हिंदू दंक्षिणपंथ मुझसे बहस नहीं कर सकता क्योंकि यह आलोचनात्मक विचारों को मंजूरी ही नहीं देता : ऑड्रे ट्रुस्के

03 अप्रैल 2021
साभार : ऑड्रे ट्रुस्के
साभार : ऑड्रे ट्रुस्के

ऑड्रे ट्रुस्के संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू जर्सी में स्थित रटगर्स विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. ट्रुस्के के शोध प्रारंभिक और आधुनिक भारत के इतिहास पर केंद्रित हैं. इस विषय पर उनकी तीन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं- कल्चर ऑफ एनकाउंटर : संस्कृत इन द मुगल कोर्ट्स, औरंगजेब : द मैन एंड द मिथ, जो मुगल राजा के पुनर्मूल्यांकन पर तर्क पेश करती है और हाल ही में प्रकाशित लैंगवेज ऑफ हिस्ट्री : संस्कृत नैरेटिव्स ऑफ इंडो-मुस्लिम रूल.

ट्रूस्के अक्सर ही भारत के जटिल बहुसांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास पर किए गए अपने अकादमिक शोध को अपनी मान्यताओं के विपरीत मानने वाले हिंदू दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों के निशाने पर आती रहती हैं. अपनी पहली किताब के विमोचन के बाद से ही ट्रूस्के को धमकी भरे ईमेल, सोशल मीडिया पर उत्पीड़न और हमलों का लगातार सामना करना पड़ा है. कुछ मामलों को सेंसर का सामना भी करना पड़ा. अगस्त 2018 में उन्हें हैदराबाद में एक व्याख्यान देना था जिसे पुलिस को मिले धमकी भरे पत्रों के बाद रद्द कर दिया गया था. उसी वर्ष उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट के बाद उन्हें गालियां और धमकियां मिलीं. जिसमें उन्होंने लिखा कि वाल्मीकि के पौराणिक महाकाव्य रामायण के एक छंद के मोटा—मोटी अनुवाद के अनुसार सीता ने राम को महिलाओं से द्वेष रखने वाला एक सुअर कहा था. कारवां में प्रकाशित एक लेख में ट्रूस्के ने इसकी व्याख्या और इस बारे में महिला विरोधी हिंदू दक्षिणपंथियों के रवैये की विवेचन की थी.

इस साल मार्च महीने की शुरुआत में ट्रूस्के को उनके विभिन्न सोशल मीडिया प्रोफाइलों पर बलात्कार और हत्या की धमकी मिलने लगीं साथ ही उन्हें मुस्लिम-विरोधी, यहूदी-विरोधी भद्दी गालियां भी मिलनी शुरू हो गईं. यह सब मुख्य रूप से भारत पर किए गए उनके शोध के कारण हुआ. ट्रूस्के ने 9 मार्च को अपने एक ट्वीट में लिखा कि हाल के दिनों में उन्हें ''नफरत भरे बयानों की बाढ़'' और अपने परिवार के लिए जोखिम का सामना करना पड़ा है. ट्रूस्के ने कहा कि उन्होंने अब तक 5,750 अकाउंट ब्लॉक करवा दिए हैं, ''अभी यह प्रकिया जारी है.'' कुछ दिनों पहले अमेरिकी विश्वविद्यालयों में हिंदू छात्रों द्वारा चलाया जाने वाला एक अनजान ट्विटर अकाउंट "@hinduoncampus" ने रटगर्स प्रशासन को लिखे एक खुले पत्र को पोस्ट किया, जिसमें ट्रूस्के के काम को हिंदुओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण कार्य बताया गया था. 9 मार्च को जारी एक बयान के जरिए रटगर्स विश्वविद्यालय ने ट्रूस्के की इस विवादास्पद शोध को आगे जारी रखने की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए सभी आलोचनाओं को समाप्त करने का संदेश दिया. उन्होंने विश्विद्यालय परिसर में हिंदू छात्रों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत शुरू करने का भी वादा किया.

कारवां की वेब एडिटर सुरभि काँगा ने ट्रूस्के से ईमेल के जरिए बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि वह किस तरह इस उत्पीड़न का सामना कर रही हैं. उन्होंने हाल ही में हमलों में आई इस तेजी, उनके ऊपर लगे ''पक्षपात'' के आरोपों सहित ऐसे समय में जब भारत में हिंदू राष्ट्रवादियों की सरकार है, मुगल साम्राज्य पर काम करने वाली इतिहासकार होने के खतरों को लेकर भी चर्चा की .

सुरभि काँगा : सोशल मीडिया पर आपके खिलाफ चल रहे हमलों और गालियों के सिलसिले में उछाल की शुरुआत कैसे हुई? आपको क्या लगता है ऐसा क्यों हुआ?

सुरभि कॉंगा द कैरवैन की वेब एडिटर हैं.

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