14 मार्च को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के एक महीने बाद 55 वर्षीय राजिंदर वर्मा फिर से कोविड संक्रमित हो गए. इससे दो दिन पहले वर्मा को बुखार, हल्की सर्दी और खांसी हुई थी. उन्होंने कहा, "मैं अब पहले जैसा युवा नहीं हूं इसलिए मैंने सोचा कि यह बस थकावट है और मौसम बदला है इसलिए ठंड लग गई है." लेकिन उनका तापमान बढ़कर 103 डिग्री हो गया और उनके शरीर में दर्द होने लगा. "ऐसा लग रहा था जैसे मेरे भीतर आग जल रही है," उन्होंने मुझे बताया.
वर्मा चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा गार्ड हैं. स्वास्थ्य सेवा संस्थान के कर्मचारी के बतौर उन्हें 16 जनवरी को पहला और 13 फरवरी को दूसरा बूस्टर टीका लगा था. "मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं संक्रमित हो जाउंगा," उन्होंने कहा. “टीके के बाद तो बिल्कुल भी नहीं. किसी ने भी यह नहीं बताया कि टीका लगने के बाद भी संक्रमित होना संभव है. ”
संक्रमित होने का पहला कारण यह है कि प्रतिरक्षा विकसित करने के लिए पहले शॉट के बाद लगभग 45 दिन लगते हैं. दूसरा यह कि प्रयोग होने वाले कोविड-19 के टीके गंभीर बीमारी को रोकते हैं लेकिन संक्रमण को नहीं. वैक्सीन की दो खुराक निर्धारित होने के बाद भी, देश भर में कई स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता दुबारा कोविड -19 से संक्रमित हुए हैं. प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भारत में मौजूदा समय में उपलब्ध दो टीकों- कोविशिल्ड और कोवाक्सिन- में से कोई एक दिया गया है. सबसे अधिक कोविड-19 संक्रमण वाले राज्य महाराष्ट्र में कम से कम आठ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टीकाकरण के बाद भी संक्रमण हुआ है. मध्य प्रदेश, गुजरात और पंजाब में टीकाकरण के बाद भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता बीमारी से संक्रमित पाए गए.
अशोक विश्वविद्यालय के त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक और वीरोलॉजिस्ट या वाइरसविज्ञानी डॉ. शाहिद जमील ने बताया, "पूर्ण प्रतिरक्षा, जो कि पर्याप्त रूप से लंबे समय तक चलने वाली इम्यून मेमोरी को प्रेरित करती है, वह बूस्टर या दूसरी खुराक के बाद लगभग 15 दिन का समय लेती है." स्वास्थ्य श्रमिकों को पहली के लगभग 28 दिनों बाद दूसरी खुराक दी गई थी. इसका मतलब यह था कि प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी में पहली खुराक के 45 दिन बाद ही स्थाई प्रतिरक्षा विकसित होने की संभावना थी.
मध्य प्रदेश के जबलपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के 35 वर्षीय डॉक्टर डॉ. मनीष महोबिया ने प्रतिरक्षा विकसित होने के इस अंतराल के बारे में कोई जवाब नहीं दिया. महोबिया को 15 मार्च की रात दुबारा संक्रमण हो गया था. वह खुद चकित थे क्योंकि उन्हें 29 जनवरी को वैक्सीन का पहला टीका और 26 फरवरी को दूसरा टीका लगा था. "मुझे कभी लगा ही नहीं कि मुझे कोविड-19 हो सकता है," उन्होंने कहा. "थोड़े समय तक तो मैं खुद ही दवाइयां लेता रहा और जब मेरा बुखार 103 डिग्री पार कर गया तब जाकर मैंने जांच कराई. मैंने पूरी महामारी के दौरान कोविड-19 ड्यूटी देते हुए अपने खुद के स्वास्थ्य के डर से सारी सावधानियां बरती, और अब जब मुझे लगा कि जीवन सामान्य होने को है, तो मैं संक्रमित हो गया. ”
नए सबूत बताते हैं कि दो खुराक के बीच एक लंबा अंतराल कोविशिल्ड की प्रभावकारिता को बढ़ाता है. इसके आलोक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 22 मार्च को राज्यों को कोविशील्ड टीकाकरण के बीच के अंतराल को छह सप्ताह से लेकर आठ सप्ताह तक बढ़ाने की सलाह दी.
मैंने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख डॉ. ललित कांत से बात की. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि लोगों में पहले टीके के बाद कोई प्रतिरक्षा क्षमता नहीं बढ़ेगी. बात सिर्फ इतनी है कि अगर वे वायरस के संपर्क में हैं, तो बाद में इस अवधि के भीतर उनमें बीमारी विकसित होने की अधिक संभावना है,” पहले और दूसरे टीके के बीच की अवधि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा. "हालांकि, बगैर टीके के भी उनके पास बीमारी से बचने का बेहतर मौका होगा."
हालांकि टीकाकरण के बाद भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन इस तरह के संक्रमण गंभीर बीमारी में प्रगति करते नहीं जान पड़ते हैं. कोविड-19 टीके प्रतिरक्षा को जीवाणुरहित करते नहीं दिखते जो लोगों में वायरस के संचरण को रोकता है. टीकाकृत व्यक्ति भी संक्रमण का ऐसा वाहक हो सकते हैं, जिनमें खुद संक्रमण के प्रभाव नजर नहीं आते. हालांकि, वे आंशिक प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं जो बीमारी को रोक सकते हैं. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च पुणे में इम्यूनोलॉजिस्ट और संकाय सदस्य विनीता बल ने कहा, "केवल यही आश्वासन कोविड-19 टीके हमें अभी पेश कर सकते हैं कि वे बीमारी के जोखिम को कम करेंगे, सुनिश्चित करेंगे कि लोग अस्पताल में भर्ती न हों और मृत्यु दर कम हो."
जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा ने मुझे बताया कि जिले के कम से कम तीन स्वास्थ्य कर्मचारियों को जानते हैं जिनका बूस्टर खुराक प्राप्त करने के एक सप्ताह के भीतर जांच परीक्षण सकारात्मक रहा. "लेकिन उनमें से सभी में हल्के से मध्यम लक्षण हैं और उनमें से कोई भी अस्पताल में भर्ती नहीं है," उन्होंने कहा. महाराष्ट्र के जालना जिले में, जहां दो स्वास्थ्यकर्मियों सहित तीन सरकारी अधिकारी 11 मार्च को पॉजिटिव पाए गए, के अतिरिक्त सिविल सर्जन पद्मजा सराफ ने मुझे बताया कि उनका मानना है कि वे स्थाई प्रतिरक्षा विकसित करने के लिए 45 दिन के अंतराल से पहले ही वायरस के संपर्क में आ गए थे. उन्होंने कहा, ''उनमें तेजी से सुधार हो रहा है, बस कुछ मामूली बुखार और खांसी है. वे ठीक हो जाएंगे.”
कांत ने एक सहकर्मी डॉक्टर के बारे में बताया, जिन्हें दोनों खुराकें मिलीं लेकिन कोविड-19 से जुड़े उचित व्यवहार का पालन करने में ढिलाई बरती तो मुंबई से लौटने के बाद दिल्ली में वह पॉजिटव हो गए. "वह लगभग सत्तर साल के हैं लेकिन टीका के कारण, कम से कम बीमारी गंभीर नहीं बनी. टीके आवश्यक हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे जान बचाते हैं.”
जमील ने कहा कि कोविड-19 टीकों के संबंध में जो संदेश मिल रहे हैं उनसे जरूरी हो गया है किउनमें बदलाव किया जाए. कोई भी वैक्सीन बीमारी से पूर्ण प्रतिरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है. जमील ने जोर देकर कहा, "कोविड-19 वैक्सीन से न हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं न ही हमें करनी चाहिए." शोधकर्ताओं ने दर्शाया है कि 28 दिनों के अंतराल के साथ दो खुराक में लगने वाले कोविशिल्ड टीके की प्रभावकारिता 55 प्रतिशत है. इसका मतलब यह है कि जिस व्यक्ति को दो निर्धारित खुराक मिलती हैं, उसे वैक्सीन नहीं लगने वाले व्यक्ति की तुलना में कोविड-19 होने 55 प्रतिशत कम संभावना होती है. भारत बायोटेक के अनुसार, कोवाक्सिन की प्रभावकारिता 81 प्रतिशत है. हालांकि, चूंकि कोविड-19 टीके विभिन्न प्लेटफार्मों पर, अलग-अलग समय पर और विभिन्न परिस्थितियों में बनाए गए हैं, इसलिए उनकी रिपोर्ट की गई कार्यकुशलता उतनी तुलनीय नहीं है जैसा कि वोक्स के इस लेख में बताया गया है.
जमील ने चिंता जताते हुए कहा कि बहुत से लोगों को उम्मीद थी कि टीके ऐसे परम अस्त्र होंगे जो महामारी को समाप्त कर देंगे. "पहले कभी भी हमने टीके का उपयोग करके किसी वैश्विक महामारी को समाप्त करने की कोशिश नहीं की है," उन्होंने कहा. "कभी भी इस गति से हमने किसी नई बीमारी के लिए टीका विकसित नहीं किया है."
टीकाकरण के बाद संक्रमण का एक अन्य कारण यह है कि कुछ लोगों में प्रतिरक्षा दूसरों की तुलना में अधिक तेजी से घटती है. जमील ने कहा कि कुछ लोगों के लिए दूसरी खुराक लेने के कुछ ही हफ्तों के भीतर प्रतिरक्षा घट जाना संभव है, जबकि अन्य में यह महीनों तक रह सकती है. यह मानव आबादी में आनुवंशिक भिन्नता के कारण है.
महामारी को नियंत्रित करने के दो मुख्य उपकरणों में से एक है टीकाकरण. दूसरा उपकरण है कोविड-19 से संबंधित व्यवहार जारी रखना. जमील ने कहा, "इस तरह के प्रतिबंधात्मक व्यवहार को कोई भी कहीं भी अपना सकता है. आगे जबकि टीका आपको 45 दिनों में प्रतिरक्षा दे सकता है, कोविड-19 से संबंधित व्यवहार आपको इस दौरान बीमार होने से बचा सकता है. जमील को डर था कि टीका लगने से सुरक्षा की झूठी भावना पैदा हो सकती है और सामाजिक दूरी का पालन करने और मास्क पहनने में कमी आ सकती है. जमशेदपुर के डॉक्टर महोबिया ने कहा कि वह पहले की तरह ही इन निवारक उपायों को अपनाए हुए थे लेकिन उन्होंने देखा कि उनके सहयोगियों ने इन्हें अपनाना छोड़ दिया है. “बेशक, अस्पताल में हम सभी इन सावधानियों को बरतने के आदी हो चुके हैं लेकिन आम जिंदगी में हम ऐसा करके थक चुके हैं. लोग बाजार जाते हैं और अपने मास्क नीचे कर देते हैं. जबकि पहले वह ऐसा करने की हिम्मत नहीं करते थे.” जब मैंने उससे बात की, तो उनका बुखार कुछ कम हो गया था लेकिन खांसी तब भी थी.
कांत ने इस बात पर सहमति जताई कि कोविड-19 टीकों से की जाने वाली अपेक्षाओं में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत है. टीके से क्या उम्मीद की जाए और टीका लगने के बाद किस प्रोटोकॉल का पालन किया जाए, इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सरकार को अपना संदेश बदलना चाहिए था. "हां, वे संभवतः आपको बीमार होने से रोकेंगे और वे कुछ हद तक इसके फैलने को भी कम कर देंगे लेकिन वे कोविड-19 की रोकथाम के लिए रामबाण नहीं हैं," उन्होंने कहा. "हमें अब एक संभावित नई लहर के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है और अपने टीकों से उम्मीद खो देने को हम झेल नहीं सकते."