विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना भारत को स्थानीय संक्रमण वाला देश लेकिन सरकार कर रही नजरअंदाज

संजीव वर्मा/हिंदुस्तान टाइम्स/गैटी इमेजिस

बीते शुक्रवार यानी 13 मार्च को नोएडा की एक चमड़ा कंपनी के कर्मचारी को कोरोनावायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद कंपनी के 707 कर्मचारियों को घर पर रहने का निर्देश दिया गया. 46 वर्षीय संक्रमित व्यक्ति हाल ही में इटली से लौटा था, जो चीन के बाद इस बीमारी से प्रभावित दूसरा सबसे बड़ा देश है. इटली में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 17660 हो गई है. कोरोनावायरस से इटली में कुल 1266 लोगों की मौत हो चुकी है. यह संख्या कुल संक्रमित लोगों की संख्या का 7 प्रतिशत है.

चमड़ा कंपनी के सभी कर्मचारियों को घर पर रहने का निर्देश दिए जाने से पहले, वायरस के लक्षण वाले उस व्यक्ति ने वहां काम करना जारी रखा था. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि क्वारंटीन करने का मतलब व्यक्ति का संक्रमित होना नहीं होता. उसी दिन हुई एक प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया, “हम अलग-अथल किए गए लोगों से संपर्क बनाए हुए हैं और यदि उनमें संक्रमण के संकेत नजर आते हैं तो उन्हें बाकी लोगों से अलग रख कर विशेष चिकित्सा देख-भाल में रखा जाएगा.”

इस मामले की परिस्थितियों को देखने पर और संक्रमित व्यक्ति को अलग करने में हुई देरी के कारण, बाकी लोगों में कोविड-19 के संक्रमण की गंभीर संभावना बनी हुई है. शुक्रवार को हुई दो अलग-अलग प्रेस वार्ताओं में स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोनावायरस के स्थानीय संक्रमण की संभावना को कम करके आंका.

गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोनावायरस पर जारी की गई नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में भारत को उन देशों की सूची में रखा गया है जिनमें संक्रमण देश के ही लोगों से एक दूसरे में फैल रहा है. इस सूची में भारत के साथ इटली, कोरिया और चीन भी हैं. ये सभी देश घरेलू स्तर पर मानव से मानव में तेजी से फैल रहे संक्रमण के उच्च दबाव का सामना कर रहे हैं.

कोविड-19 महामारी से बचाव में भारत सरकार संक्रमण से निपटने के लिए इस धारण के तहत काम कर रही है कि डब्ल्यूएचओ ने इसे "विदेशों से आने वाले लोगों में ही होने की संभावना जताई है." मतलब इसका संक्रमण केवल विदेशों से आए यात्रियों तक ही सीमित है. सभी प्रयास केवल कुछ लोगों के वीजा रद्द करने, देश की सीमाओं को काफी हद तक सील कर देने और हाल ही में विदेश की यात्रा से लौटे कुछ लोगों और उनके साथ संपर्क रखने वाले व्यक्तियों के लिए वायरस के परीक्षण तक ही सीमित हैं. डब्ल्यूएचओ ने यह संकेत दिया है कि भारत एक दोषपूर्ण धारणा के तहत काम कर रहा है. सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम महामारी से निपटने के लिए काफी नहीं हैं. परीक्षण की संख्याओं को कम रखकर भारत संक्रमण के संकट को कम आंकने की कोशिश कर रहा है.

एक निजी थिंक टैंक के साथ काम करने वाले स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "मुझे डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर पूरा भरोसा है क्योंकि उनके पास स्पष्ट रूप से परिभाषित मापदंड हैं."

“सरकार ने कुछ दिनों पहले देश की सीमाओं को सील कर दिया”, विशेषज्ञ ने कहा, “लेकिन यह स्पष्ट है कि कोविड-19 के कई संक्रमित लोग, जिनमें अभी तक संक्रमण के लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं, पिछले हफ्तों में भारत आए हैं. हम नहीं जानते कि वे कौन हैं और हम उन्हें तेजी से खोजने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं."

विशेषज्ञ ने इस बीमारी का एक विकट पूर्वानुमान लगाया है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सुप्त रूप से स्थानीय संक्रमण जारी है." वह आगे कहते है, “यह ऐसी चीज नहीं है जिसे छिपाया जा सके. एक सप्ताह के भीतर अस्पतालों में इससे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाएगा और तब हम पता लगा पाएंगे कि इन दिनों में हमसे कितने मामले छूट गए थे." 

एक सरकारी चिकित्सा अधिकारी ने नाम न छापने पर जोर देते हुए कहा, "फिलहाल मेरी सहानुभूति सरकार के साथ है इसलिए नहीं कि मैं उनके लिए काम करता हूं बल्कि इसलिए क्योंकि मुझे लगता है कि वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुझे लगता है कि परीक्षणों की संख्या और अधिक होनी चाहिए लेकिन मैं जानता हूं कि सरकार परीक्षण किटों की खरीद और उनके सत्यापन के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. जिस समय उन्हें लगेगा कि उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं वे परीक्षण मानदंडों का विस्तार करेंगे.” फिलहाल मुट्ठी भर सरकारी मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को वायरस के परीक्षण की अनुमति दी गई है और निजी प्रयोगशालाओं को इससे बाहर रखा गया है.

अधिकारी ने कहा, "सरकार निजी क्षेत्र के साथ काम करने के खिलाफ नहीं है. परीक्षण किट उपलब्ध होने पर वे साथ काम करेंगे." अभी तक दक्षिण कोरिया एकमात्र देश है जिसने संक्रमण के लक्षण दिखने पर सार्वभौमिक परीक्षण की अनुमति दी है.

पुष्टि कोविड-19 मामलों में मृत्युदर 0.7 प्रतिशत है. डब्लूएचओ ने वैश्विक स्तर पर 3.4 प्रतिशत मृत्युदर की सूचना दी है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बीमारी का जल्दी पता लगाने और हस्तक्षेप की अनुमति देने से सार्वभौमिक परीक्षण संचरण की दर के अलावा मृत्युदर को कम करने में मदद मिलेगी. हर दिन जिस तरह भारत अपने सीमित परीक्षण व्यवस्था का विस्तार करने में विफल हो रहा है उससे महामारी के प्रभावों को नियंत्रित करने में वह अपना महत्वपूर्ण समय खोता जा रहा है.

लव अग्रवाल ने प्रेस से बातचीत में वैज्ञानिक साक्ष्यों के विपरीत बयान दिया और कहा कि “संक्रमण की मृत्युदर बहुत कम है.” उन्होंने दवा किया कि सरकार पूरी तरह से जानती है कि क्या करना है और भारत में आपदा जैसी स्थिति नहीं है. उन्होंने लोगों को एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी. भारत में मध्य मार्च तक पुष्ट मामलों की संख्य 100 से अधिक हो गई थी और उस वक्त तक दो लोगों की मृत्यु हो चुकी थी. प्रेस से बातचीत में अग्रवाल ने सरसरी तौर पर बताया था कि उस दिन तक 4000 के आसपास लोग क्वारंटीन की अवस्था में थे. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि एक महिला जो हाल ही में हनीमून से लौटी थी और जिसके पति में कोविड-19 संक्रमण पाया गया था, बार-बार क्वारंटीन से बचती रही और यात्रा करती रही.

चिकित्सा शोध पत्रिका द लेनसेट ने गुरुवार को एक अध्ययान प्रकाशित किया है जिसमें विज्ञानिकों ने अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के वयस्क मरीजों से संबंधित वाली गंभीर बीमारी और मृत्यु के कारणों की जांच की है. अध्ययन ने वुहान के दो अस्पतालों में इलाज किए जाने वाले 191 मरीजों के रिकार्डों की जांच की जिन्हें 31 जनवरी को या तो छुट्टी दे दी गई थी या जिनकी मौत हो गई थी. 191 में से 54 यानी 28 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई थी और 137 लोगों को छुट्टी दे दी गई थी. इस अध्ययन में बताया गया है कि वृद्धावस्था के चलते अधिक जाने गई हैं. लक्षणों के दिखाई देने से लेकर अस्पताल से छुट्टी का समय 22 दिन था. यदि ये आंकड़े भारत के लिए कोई संकेत है तो वह यह कि यदि भारत में महामारी का विस्तार होता है तो भारत के अस्पतालों में मरीजों के लिए उपलब्ध बैड और आईसीयू कम पड़ जाएंगे.

इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि संक्रमित व्यक्ति कितने समय में अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है. कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति 8 से 37 दिनों तक या औसत 20 दिनों तक संक्रमित रहता है. लेकिन जिन 54 लोगों की मौत हुई है, उनमें यह संक्रमण मरने वाले दिन तक रहा. इस अध्ययन के एक लेखक का मानना है कि संक्रमण के समाप्त होने के वक्त के अध्ययन से अलग-थलग रखने से संबंधित हमारे फैसलों को मदद मिलेगी. भारत जैसे देश के लिए जिसने अभी-अभी कोविड-19 संक्रमण को काबू करना शुरू किया है, उसके लिए आने वाले दिन भारी चुनौती वाले होंगे.

अनुवाद : अंकिता