कोविड टीका कार्यक्रम में शामिल होने का वह बेचैन करने वाला एहसास

06 नवंबर 2020

इस साल अगस्त के अंत में मैंने एक कोविड-19 टीका परीक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनना तय किया. मैंने यह निर्णय यूं ही ले लिया था. शायद पत्रकार होने के कारण एक जिज्ञासा के चलते मैंने यह कदम उठाया था. मैं इस नैदानिक परीक्षण के पीछे की प्रक्रिया को समझने के लिए उत्सुक थी जो दुनिया को चकित कर देने वाली महामारी को नियंत्रित करने के लिए एक ऐतिहासिक प्रयास का हिस्सा था. मैंने अपने पास किए जा रहे ट्रायल पर कुछ शोध किए तो पता चला कि वह ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशिल्ड है. इस वैक्सीन में एडेनोवायरस के सार्स-कोव-2 वायरस का स्पाइक प्रोटीन डाला गया है जो चिंपानजियों में पाया जाने वाला एक प्रकार का वायरस है.

वैक्सीन के लिए एडेनोवायरस वेक्टर को इस तरह से संश्लेषित किया जाता है कि यह एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद रेप्लिकेट नहीं ही हो सकता और इसलिए वह किसी बीमारी का कारण नहीं बन सकता है. उम्मीद यह है कि यह टीका स्पाइक प्रोटीन व्यक्तों की प्रतिरक्षा को मजबूत करेगा और लोगों के सार्स-कोव-2 के संपर्क में आने पर कोविड-19 रोग विकसित होने से रोकेगा.

रजिस्टर होने का फैसला करने से पहले मैंने परीक्षण में शामिल एक डॉक्टर के साथ बात की, जिसने मेरी चिंता को सही मानते हुए बताया कि मेरा अस्थमा मुझे इस परीक्षण के लिए अयोग्य बना सकता है और मैं स्क्रीनिंग पास नहीं करूंगा. मुझे यह सुनकर कुछ हद तक राहत मिली कि यदि मेरे परीक्षण में शामिल होने की संभावना नहीं है तो मुझे इसमें शामिल जोखिमों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता नहीं है. यही वह तर्क था जो मैंने डिनर टेबुल अपने माता-पिता को बताई थी. जो मेरे फैसले से तनाव में थे. "वैसे भी जब मेरे चयन की संभावना ही नहीं है तो पंजीकरण करने में हर्ज ही क्या है?," मैंने अपनी मां से कहा था.

मैंने एक ईमेल भेज कर परीक्षण में भाग लेने की अपनी रुचि व्यक्त की. अक्टूबर के मध्य तक मेरे लिए यह समस्या सुलझ गई और मुझे परीक्षण करने वाले एक अस्पताल से फोन आया कि मुझे औपचारिक जांच के लिए आना है.

अगले दिन मैं उत्सुकता के साथ अस्पताल के संचारी रोग वार्ड के बाहर प्रतीक्षा कक्ष में खड़ी थी. मेरे अलावा वहां एक नौजवान महिला, एक मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति और एक भूरे बालों वाले वृद्ध व्यक्ति भी स्क्रीनिंग रूम के बाहर बैठकर धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

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