कल 16 अक्टूबर के दिन कारवां के 24 वर्षीय पत्रकार अहान पेनकर के साथ दिल्ली के मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन के एसीपी अजय कुमार और अन्य पुलिस अधिकारियों ने मारपीट की. पेनकर के साथ मारपीट उस वक्त हुई जब वह उत्तरी दिल्ली में एक दलित युवती के साथ कथित तौर पर हुए बलात्कार और बाद में हत्या के विरोध में आयोजित प्रदर्शन को कवर करने पहुंचे थे. इस बारे में पेनकर ने दिल्ली कमिश्नर के समक्ष लिखित शिकायत भी दर्ज कराई है.
अक्टूबर के आरंभ में 14 साल की उस लड़की का शव उस घर से बरामद हुआ था जहां वह घरेलू कामगार थी. पुलिस ने लड़की की मौत को आत्महत्या दर्ज किया है लेकिन परिजनों को संदेह है कि घर के मालिक ने बलात्कार के बाद उसकी हत्या की दी. छात्र और कार्यकर्ता मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन के बाहर लड़की के परिजनों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे.
दिल्ली कमिश्नर को अपनी शिकायात में पेनकर ने बताया है कि 16 अक्टूबर को दोपहर लगभग 2.45 पर मॉडल टाउन पुलिस स्टेशन पहुंचे थे जहां लगभग 30 लोग विरोध कर रहे थे. इसमें से दस लोग पीड़ित लड़की के ही परिवार के थे. “पहुंचने के तीस मिनट बाद जब मैं लड़की की चाची से बात कर रहा था तभी पुलिस आई और प्रदर्शनकारियों तथा चाची को अंदर ले गई.” उन्होंने आगे लिखा है, “मैं अपने मोबाइल फोन से घटना का वीडियो बनाने लगा और मेरे एक हाथ में मेरा प्रेस कार्ड था जिसे मैं पुलिस वालों को दिखा रहा था. मैं उन्हें बार-बार बताया कि मैं कारवां का पत्रकार हूं. मेरा प्रेस कार्ड देखने और मेरे बार-बार कहने के बावजूद पुलिस वाले चार अन्य लोगों के साथ मुझे एक कमरे के अंदर ले गए. जहां उन्होंने हमें जमीन पर बैठने को कहा. पुलिस ने फौरन मेरा फोन छीन लिया और मुझे पुलिस स्टेशन के बाहर घसीटा.” पेनकर ने बताया है, “पुलिस पूरे वक्त हमें गालियां देती और धमकाती रही. थोड़ी देर में एसीपी अजय कुमार कमरे में आए. उनके पास स्टील की एक रॉड थी. वह हमें उससे मारने और डराने लगे.” उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा ''एसीपी अजय कुमार ने पहले मेरे चेहरे पर लात मारी और मैं जमीन पर गिर गया. फिर अजय कुमार ने मेरे पीठ और कंधे पर लात मारी. जब मैं उठ कर बैठा, तो एसीपी ने मेरा सिर जमीन में दबा दिया और फिर मेरी पीठ पर मारने लगे.”
पेनकर कहा है, ''मैं इस बात का गवाह हूं कि स्टेशन में मेरे साथ-साथ अन्य लोगों को भी पीटा गया. मैंने देखा कि एसीपी ने एक आदमी को दो थप्पड़ मारे, फिर उसे जमीन पर लेटा दिया और उसके बाद उसके लीवर पर कई बार मुक्के मारे. इसके बाद अपने पैर से उसकी गर्दन दबाने लगे.''
अपनी शिकायत में पेनकर ने इस वारदात में शामिल अन्य पुलिस वालों के बारे में भी बताया है. पेनकर बताते हैं ''अन्य पुलिस वाले, जिनके नाम मैं नहीं जानता, लेकिन सामने पेश करने पर पहचान सकता हूं, भी प्रदर्शनकारियों को मारने की हरकत में शामिल थे. मैंने उन्हें एक सिख और एक मुस्लिम युवक को मारते देखा. पुलिस ने मारते हुए सिख लड़के की पगड़ी खोल दी. एसीपी के साथ कम से कम पांच पुलिस वाले मारने में शामिल थे. लगभग पांच पुलिस वाले और किनारे खड़े थे जो यह होता देख रहे थे.''
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