एलीडा ग्वेरा मार्च क्यूबा क्रांति के नेता चे ग्वेरा की बेटी हैं जो पिता द्वारा स्थापित समाजवाद और इसके वर्तमान समय के पूंजीवादी प्रवाह में भी क्यूबा में प्रासंगिक बने रहने को जनता का निर्णय और सरकार के साथ समन्वयता का परिणाम बताती हैं. एलीडा पेशे से एक बाल चिकित्सक हैं और मानती हैं कि पिता की तस्वीरों को मुनाफा कमाने के साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. वह क्यूबा पर अमेरिका द्वारा लगाए गए यात्रा एवं व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने क्यूबा के संविधान व नेतृत्व में किए गए आवश्यक बदलावों को जनता की बड़े पैमाने पर स्वीकृति मिलने पर खुशी भी जताई.
हाल में वह नेपाल भ्रमण पर थीं और इस मौके पर पत्रकार नरेश ज्ञवाली ने उनसे उपरोक्त विषयों पर बातचीत की.
नरेश ज्ञवाली : सोवियत संघ के विघटन के बाद यूरोप की ढेरों समाजवादी सरकारों का एक के बाद एक पतन हो गया, लेकिन क्यूबा में अब तक समाजवादी व्यवस्था चल रही है. इसके पीछे क्या कारण हैं?
एलीडा ग्वेरा मार्च : क्यूबा की क्रांति वास्तव में क्यूबा की जनता की क्रांति है जो किसी की लादी हुई या किसी के प्रभाव से नहीं हुई है और न ही यह किसी बाहरी सहयोग से पूरी हुई. इसे क्यूबा की जनता की आवश्यकताओं ने पैदा किया था. जनता ने मौलिक साधनों के प्रयोग से समाजवादी क्रांति को टिकाए रखा है. दूसरी बात कि हमने इस पूरी अवधि में क्यूबा की जनता को धीरे-धीरे शिक्षित करते हुए क्रांति में सक्रिय बनाया. आज जिस क्यूबा को आप देख रहे हैं उस क्यूबा की नीव क्रांति के वक्त वहां की जनता ने डाली थी. दुनिया के किसी भी देश की क्रांति को वहां की जनता संभव बनाती है और यही क्यूबा में हुआ.
एनजी : अमेरिका वर्तमान दुनिया का महाशक्ति देश और पूंजीवाद व्यवस्था का संरक्षक भी है. इसने क्यूबा पर पिछले छह दशकों से आर्थिक नाकेबंदी की हुई है. फिर भी क्यूबा दुनिया की राजनीति के केंद्र में बना हुआ है. यह कैसे संभव हुआ?
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