5 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को गिरफ्तार कर लिया. कप्पन उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित युवति के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट करने जा रहे थे. उन पर देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे कठोर कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया. 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनकी बीमार मां से मिलने के लिए पांच दिन की जमानत दी लेकिन उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं दी. हाल के महीनों में कप्पन की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती जा रही है और 21 अप्रैल को उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. उसी दिन कप्पन को इलाज के लिए मथुरा के केएम मेडिकल कॉलेज ले जाया गया जहां उन्हें जंजीरों से बांधकर रखा गया और शौचालय का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया. 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थानांतरित करने का आदेश दिया. 30 अप्रैल को पत्नी रेहाना दिल्ली पहुंचीं लेकिन उन्हें अपने पति से मिलने नहीं दिया गया. 6 मई की रात को उत्तर प्रदेश पुलिस कप्पन को उनके परिवार या वकील को बताए बिना वापस मथुरा जेल ले गई. इस रिपोर्ट के प्रकाशन के समय कप्पन के स्वास्थ्य की स्थिति स्पष्ट नहीं थी.
7 मई को कारवां की मल्टीमीडिया नबीला पनियत और मल्टीमीडिया रिपोर्टर शाहिद तांत्रे ने कप्पन की स्थिति के बारे में पत्नी रेहाना से बात की.
नबीला पनियत : आप दिल्ली कब पहुंची? आपको यहां आने की जरूरत क्यों आन पड़ी?
रेहाना : मैं पहली मई को यहां पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने मेरे पति को इलाज के लिए एम्स ले जाने का आदेश दिया था क्योंकि वह बीमार पड़ गए थे. कोर्ट ने कहा था कि उनके परिजन उनसे मिल सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया गया था कि उनकी कोविड जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है. इसलिए मैंने सोचा कि उनसे मिलना और उनकी देखभाल करना संभव है.
1 मई को आते ही मैंने उनसे मिलने की कोशिश की लेकिन मुझे मिलने नहीं दिया गया. एम्स में मुलाकात का समय शाम 4 से 6 बजे के बीच है. 2 मई की शाम को मैं अपने बेटे और एक साथी के साथ उनसे मिलने एम्स पहुंचे. प्रवेश द्वार पर पुलिसकर्मी तैनात थे. हमने पुलिस को बताया कि हम पत्नी की पत्नी और बेटे हैं और हम उन्हें सिर्फ एक बार देखना चाहते हैं. उन्होंने हमें फिर भी अंदर नहीं जाने दिया.
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