“चे ग्वेरा शानदार पिता और पति थे”, बेटी एलीडा ग्वेरा मार्च से बातचीत

क्यूबा के नए संविधान को देश की 86 प्रतिशत से अधिक आबादी ने समर्थन दिया है. फोटो : अमुल थापा
16 September, 2019

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एलीडा ग्वेरा मार्च क्यूबा क्रांति के नेता चे ग्वेरा की बेटी हैं जो पिता द्वारा स्थापित समाजवाद और इसके वर्तमान समय के पूंजीवादी प्रवाह में भी क्यूबा में प्रासंगिक बने रहने को जनता का निर्णय और सरकार के साथ समन्वयता का परिणाम बताती हैं. एलीडा पेशे से एक बाल चिकित्सक हैं और मानती हैं कि पिता की तस्वीरों को मुनाफा कमाने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. वह क्यूबा पर अमेरिका द्वारा लगाए गए यात्रा एवं व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने क्यूबा के संविधान व नेतृत्व में किए गए आवश्यक बदलावों को जनता की बड़े पैमाने पर स्वीकृति मिलने पर खुशी भी जताई.

हाल में वह नेपाल भ्रमण पर थीं और इस मौके पर पत्रकार नरेश ज्ञवाली ने उनसे उपरोक्त विषयों पर बातचीत की.

नरेश ज्ञवाली : सोवियत संघ के विघटन के बाद यूरोप की ढेरों समाजवादी सरकारों का एक के बाद एक पतन हो गया, लेकिन क्यूबा में अब तक समाजवादी व्यवस्था चल रही है. इसके पीछे क्या कारण हैं?

एलीडा ग्वेरा मार्च : क्यूबा की क्रांति वास्तव में क्यूबा की जनता की क्रांति है जो किसी की लादी हुई या किसी के प्रभाव से नहीं हुई है और न ही यह किसी बाहरी सहयोग से पूरी हुई. इसे क्यूबा की जनता की आवश्यकताओं ने पैदा किया था. जनता ने मौलिक साधनों के प्रयोग से समाजवादी क्रांति को टिकाए रखा है. दूसरी बात कि हमने इस पूरी अवधि में क्यूबा की जनता को धीरे-धीरे शिक्षित करते हुए क्रांति में सक्रिय बनाया. आज जिस क्यूबा को आप देख रहे हैं उस क्यूबा की नीव क्रांति के वक्त वहां की जनता ने डाली थी. दुनिया के किसी भी देश की क्रांति को वहां की जनता संभव बनाती है और यही क्यूबा में हुआ.

एनजी : अमेरिका वर्तमान दुनिया का महाशक्ति देश और पूंजीवाद व्यवस्था का संरक्षक भी है. इसने क्यूबा पर पिछले छह दशकों से आर्थिक नाकेबंदी की हुई है. फिर भी क्यूबा दुनिया की राजनीति के केंद्र में बना हुआ है. यह कैसे संभव हुआ?

एजीएम : मैंने ऊपर भी कहा कि क्यूबा की क्रांति को टिकाने का निर्णय क्यूबा की जनता का है. जनता द्वारा लिए निर्णय को दुनिया की कोई भी ताकत, चाहे वह कितनी ही दानवीय क्यों न हो, कुछ नहीं कर सकती. जब हम जनता के लिए काम करने लगे तो हमें कोई नहीं रोक पाया. वहीं से हमारा यह विश्वास मजबूत हुआ कि हम विचारधारा से समझौता नहीं करेंगे. क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष क्यूबा की जनता और सरकार के बीच की एकता है. जहां तक क्यूबा के ऊपर अमेरिका की थोपी नाकेबंदी का सवाल है, वह एक अपराध है जो आज तक जारी है. मैं जोर देकर कहना चाहती हूं कि अमेरिका द्वारा क्यूबा पर लगाई गई नाकेबंदी वास्तविक अर्थो में मानवता के खिलाफ अपराध है.
हमारे रोजमर्रा के जीवन पर अमेरिकी नाकेबंदी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

मैं पीडिअट्रिशन (बाल चिकित्सक) हूं. एक चिकित्सक के नजरिए से क्यूबा के बच्चों पर इसका ज्यादा असर हो रहा है. ये कोई ऐसी बात नहीं है कि उनके पिछले जन्मों के अपराधों का फल मिल रहा हो. फिर भी वे इसे भोगने को बाध्य हैं. मिसाल के तौर पर, एक बच्ची मेरे पास इलाज के लिए आया करती है लेकिन जो दवा उसे चाहिए उसका ‘पेटेंट राईट’ अमेरिका के पास है. लेकिन नाकाबंदी के कारण हम उस दवा को अमेरिका से नहीं ला सकते. यह बस एक बच्ची की बात नहीं है, यह तो क्यूबा के सभी बच्चों और बूढ़े-बुजर्गों के जीवन में रोजाना घटने वाली बात है. क्या किसी इंसान को सिर्फ इसलिए दवा के अभाव में मरने के लिए छोड़ देना चाहिए कि वह क्यूबा की धरती पर पैदा हुआ है? ऐसी नाकेबंदी को आप क्या कहेंगे? क्यूबा की जनता के खिलाफ अमेरिका की लगाई नाकेबंदी की ऐसी ढेरों मिसालें हैं.

ऐसे संदर्भों में दुनिया की एकता की बड़ी भूमिका होती है. दुनिया के विभिन्न इलाकों के, अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों को मानने वाले और मानवता पर यकीन रखने वालों ने क्यूबा को दवा भेज कर मदद की है. एकता स्वरूप दुनिया भर से प्राप्त होने वाला सहयोग हमे सबल बनाता है. आपको समझना चाहिए कि क्यूबा की क्रांति ने खुद को कैसे बचाया और अमेरिकी नाकेबंदी का सामना वहां की जनता ने कैसे किया? इसके दो प्रमुख पक्ष हैं : एक, जनता और सरकार के बीच की एकता और दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय रूप में क्यूबा को मिला समर्थन.

एनजी : फिलहाल क्यूबा में क्या हो रहा है, यह हमें बताएं? दुनिया में जारी आर्थिक मंदी का वहां पर कैसा असर पड़ रहा है?

एजीएम : क्यूबा इसी ग्रह का एक देश है और वहां भी वही परेशानियां हैं जो दूसरे देशों में हैं. दुनिया के सामने जो आर्थिक संकट का नया दौर आया है वह क्यूबा के नागरिक होने की हैसियत से हम भी झेल रहे हैं. हमारे देश के सामने खड़ी समस्याओं का समाधान हमें खुद निकालना होगा. मिसाल के लिए कुछ साल पहले क्यूबा की सरकार ने महसूस किया था कि उसके पांच लाख से अधिक नागरिक बेरोजगार हो जाएंगे. इनमें से अधिकांश लोग किसी न किसी तरह के काम में लगे हुए थे. ऐसा नहीं है कि सरकार ने इन लोगों के लिए कुछ नहीं किया. सरकार ने छोटे स्तर पर निजी क्षेत्र खोले हैं जिससे जुड़ कर लोग अपने प्रयासों से समाज के लिए योगदान कर सकते हैं.

एनजी : तो क्या क्यूबा में निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है?

एजीएम : यहां थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है. निजी क्षेत्र को ज्यादा बढ़ावा देने का मतलब व्यक्तिवाद को बढ़ावा देने जैसा होगा. निश्चित रूप में पूंजीवाद और व्यक्तिवाद एक दूसरे के परिपूरक हैं और हम इसे समाजवादी समाज के लिए एक चुनौती के रूप में देखते हैं. हम इसे क्यूबा के लिए नए संविधान द्वारा व्यवस्थित करने का प्रयास कर रहे हैं. क्यूबा के अर्थतंत्र का दूसरा पक्ष सहकारिता है. सहकारिता मनुष्यों का वह समूह है जो मनुष्यों की भलाई के लिए काम करता है. इस अर्थ मे सहकारिता निजी लक्ष्य से ज्यादा समाजवादी लक्ष्य से जुड़ी है.

एनजी : इस साल फरवरी में क्यूबा में नया संविधान लागू किया गया है? उसे लागू करने की प्रक्रिया और परिस्थिति के बारे में हमें बताएं.

एजीएम : हमारे संघर्ष में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने के लिए हमने राष्ट्रीय संविधान को नया बनाया. संविधान में बदलाव करते वक्त सम्पूर्ण समुदाय में बहस और बातचीत चलाई. बहस में उठे सभी विचारों को संसद में ले कर गए. संसद में बहस के बाद नए संविधान को संसद ने मंजूरी दी. संसद से पारित होने के बाद संविधान पर जनमत संग्रह कराया गया. जनमत संग्रह में क्यूबा की 86 प्रतिशत से अधिक आबादी ने नए संविधान के पक्ष में मतदान किया. आज हमारे देश में यही संविधान लागू है. क्यूबा की बात करते हुए आपको इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आज वहां क्रांति का नेतृत्व करने वाले ऐतिहासिक नेतृत्व के स्थान पर नया नेतृत्व है. लेकिन मैं यह दावे के साथ कह सकती हूं कि क्यूबा की जनता अपने नए नेतृत्व से बहुत खुश है.
हमारी दूसरी मुसीबत वर्तमान अमेरिकी प्रशासन से जुड़ी है. क्यूबा की मुख्य समस्या अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. कुछ महीनों पहले ट्रम्प (डॉनल्ड ट्रम्प) ने एक कानून पारित किया जो अवैधानिक है क्योंकि कोई भी देश किसी अन्य देश के विरुद्ध कानून पास नहींं कर सकता. लेकिन इस अवैधानिक कानून का असर हम लोगों पर पड़ा. यह कानून पूरी तरह से वाहियात है. इसके मूल्य और मान्यताएं घटिया और क्यूबा की जनता को दुख देने वाली हैं. तो भी वे लोग इसे लागू करना चाहते हैं. इसलिए हम इस कानून और नाकेबंदी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. यह कानून क्यूबा में निवेश करने वालों को ऐसा करने से रोकता है, उन्हें डरता और धमकाता है.

एनजी : आपने कहा कि क्यूबा की मुख्य मुसीबत अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. इसका सामना कैसे कर रहे हैं?

एजीएम : हमारे साझा दुश्मन साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ने के ढेरों तरीके हैं. सबसे पहले हमें एक-दूसरे के संघर्षों का सम्मान करना होगा. जब सम्मान होगा, तब हम सामूहिक उद्देश्य के लिए सामूहिक संघर्ष कर सकते हैं. इसके बाद हमें हमारे संघर्ष और एकता के साझा तत्वों की पहचान करनी होगी. इसके लिए हमें एक दूसरे को ठीक से पहचानना, महसूस करना होगा. हमें अकेले नहीं बल्कि साथ आगे बढ़ना होगा. इसी मकसद से लैटिन अमेरिका में हमने सहकार्य का एक महत्वपूर्ण समूह का गठन किया है. ‘बोलिविरियन एलाइंस फॉर दी पीपुल्स ऑफ आउर अमेरिका’ (एएलबीए) नाम के इस समूह में क्यूबा, निकारागुआ, बोलिविया के साथ कैरिबियन टापू के अन्य देश भी शामिल हैं.

यह समूह साक्षरता अभियान का संचालन करता है. साक्षर होकर जनता वैश्विक दमन के स्वरूपों को पहचान सकती है और स्वतंत्रता का पूर्ण अभ्यास कर सकती है. शिक्षा का सवाल भाषा और उस भाषा द्वारा सिखाई जाने वाली संस्कृति से भी जुड़ा है. जनता को शिक्षित करने का मतलब साम्राज्यवादियों द्वारा लादी गई अंग्रेजी, पुर्तगाली या फ्रेंच भाषा में शिक्षा देना भर नहीं है. यह उनकी ही भाषा लुसुमी और कोर्सियन जैसी स्थानीय भाषाओं में शिक्षित बनाना है. इस अभियान को बड़ी सफलता मिली है. जनता को शिक्षित बनाने के अभियान में आंखों से कमजोर लोगों के लिए हमने ‘ऑपरेशन मिलाग्रो’ (क्यूबा और वेनेजुएला का संयुक्त अभियान) नाम से निशुल्क शिविर चलाया. हम लोगों ने जनता के जीवनस्तर को उन्नत बनाने के लिए आर्थिक दृष्टिकोण पर मात्र जोर नहीं दिया बल्कि उनके सांस्कृतिक दृष्टिकोण समेत को महत्व दिया है. इससे साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष में जनता को एक करने में सहयोग मिलता है. जनता की एकता से ही हम साम्राज्यवाद को हरा सकते हैं यह हम समझ चुके हैं.

एनजी : अर्नेस्टो चे ग्वेरा आपके पिता होने के साथ दुनिया के चहेते नेता भी थे. उनको कैसे याद करती हैं?

एजीएम : चे ग्वेरा मेरे जीवन में आने वालों में सबसे पूर्ण कम्युनिस्ट थे. वह बौद्धिक थे और साथ ही दूसरों से प्यार करते थे. वह लोगों के दुख-दर्द को ध्यान देकर सुनते थे. अब मैं समझ पाती हूं कि जनता के लिए उनके अंदर बहुत ज्यादा सम्मान का भाव था. यह है उनके कम्युनिस्ट होने की बात, लेकिन चे के साथ मेरा परिचय इतना भर नहीं था. हां, चे ग्वेरा मेरे पिता हैं और इसका मझे फक्र है. जब पिता के रूप में उनको याद करती हूं तो मुझे उनका रात में घर लौटने पर गले लगाना और मुझे किस करना याद आता है. अधिकतर वह देर रात काम से लौटते थे और तब तक हम सो चुके होते थे. रात को नींद से जागना अजीब लगता था लेकिन पिता का आभास उनके कस कर गले लगाने और चुंबन से होता था. फिर मैं उनकी बांहों में लिपट कर सो जाती थी. वह एक असली पति भी थे. वह मेरी मां को बहुत प्यार करते थे. अपनी व्यस्तताओं के बावजूद वह परिवार के साथ रहना पसंद करते थे. व्यक्ति के रूप में वह सहयोग करने वाले असल क्रांतिकारी थे. आज के युवाओं को उनका यही चरित्र आकर्षित करता होगा. दुर्भाग्यवश आज की दुनिया में जो नेता हैं वह कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं. आज की परिस्थितियों में चे की भूमिका और सांदर्भिक हो गई है.

एनजी : चे ग्वेरा के विचार और संघर्ष साम्राज्यवाद और वैश्विक पूंजीवाद के खिलाफ था लेकिन आज उनकी इमेज को ‘कमोडिटी’ के रूप में बेचा जा रहा है? टी-शर्ट, जूते और वोदका शराब तक में उनकी तस्वीर है. इसे कैसे देखती हैं?

एजीएम : आज की पूंजीवादी दुनिया में चे की इमेज को आर्थिक फायदे के लिए बेचा जा रहा है. मेरा पिता को क्यूबा की जनता की क्रांति के नायक के बतौर देखना स्वभाविक बात है लेकिन मुनाफा बढ़ाने के लिए पूंजीपति वर्ग उनके विचार से नहीं बल्कि इमेज से आकर्षित है. इसलिए उन लोगों ने अपने मुनाफे के लिए चे की इमेज का चयन किया लेकिन उनके विचारों को प्रतिबंधित करना चाहा. लेकिन विचारों को कैद नहीं किया जा सकता. पिता की तस्वीर को कमाई का जरिया बनाने के खिलाफ हमें कई बार लड़ना पड़ा.

पूंजीपतियों के व्यवहार से हम दुखी और विचलित हुए हैं. हमे किसी तरह का लालच नहीं है. हम सम्मान चाहते हैं. हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चे की तस्वीर के बिना प्रसंग प्रयोग के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. उनके विचारों को कैद करने वालों का कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि वे उनकी तस्वीरों से कमाई करें. हम ऐसे कामों की इजाजत नहीं दे सकते.

नई पीढ़ी के लोग जो चे से प्रभावित हैं उनके लिए इस खेल को समझना जरूरी है कि जो उनके विचारों की हत्या करने पर आमादा है वही चे की तस्वीरें बेच कर मुनाफा कमा रहे हैं. यह कितना घिनौना और क्रूर है. लेकिन जब हम चे की तस्वीर किसी रैली में देखते हैं तो खुशी होती है. ऐसे स्थानों में चे की तस्वीर का प्रयोग करने वाले उनके विचारों को समझते हैं. जब चे के विचार और क्यूबा की क्रांति युवाओं को प्रेरित करती है तो खुशी होती है. उनके विचारों के अध्ययन के लिए हमने चे ग्वेरा अनुसंधान केंद्र खोला है. इस संस्था के साथ जुड़ कर दुनिया भर के कई अध्ययनकर्ताओं ने अनुसंधान किया है.

एनजी : हमें चे के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बताएं?

एजीएम : उन्होंने दो शादियां की थीं. उनकी पहली शादी पेरू की साथी हिल्डा गाडिया से हुई. उनसे उनकी एक बेटी थी जिसका नाम हिल्डा ग्वेरा था. वह मेरी बड़ी बहन थी. उनकी मृत्यु 1995 मे कैंसर से हुई. चे ने दूसरी बार क्यूबा क्रांति में सक्रिय रहीं एक छापामार से शादी की जो मेरी मां हैं. इस विवाह से उनकी चार संताने हैं जिनमें मैं सबसे बड़ी हूं. मुझसे छोटी बहनों का नाम कैमिलो और सिलिया हैं. हमारा एक भाई अर्नेस्टो है. कैमिलो और अर्नेस्टो वकील हैं और सीलिया डॉल्फिन विशेषज्ञ हैं. मैं बाल चिकित्सक हूं. हम सब क्यूबा में रहते हैं और साधारण जीवन व्यतीत करते हैं.