदस्यों के हवाले से लिखी गई है और आईसीएमआर या पीआईबी ने रिपोर्ट में उठाए गए जरूरी सवालों का जवाब नहीं दिया है. कृष्णन ने उन्हें यह भी बताया कि रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले भार्गव और पॉल को जवाब देने के लिए पर्याप्त वक्त दिया गया था लेकिन दोनों ने जबाव नहीं दिया. चूंकि आईसीएमआर ने रिपोर्ट में उठाए गए जरूरी सवालों का जवाब नहीं दिया इसलिए कृष्णन ने पीआईबी से पूछा है कि उसने किन तर्कों के आधार पर उनकी रिपोर्ट को गलत बताया है.
कृष्णन ने पॉल और भार्गव को जवाब देने के लिए 16 अप्रैल की दोपहर तक का समय दिया था. उस दिन सुबह 9.53 बजे उन्हें पीआईबी फैक्ट चैक का जवाबी ईमेल आया कि उनके ईमेल को वर्मा को फॉर्वर्ड कर दिया गया है. इस खबर को प्रकाशित किए जाने तक भार्गव, पॉल या वर्मा किसी ने भी जबाव नहीं दिया है.
पत्रकार कृष्णन ने पॉल, भार्गव और वर्मा को लिखे अपने ईमेल में इन 11 सवालों के जबाव मांगे हैं :
1. आईसीएमआर ने ट्वीट किया है कि पिछले महीने कार्यबल ने 14 बार बैठकें की थी. कार्यबल के सदस्यों ने बताया है कि लॉकडाउन की घोषणा से पहले के हफ्ते में कोई बैठक नहीं हुई. क्या 8 और 13 अप्रैल के बीच कार्यबल की कोई बैठक हुई थी?
कमेंट