30 जुलाई 2020 ब्रिटिश नागरिक जगतार सिंह जोहल की गिरफ्तारी को 1000 दिन हो गए. उन्हें 2016-2017 में पंजाब में हुईं हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जगतार स्कॉटलैंड के शहर डंबर्टन के रहने वाले हैं.
तीन साल पहले नवंबर 2017 में स्कॉटलैंड में जगतार के भाई को उनकी पत्नी गुरप्रीत कौर का फोन आया था कि जगतार को पुलिस ने जबरन गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के एक महीने पहले, अक्टूबर में, जगतार और उनका परिवार उनकी शादी के वास्ते पंजाब आए थे. परिवार शादी के बाद स्कॉटलैंड लौट गया लेकिन जगतार और पत्नी कौर भारत में ही रुक गए.
4 नवंबर 2017 को जब पंजाब के जालंधर जिले में रामा मंडी शहर में दोनों खरीदारी कर रहे थे कि पुलिस आई और जगतार को गिरफ्तार कर ले गई. कौर ने मुझे बताया कि आदमियों का एक समूह अचानक वहां पहुंचा और जगतार को जबरन कार के अंदर खींच लिया और ले गया. कौर ने कहा, "मैं कुछ समझ नहीं सकी. मैं बस रोती ही रही."
कौर ने इसके बाद की घटनाओं को याद किया. "4 नवंबर की रात नारक के समान थी. हम उसे तलाशने के लिए यहां से वहां घूमते रहे. हम शहर के पुलिस स्टेशन और फिर कैंट पुलिस स्टेशन गए और फिर इधर-उधर फोन कर पता किया. कुछ समय बाद हमें एक फोन आया जिसमें हमें बगहा पुराना (पंजाब के मोगा जिले का एक शहर) आने के लिए कहा गया, जहां उन्हें 5 नवंबर की सुबह अदालत में पेश किया जाना था. हम वहां गए और ब्रिटिश उच्चायोग के अधिकारियों के साथ इंतजार किया. हमें सूचित किए बिना वे उसे अदालत में लाए और ले गए. हमें बताया गया कि पांच दिन की पुलिस रिमांड दी गई है.”
जनवरी 2016 और अक्टूबर 2017 के बीच पंजाब में सात नामचीन धार्मिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुईं, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और शिवसेना के नेता भी शामिल थे. जगतार की गिरफ्तारी के तीन दिन बाद 7 नवंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें दावा किया गया कि राज्य में हुईं लक्षित हत्याओं का मामला सुलझ गया है. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अमरिंदर ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस) द्वारा पाकिस्तान और अन्य देशों में रची गई सांप्रदायिक गड़बड़ी और राज्य को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश का पता चला है. उन्होंने बताया कि चार संदिग्धों में एक जगतार है और उसे हत्याओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जांचकर्ताओं ने दावा किया कि जगतार इन हत्याओं के कथित मास्टरमाइंड अलगाववादी समूह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के सदस्यों और केएलएफ के पाकिस्तान स्थित एक नेता के संपर्क में था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने "साक्ष्य जुटा लेने" का दावा किया कि जगतार ने केएलएफ के मुखिया हरमिंदर सिंह मिंटू से फ्रांस में मुलाकात की थी और वह विदेश में "कट्टरपंथी सिख नेताओं" के संपर्क में था. नवंबर और दिसंबर 2017 में पंजाब सरकार ने मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी. एक आरोपपत्र में एनआईए ने दावा किया है कि मिंटू को 3000 पाउंड देने के लिए जगतार ने ब्रिटेन से फ्रांस की यात्रा की थी. एनआईए ने आरोपपत्र में कहा है कि गवाहों के बयानों से पता चला है कि जगतार सिंह जोहल केएलएफ का सदस्य है और वह साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था और उसे इसकी पूरी जानकारी थी.
मैंने जगतार के वकील जसपाल सिंह मंझपुर से बात की. उन्होंने मुझे बताया कि जांचकर्ताओं ने अभी तक जगतार के खिलाफ कोई विश्वसनीय साक्ष्य अदालत में पेश नहीं किया है और उन्होंने अब तक जो एकमात्र सबूत दिखाया है वह पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया जगतार का अपना बयान है. मंझपुर ने कहा कि फिलहाल जगतार के खिलाफ दस मामले दर्ज हैं जिनमें से आठ की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है. छह मामले हत्या से संबंधित हैं और दो हत्या के प्रयास के आरोप हैं. शेष बचे दो मामलों की पंजाब पुलिस द्वारा जांच की जा रही है.
30 जुलाई को मंझपुर ने जगतार की गिरफ्तारी के 1000 दिन वेबिनार में बात रखी. छह एनआईए मामलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “1 नवंबर 2018 से आज तक इन छह मामलों में आगे कोई कार्यवाही नहीं की गई है. आज तक हमें एनआईए द्वारा आरोपपत्र के साथ संलग्न कुल दस्तावेज नहीं मिले हैं. एनआईए अदालत मासिक आधार पर मामलों को स्थगित कर रही है. अगली तारीख 28 अगस्त 2020 है. जबकि अप्रैल और मई 2018 में चार्जशीट दाखिल की गई थी, हमें अभी तक सभी दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं.” मंझपुर ने आगे बताया, "मुझे लगता है कि बहुत कुछ दांव पर लगाकर एनआईए जानबूझकर मामलों में औपचारिक आरोप लगाने में देरी कर रही है ताकि जोहल और अन्य को यथासंभव लंबे समय तक के लिए जेल में रखा जा सके."
4 नवंबर 2017 को जोहल को गिरफ्तार किए जाने के पहले मामले का जिक्र करते हुए मंझपुर ने कहा, "एकमात्र सबूत जिस पर वे भरोसा कर रहे हैं वह पुलिस स्टेशन में दिया गया इकबालिया बयान है जो सबूत के बिना अदालत में स्वीकार्य नहीं है." उस मामले में जिसका अभी परीक्षण चल रहा है मंझपुर ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने 74 गवाहों को सूचीबद्ध किया था, जिनमें से केवल 12 अब तक अदालत में उपस्थित हुए हैं. मंझपुर ने कहा कि जब अदालत में पूछताछ की गई, तो पुलिस के प्रमुख गवाह पुलिस उपाधीक्षक बलविंदर सिंह जगतार के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं दे पाए.
मार्च 2019 में मोगा में एक सत्र अदालत में अपनी गवाही में अभियोजन पक्ष द्वारा सवाल-जवाब के दौरान, बलविंदर ने कहा, “मेरी जांच के दौरान इस मामले में जगतार सिंह जोहल से कोई वस्तु/ सामान / दस्तावेज बरामद नहीं हुआ. मेरी जांच के दौरान जगतार सिंह जोहल के साथ अन्य अभियुक्तों के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य न मिला, ना फाइल में है ... जगतार सिंह जोहल से संबंधित कोई भी लेख या कोई भी पत्रिका मेरे द्वारा बरामद नहीं हुई ... मैं जगतार सिंह जोहल के फ्रांस जाने की सही तारीख, महीना और साल नहीं बता सकता.” बलविंदर ने कहा कि एक अन्य आरोपी तलजीत सिंह ने अपने पुलिस को दिए बयान में दावा किया है कि जगतार ने उसे 800 पाउंड दिए थे जो हथियार खरीदने के लिए इस्तेमाल किए गए. हालांकि उन्होंने कहा, "यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई दस्तावेज नहीं है कि जगतार सिंह जोहल ने तलजीत सिंह को 800 पाउंड और हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू को 3000 पाउंड दिए थे ... यह सही है कि मेरी जांच में केएलएफ या किसी अन्य प्रतिबंधित संगठन के लेटर हेड या लोगो के आकार की कोई भी सामग्री … आरोपी से बरामद नहीं की गई है.”
स्कॉटलैंड में जगतार के परिवार ने पुलिस के दावों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जगतार ने इंटरनेट मार्केटिंग के क्षेत्र में काम किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों और उसके बाद की घटनाओं पर पंजाबी से अंग्रेजी और सिख पत्रिकाओं और वेबसाइटों के लिए लेखों का अनुवाद किया. जगतार के भाई गुरप्रीत सिंह जोहल, जो यूके में वकालत कर रहे हैं, ने मुझे बताया,"जब पंजाब पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके पास उसके खिलाफ सबूत हैं, तो सबूत अदालत में क्यों नहीं पेश किए जा रहे हैं?" मामला आगे क्यों नहीं बढ़ रहा है और हमें हर बार सुनवाई के लिए अगली तारीख क्यों मिल जाती है? वह लगभग 108 सुनवाई कर चुके हैं.”
कौर और गुरप्रीत ने याद किया कि कैसे पुलिस जगतार का पासपोर्ट पाने के लिए उत्सुक थी. "जब मैं अपने पति की तलाश में पुलिस स्टेशन गई, तो पुलिस अधिकारियों ने शुरू में बहुत ही दोस्ताना लहजे में बात की," कौर ने बताया और आगे कहा, "उन्होंने मुझसे कहा कि आपकी नई-नई शादी हुई है और वे मुझे उसे तभी देखने देंगे जब मैं उन्हें पासपोर्ट दूंगी लेकिन मेरे पास पासपोर्ट नहीं था और फिर वे धमकी देने लगे." गुरप्रीत ने मुझसे कहा, “पंजाब पुलिस उसकी नवविवाहिता पत्नी से पासपोर्ट के बारे में पूछ रही थी. वे हमारे सभी रिश्तेदारों के पास गए, जगतार का पासपोर्ट प्राप्त करने में परेशानी होने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी. उन्होंने स्कॉटलैंड में मेरे घर भी फोन किया, हमारे बच्चों को उठा लेने की धमकी दी.”
जगतार की गिरफ्तारी की खबर सुनने के तुरंत बाद पंजाब पहुंचे उनके भाइयों ने उनका पासपोर्ट ब्रिटिश उच्चायोग में जमा करने के लिए दिल्ली की यात्रा की. गुरप्रीत ने कहा, "मैंने और मेरे छोटे भाई ने एक कार में दिल्ली की यात्रा की और दूसरे में उसका पासपोर्ट भेजा. हम जानते थे कि पुलिस हमें भी किसी पल पकड़ सकती है," गुरप्रीत ने कहा. "जब हम ब्रिटिश उच्चायोग पहुंचे, तो हमने आधिकारियों को जगतार का पासपोर्ट दिया और उसकी एक प्रति ली और एक पत्र भी लिया जिसमें पुष्टि की गई है कि जगतार का पासपोर्ट उनके पास है." गुरप्रीत ने कहा कि जगतार का "साफ पासपोर्ट" इस बात का प्रमाण है वह पाकिस्तान नहीं गया था. पुलिस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "इसीलिए वे इसे पाने को इतना बेताब थे." यह दावा करते हुए कि उनका भाई निर्दोष है, गुरप्रीत ने कहा, “अगर उसने भारत विरोधी कुछ भी किया होता, तो पहली बात तो वह वहां जाता ही क्यों? और वह किसी और की जिंदगी को खतरे में क्यों डालेगा? ”
कौर ने बताया कि उन्हें जो कुछ झेलना पड़ा है वह “डरावनी बॉलीवुड” फिल्म के समान है. उन्होंने कहा कि वह 18 अक्टूबर 2017 को शादी से पहले केवल तीन से चार बार ही जगतार से मिली थी. "जब मैं उससे पहली बार मिली थी, तो मुझे लगा कि मैं उसी से शादी करूंगी," उसने कहा, यह बताते हुए कि यह पहली नजर का प्यार था. जगतार की गिरफ्तारी के बाद वह खूब रोईं. "यहां तक कि मेरी मेहंदी अभी तक फीकी नहीं हुई थी. मुझे उससे शादी करने का कोई अफसोस नहीं है. हर लड़की की तरह, मैंने एक खुशहाल शादी का सपना देखा था. मुझे नहीं पता था कि यह इस तरह बदल जाएगा. जब भी मैं उन्हें देखने के लिए जेल गई, लोगों ने मुझे मेरे चूड़ों को उतार लेने या ढकने को कहा लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी. उसके बिना उसके घर में रहना अजीब लगता है.”
उन्होंने बताया कि एक-एक दिन गुजारना कितना मुश्किल है. उन्होंने कहा, "मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरी शादी को 1000 दिन, तीन साल हो गए. मैं सुबह सो कर उठती हूं और चाहती हूं कि दिन जल्दी से गुजर जाए और फिर रात आए और फिर अगला दिन और अगली रात गुजरे. कभी-कभी मैं सो पाती हूं, कभी-कभी नहीं. कभी-कभी मैं सोने के लिए रोती हूं. मेरे माता-पिता फोन करते हैं लेकिन नहीं जानते कि मुझसे क्या कहें. "
कौर ने कहा कि उनकी शादी की तस्वीरों और वीडियो को फिर से देखने का दिल नहीं करता. "मैं देख नहीं पाती, उसके खयाल से ही मैं रोने लगती हूं,” उन्होंने मुझसे कहा. "जब मैं खुद से कहती हूं कि मुझे अपने जीवन के साथ कुछ करना चाहिए, शायद कुछ पढ़ाई करनी चाहिए या कुछ नया सीखना चाहिए, मैं बहुत थक गई हूं और बहुत कमजोर महसूस करती हूं." गुरप्रीत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने भी भाजी से मामले के बारे में पूछना बंद कर दिया है. कुछ नहीं हो रहा. मैं खबर नहीं देखती. जिंदगी रुक सी गई है. ”
मैंने स्कॉटलैंड में जगतार के परिवार से बात की. उनकी भाभी मनदीप कौर ने कहा, "मैं बच्चों और हमारे दादा-दादी के साथ, शादी से कुछ हफ्ते पहले पंजाब गई थी. घर में मां के न होने के कारण, मैंने वह सब कुछ किया जो कोई मां समारोह में करती है. शादी अच्छे से हो गई और हम 1 नवंबर को लौट आए. पहले, जगतार को भी 1 नवंबर को लौटना था. बाद में उन्होंने अपनी पत्नी के आव्रजन पत्र प्राप्त करने के लिए कुछ समय के लिए वापस रहने का फैसला किया."
कौर का जिक्र करते हुए गुरप्रीत ने कहा, “जब उसने फोन किया तो वह उन्माद में थी. हम विश्वास नहीं कर सके कि हम क्या सुन रहे थे. उसकी आवाज का उन्माद अभी भी मुझे परेशान करता है. उसने कहा कि '''भाजी, जल्दी आजो, भारत' और मैंने और मेरे छोटे भाई ने हमारे बैग पैक किए और 5 नवंबर को भारत के लिए रवाना हुए. उस फोन कॉल के बाद से जिंदगी पहले जैसी नहीं रही.”
जगतार के भाई कुछ दिनों के लिए पंजाब में रहे लेकिन जल्द ही स्कॉटलैंड के लिए रवाना हो गए. गुरप्रीत ने कहा, "मैं वहां था जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मीडिया को बताया था कि जगतार को हिरासत में लिया गया था." परिवार को समझ आने लगा कि कुछ बहुत बुरा घटने वाला है. जगतार के साथ जो हुआ उसके डर से जोहल बंधु ब्रिटेन लौट आए. गुरप्रीत ने कहा, "सबसे मुश्किल काम भाभी को यह बताना था कि हम वापस आ रहे हैं. मैं अभी भी उसे वहां छोड़ आने के अपराधबोध से भरा हूं."
अप्रैल 2019 में कौर ने ब्रिटेन की यात्रा की. कौर ने कहा, "भारत में हर किसी ने मुझे बताया कि ब्रिटिश सरकार अपने नागरिकों को संरक्षण देती है और यह मुश्किल दिन भी जल्द बीत जाएंगे. मुझे विदेश सचिव से मिलने के लिए ब्रिटेन का त्वरित वीजा दिया गया. मैं अपने पति के बिना ब्रिटेन नहीं आना चाहती थी.” 24 अप्रैल को वह तत्कालीन विदेश सचिव जेरेमी हंट से मिलीं और ब्रिटेन की सरकार से सहायता मांगी. स्कॉटलैंड के एक दैनिक समाचार पत्र, द नेशनल को कौर ने बताया कि उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि वह भरसक कोशिश करेंगे. कौर ब्रिटेन में ही रहीं. जगतार के परिवार ने उनकी यात्रा के बाद उनके ठहरने की अनुमति के लिए आवेदन किया. इसे मंजूर नहीं किया गया और उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील की.
गुरप्रीत ने कहा कि ब्रिटेन अपने एक नागरिक के मानवाधिकारों से अधिक भारत के साथ आर्थिक संबंधों को महत्व देता है. उन्होंने कहा कि वह अपने स्थानीय सांसद और अन्य सांसदों के साथ-साथ ब्रिटेन में मानवाधिकार समूहों के साथ पैरवी से लेकर सारी भागदौड़ कर चुके हैं. जगतार के परिवार ने कहा कि उन्हें पुलिस हिरासत में यातना दी गई है. गुरप्रीत ने कहा, "उन्होंने शुरुआती दिनों में परिवार को देखने नहीं दिया. हमें पता था कि कुछ गड़बड़ है. तब उन्होंने अधिवक्ता जसपाल सिंह मंझपुर के माध्यम से एक हस्तलिखित पत्र भेजकर यातना का विवरण दिया. मैं इसे अपने परिवार के साथ साझा नहीं कर सका. तब मुझे उनके बारे में एक टीवी शो में आमंत्रित किया गया था और यातना के बारे में पूछा गया था, मैं टूट गया." पंजाब पुलिस और राज्य के मुख्यमंत्री ने यातना के आरोपों से इनकार किया है.
कौर ने कहा कि उन्होंने पंजाब की पटियाला की नाभा जेल में मुलाकात के दौरान जगतार से यातना के बारे में पूछा. उन्होंने मुझे बताया, ''उसने कहा कि 'फिर कभी इस बात का जिक्र मत करना' और मैंने कभी ऐसा नहीं किया. मैं रोई और उसने मुझे हर बार सांत्वना दी." दिसंबर 2017 में जगतार के ससुर ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में आरोप लगाते हुए अपील की कि पंजाब पुलिस ने जगतार को प्रताड़ित किया है. मंझपुर ने कहा, "पुलिस ने प्रताड़ना से इनकार किया है लेकिन ताजा चोट ना होने का दावा करते हुए मेडिकल प्रमाणपत्र पेश किया है. उन्होंने मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की अनुमति नहीं दी. मामला की सुनवाई बाकी है."
इस बीच जगतार का परिवार उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ संघर्ष कर रहा है. मनदीप ने कहा, "मेरे बच्चों के जन्मदिन सहित सभी समारोह खामोशी से होते हैं. किसी को भी उसके बिना जश्न मनाने का मन नहीं करता. बच्चों ने एक लंबी लिस्ट बनाई है कि जब उनके चहेते चाचा लौटेंगे तो वे क्या-क्या करेंगे.”
गुरप्रीत ने कहा, "अपने चाचा की शादी में इतना मजा करने के बाद मेरे बच्चे अब इतने डर गए हैं कि वे फिर कभी भारत नहीं आना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि उनका सारा जीवन ठहर सा गया है. उन्होंने बताया, "मैं और मेरे पिता ने खुद को काम में डुबो दिया है. उसकी शादी से पहले मुझे डंबार्टन में एक नई नौकरी मिली थी लेकिन मुझे मना करना पड़ा. जिस दिन मैं भारत से वापस आया, मैं सो नहीं सका.” गुरप्रीत ने कहा, “मैं एक हारे हुए इंसान की तरह महसूस करता हूं. लोग कहते हैं कि मैं एक अच्छा वकील हूं लेकिन मुझे लगता है कि मैं जगतार और गुरप्रीत दोनों को हार चुका हूं. मैं उसे घर के आसपास घूमते हुए देखता हूं, खोई-खोई और यह मेरे दिल को कचोटता है. लोगों और सिख संगत का सहयोग ही मुझे जिंदा रखे हुए है. "
गुरप्रीत ने कहा कि उनका मानना है कि अगर निष्पक्ष सुनवाई हुई तो जगतार को सभी मामलों में बरी कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "उन्हें उसके साथ अधिकार वाले नागरिक की तरह व्यवहार करना चाहिए. अगर वे जानते हैं कि उन्होंने गलती की है, तो उन्हें इसे स्वीकार करना चाहिए और उसे जाने देना चाहिए. उसे अपनी आगे की जिंदगी जीने देनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं है, तो उस पर आरोप दायर करें. उसे एक निष्पक्ष सुनवाई का मौका दें और उसे अपना बचाव करने दें.”