सरकार कोविड टीके को आधार से जोड़ेगी? लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या ऐसा करना सही है?

18 दिसंबर 2020
10 अगस्त 2019 को असम के बारपेटा जिले में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के साथ अपने आधार कार्ड को लिंक करने के लिए आइरिस स्कैन कराती एक महिला.
डेविड तालुकदार/ एएफपी/गैटी इमेजिस
10 अगस्त 2019 को असम के बारपेटा जिले में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के साथ अपने आधार कार्ड को लिंक करने के लिए आइरिस स्कैन कराती एक महिला.
डेविड तालुकदार/ एएफपी/गैटी इमेजिस

जब भारत में कोविड-19 वैक्सीन के वितरण के लिए लॉजिस्टिक्स की तैयारी का अंतिम चरण चल रहा है, तब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या सरकार इसे आधार से जोड़ेगी? स्वास्थ्य मंत्रालय ने अक्टूबर में दिशानिर्देश जारी किए थे कि सरकार ने लोगों के आधार डेटा को उनके टीकाकरण से जोड़ने के मामले में अंतिम फैसला नहीं किया है.

26 अक्टूबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए एक आदेश में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने लिखा था कि नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रिशन कोविड-19 या एनईजीवीएसी के राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने “परिकल्पना की थी कि वैक्सीन वितरण की प्राथमिकता में सबसे पहले स्वास्थ्य कार्यकर्ता होंगे और उनके बाद अन्य फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और आयु वर्ग को वैक्सीन दी जानी हैं.” स्वास्थ्य कर्मियों के डेटा को कोविड-19 टीकाकरण लाभार्थी प्रबंधन प्रणाली या सीवीबीएमएस नामक एप्लिकेशन में पंजीकृत किया जा रहा है. यह यूआईपी के लिए पहले से मौजूद वैक्सीन निगरानी तकनीक और तंत्र का उपयोग करते हुए भारत के लंबे समय से चले आ रहे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम) के समानांतर चलेगा.

26 अक्टूबर के आदेश से पहले सरकार ने ऐसे दिशानिर्देश भी जारी किए थे जिनमें राज्यों, जिलों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं के नाम, लिंग, मोबाइल नंबर और पिन कोड का डेटा इकट्ठा करने को कहा गया था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य अधिकारियों को अक्टूबर के अंत तक डेटा अपलोडिंग प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया था. गाइडलाइन में दस तरह के फोटो पहचान का जिक्र किया गया है जिसे सरकार किसी खास कारण से आधार कार्ड न होने पर स्वीकार करेगी. दिशानिर्देश कहता है कि “आधार विवरण दर्ज नहीं किया जाएगा लेकिन टीकाकरण के समय अनिवार्य होगा.” दस्तावेज में आधार का तीन बार उल्लेख किया गया है. यह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आधार डेटाबेस में सूचीबद्ध अपना नाम, आधार से जुड़ा फोन नंबर, यदि हो तो, देने को कहता है और साथ ही यह भी कहता है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता का वर्तमान पता उसके आधार कार्ड में उल्लेखित पते से भिन्न हो सकता है.

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एसोसिएट काउंसिल देवदत्त मुखोपाध्याय का मानना है कि सरकार का इरादा कोविड-19 टीकाकरण को आधार से जोड़ना है. उन्होंने कहा कि यह मंशा इस तथ्य में स्पष्ट है कि स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण के दौरान अपना आधार कार्ड लाने के लिए कहा गया है और सरकार चाहती है कि आधार दस्तावेज से मिलान करने के लिए उनके नाम और फोन नंबर दर्ज किए जाएं. “आधार जैसी आधिकारिक पहचान संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा का एक स्वरूप है और सरकार ऐसे डेटा को तब तक एकत्र नहीं कर सकती जब तक कि ऐसा करने के लिए कानून द्वारा मान्यता प्राप्त एक स्पष्ट और विशिष्ट उद्देश्य न हो.”

एक बार दिशानिर्देश जारी किए जाने के बाद, समाचार रिपोर्टों ने प्रमाणीकरण के उद्देश्य और “दोहराव से बचने और लाभार्थियों को ट्रैक करने के लिए” आधार के साथ लिंक किए जाने के बारे में गुमनाम आधिकारिक स्रोतों के हवाले से बताया है. ओडिशा और महाराष्ट्र के वरिष्ठ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी संवाददाताओं को बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के आधार कार्ड के विवरण को डेटाबेस से जोड़ा जाएगा. ओडिशा के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रदीप कुमार महापात्र ने नवंबर के मध्य में मुझे बताया कि राज्य ने तीन लाख बीस हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों का विवरण एकत्र किया है. राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी अब सीवीबीएमएस के लिंक का इंतजार कर रहे हैं जिस पर डेटा अपलोड किया जा सकता है. महापात्र ने उन रिपोर्टों की पुष्टि की है कि राज्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के आधार विवरण को इस डेटाबेस से जोड़ना चाहते हैं. “जिला स्तर के डेटा संग्राहक अभी के लिए आवश्यक विवरण भर रहे हैं. हमारे अधिकांश स्वास्थ्य कर्मियों के पास आधार कार्ड है इसलिए इसे बिना किसी परेशानी के डेटाबेस से जोड़ा जाएगा,” उन्होंने कहा.

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

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