भारत की महत्वाकांक्षी कोविड-19 जीनोम सीक्वेंसिंग परियोजना के उतार-चढ़ाव

16 फरवरी 2022 को पुणे में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में जीनोम सीक्वेंसिंग पर काम करते परियोजना सहायक.
प्रथम गोखले/हिंदुस्तान टाइम्स
16 फरवरी 2022 को पुणे में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में जीनोम सीक्वेंसिंग पर काम करते परियोजना सहायक.
प्रथम गोखले/हिंदुस्तान टाइम्स

29 जनवरी 2020 की रात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव की जिंदगी की सबसे तनावपूर्ण रात थी. यादव ने मुझे बताया, "मुझे वह रात बहुत अच्छी तरह से याद है." उनके कुछ दिन तो यही सुनिश्चित करने में बीत गए थे कि उनकी प्रयोगशाला उन पहले दो भारतीयों के नमूनों की जांच करने के लिए तैयार है या नहीं, जिनके बारे में माना गया था कि उन्हें कोविड-19 है. उस दिन की शुरुआत में यादव ने यह पुष्टि करने के लिए कि दुनिया भर में फैल रही खतरनाक नई बीमारी के नमूने वास्तव में पॉजिटिव है या नहीं, दो अलग-अलग प्रयोगशालाओं में दो दौर की जांच की थी. शाम तक वह वायरल नमूनों की सीक्वेंसिंग (अनुक्रमण) करने और वायरस के आनुवंशिक संरचना को समझने के लिए अपनी प्रयोगशाला में वापस आईं.

यादव चश्मा पहने वालीं एक मृदुभाषी महिला हैं. उन्होंने जीनोमिक सीक्वेंसिंग की शब्दावलियों को बड़े धैर्य के साथ मुझे समझाया और मेरे सवालों के जवाब दिए. "मैंने और मेरी टीम ने शाम 7 बजे तक जांच कार्य पूरा किया और घर चले गए लेकिन अपनी सीक्वेंसिंग रणनीति पर चर्चा करने के लिए रात 10.30 बजे तक परिसर में वापस आ गए थे," उन्होंने याद करते हुए कहा. यादव और एनआईवी की निदेशक प्रिया अब्राहम ने तय किया कि टीम सीक्वेंसिंग को पूरा करने के लिए रात भर काम करेगी. यह कठिन काम था और कष्टदायक भी. उन्हें एक अत्यधिक संक्रामक नए रोगजनक के नमूनों का अध्ययन करना था जिसके बारे में वे इस तथ्य के अलावा बहुत कम जानते थे कि यह लोगों को बहुत बीमार बना रहा था और तेजी से लोगों की जान ले रहा था. उन्हें दम घोटू सुरक्षात्मक उपकरण भी पहनने पड़े, जिससे प्रयोगशाला के भीतर की भौतिक स्थिति असहनीय हो गई. यादव और उनकी टीम ने रात और अगले दिन काम करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी और अपने परिवारों से आने वाले बेचैनी भरे फोन कॉलों की अनदेखी की. उन्होंने 30 जनवरी की सुबह तक सीक्वेंसिंग पूरी कर ली. यादव ने मुझे बताया, "आखिरकार हमारे पास एक संपूर्ण जीनोम अनुक्रम या कहें कि वायरस का ढांचा था."

यादव ने जो डिकोड किया था वह उनके द्वारा भेजे गए नमूने से वायरस की संरचना और गठन था जो दुनिया भर के कई समान नमूनों में से एक जो वायरस की कार्यविधि को सुलझाने में मदद कर सकता था और यह भी बता सकता था कि बीमारी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.

सार्स-कोव-2 वायरस जो कोविड-19 का कारण बनता है, एक एकल आरएनए स्ट्रैंड से बना होता है जिसमें विकसित होने और गुणात्म वृद्धि करने के लिए आवश्यक सभी तत्व होते हैं. न्यू यॉर्क जीनोम सेंटर के पोस्टडॉक्टरल छात्र साकेत चौधरी ने कहा, "मूल रूप से हम आरएनए के इस स्ट्रैंड को देखते हैं और हम प्रोटीन बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पैटर्न को देखते हैं, जो खुद को दोहराते हैं और संभावित होस्ट को संक्रमित करते हैं. तो हम इस जानकारी का उपयोग दवाओं के निर्माण और नए टीके विकसित करने के लिए कर सकते हैं जो वायरस के इन पैटर्न को तोड़ सकते हैं. जितना अधिक आप इसके बारे में जानते हैं कि यह कैसे कार्य करता है, उतना ही आप इसे बेअसर करने में काबिल होंगे."

यादव और उनके सहयोगियों के उस पहले नमूने को अनुक्रमित करने के बाद से भारत के जीनोमिक अनुक्रमण प्रयास महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़े हैं. यादव की टीम को जांच और सीक्वेंसिंग से लैस देश की इकलौती प्रयोगशाला में यह काम करना था. 2020 के मध्य तक जैव प्रौद्योगिकी विभाग, जो केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय​ के अंतर्गत आता है, से जुड़े कुछ भारतीय वैज्ञानिकों ने देश भर में संक्रमित व्यक्तियों से रक्त के नमूनों का एक प्रतिनिधि पूल इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. उन्होंने पाया कि वायरस के विभिन्न उत्परिवर्तन पहले ही स्थानीय रूप से उभरने लगे थे, खासकर उन राज्यों में जहां संक्रमण में वृद्धि देखी गई थी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के पूर्व निदेशक डॉ सौमित्र दास ने कहा, "यह एक आरएनए वायरस है और हम जानते थे कि यह जल्दी से उत्परिवर्तित होने की संभावना रखता है, लेकिन किस पैमाने पर और इतनी तेजी से, यह नहीं जानते थे. 2020 के उत्तरार्ध तक यह और ज्यादा साफ हो गया था कि मामलों में वृद्धि और वायरस में भिन्नता के बीच एक संबंध था. तो एक महत्वपूर्ण सवाल सामने आया : वेरिएंट और इन उछाल के बीच ठीक-ठीक जुड़ाव क्या है?

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

Keywords: COVID-19 Deaths cover COVID-19 SARS-CoV2 Kumbha and Covid INSACOG
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