देश की जरूरत को अनदेखा कर भारत में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन वैक्सीन की 60 करोड़ खुराक पश्चिमी देशों को देने की तैयारी?

23 सितंबर 2021
3 मार्च 2021 को न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में जॉन्सन एंड जॉन्सन जानसेन कोविड-19 वैक्सीन का एक शिपमेंट. आने वाले महीनों में जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की 60 करोड़ भारत निर्मित खुराकें यूरोप या संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात कर सकता है.
जॉनी मिलानो / ब्लूमबर्ग / गैटी इमेजिस
3 मार्च 2021 को न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में जॉन्सन एंड जॉन्सन जानसेन कोविड-19 वैक्सीन का एक शिपमेंट. आने वाले महीनों में जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की 60 करोड़ भारत निर्मित खुराकें यूरोप या संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात कर सकता है.
जॉनी मिलानो / ब्लूमबर्ग / गैटी इमेजिस

ऐसे समय में जब भारत अपने ही नागरिकों का टीकाकरण पर्याप्त रूप से नहीं कर पा रहा है, हैदराबाद में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन सिंगल-शॉट टीकों की 60 करोड़ खुराकें यूरोप तथा अमेरिका को निर्यात करने पर विचार हो रहा है. इस बात को लेकर नागरिक समाज चिंतित है.

यहां सितंबर में लगभग हर दिन कोरोना के 30 से 40 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं. अब तक देश की केवल 14 प्रतिशत आबादी को ही टीके के दोनों डोज लगे हैं. मोदी सरकार ने 2021 के अंत तक देश की वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराक लगा देने का दावा किया है लेकिन भारत विकसित देशों के दबाव में यदि ज्यादातर खुराकों का निर्यात कर देता है तो सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर सकेगी.

20 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने घोषणा की थी कि भारत अक्टूब से कोविड-19 टीकों का निर्यात दुबारा शुरू करने जा रहा है. अप्रैल में आई महामारी की भयानक दूसरी लहर के कारण निर्यात को बंद कर दिया गया था. मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियरेस या डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा एक्सेस अभियान की दक्षिण-एशिया प्रमुख लीना मेंघनी ने प्रतिबंध हटाने का स्वागत तो किया है लेकिन यह भी कहा है कि टीकों की जरूरत जहां सबसे अधिक है उन्हें वहीं भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि “हमें जॉन्सन एंड जॉन्सन की आपूर्ति का हिसाब चाहिए.” मेंघनी ने एक हलफनामे का उल्लेख किया जो केंद्र सरकार ने 29 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि "भारत में निर्मित जॉन्सन एंड जॉन्सन वैक्सीन अगस्त 2021 से उपलब्ध होने की उम्मीद है." मेंघनी ने कहा, "हम इसके बारे में जानना चाहते हैं."

16 सितंबर को 14 नागरिक समाज संगठनों ने जॉन्सन एंड जॉन्सन, भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को एक पत्र लिख बताया था कि जॉन्सन एंड जॉन्सन ने दक्षिण अफ्रीका में लाखों कोविड टीके बनाए किंतु उन्हें यूरोप भेज दिया. पत्र में कहा गया है, “फिलहाल जॉन्सन एंड जॉन्सन के पास यूरोपीय संघ और अमेरिका के अधूरे ऑर्डर हैं. ये देश घरेलू जरूरतों से ज्यादा मात्रा में जमाखोरी कर रहे हैं और ऑर्डर दे रहे हैं. इसमें कोई शक नहीं कि इन अनुबंधों को पूरा करने से काफी पैसा कमाया जा सकता है लेकिन ये ऐसे देश नहीं हैं जहां टीकों की सबसे ज्यादा जरूरत है. जैसे ही टीके बन जाते हैं, तो इन्हें यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात किया जाएगा जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा वयस्क आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है जबकि भारत में केवल 13 प्रतिशत वयस्कों को दोनों खुराक लगी हैं और अफ्रीकी महाद्वीप में यह आंकड़ा तीन प्रतिशत है."

न तो जॉन्सन एंड जॉन्सन और न ही केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में बनने वाली खुराक कहां जा रही है. कोविड-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस (कोवैक्स) जो वैश्विक वैक्सीन गठबंधन गावी के साथ मिल कर काम करती है, ने इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया कि उसे भारत से कितनी खुराकों की अपेक्षा है. कोवैक्स एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य कोविड-19 टीकों की समान पहुंच सुनिश्चित करना है. 17 सितंबर को भेजे गए सवालों के जवाब में गावी के एक प्रवक्ता ने लिखा है, “फिलहाल भारतीय निर्यात प्रतिबंधों के चलते भारत से खुराक की आपूर्ति रुकी हुई है. घरेलू उत्पादन के तेजी से बढ़ने और अपने खुद के प्रकोप की घटती तीव्रता को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि भारत अपने प्रतिबंधों में ढील देगा ताकि दुनिया का वैक्सीन पावरहाउस घर पर महामारी से लड़ने के साथ-साथ विदेशों को भी योगदान करेगा.” इस महीने की शुरुआत में वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत पर टीकों के निर्यात को फिर से शुरू करने का दबाव “संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अमीर देशों से आता है जो कोरोनावायरस की पूरी खुराक ले चुके अपने लोगों को बूस्टर शॉट्स देने जा रहे हैं.”

Keywords: Covid-19 vaccine COVID-19
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