भारत के मुख्य न्यायाधीश पद पर रंजन गोगोई को तकरीबन चार महीने हो चुके हैं लेकिन आज भी सुप्रीम कोर्ट में कामकाज का तरीका दीपक मिश्रा और जगदीश सिंह खेहर के समय से खासा अलग नहीं है. सर्वाधिक महत्व के राजनीतिक मामलों में अच्छी खासी देरी हो रही है और गोगोई सील बंद लिफाफों में जवाब मांगे जा रहे हैं. दूसरी तरफ गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत कर दिया है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने दिनेश माहेश्वरी पर “गुपचुप तरीके से कार्यपालिका से सहयोग” करने का आरोप लगाया था. संजीव खन्ना को दिल्ली हाईकोर्ट से पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट लाया गया है जबकि कॉलेजियम ने दूसरे दो वरिष्ठ जजों को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी. एक पूर्व और एक वर्तमान शीर्ष अदालत के जजों का कहना है कि कॉलेजियम भूषण गवई और सूर्यकांत को पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने वाला है.
सूर्यकांत पर गंभीर अनियमित्ता के आरोप हैं. 2012 में एक रियल एस्टेट एजेंट ने सूर्यकांत पर कम कीमत दिखा कर करोड़ों रुपए की संपत्ति का अवैध कारोबार करने का आरोप लगाया था. 2017 में पंजाब में एक कैदी ने याचिका दायर कर सूर्यकांत पर 8 मामलों में रिश्वत लेकर जमानत देने का आरोप लगाया. इस याचिका पर छह सालों तक कॉलेजियम ने सुनवाई नहीं की और वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने रहे. अक्टूबर 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया और अब उनके खिलाफ शिकायतों का निवारण किए बिना कॉलेजियम ने उन्हें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया. एक पूर्व जज के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में सूर्यकांत को पदोन्नत करने के लिए भी कॉलेजियम यही करने वाला है.
सूर्यकांत ने अपना करियर 1984 में हरियाणा की हिसार अदालत से शुरू किया था. 2010 में वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में महाधिवक्ता बना दिए गए जहां वे चार सालों तक इस पद पर रहे. फिर वहीं के जज बना दिए गए. अगस्त 2012 में जब वे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज थे तब चंडीगढ़ के कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट व्यापारी सतीश कुमार जैन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया को सूर्यकांत पर बकाया भुगतान न करने और 7 करोड़ 63 लाख रुपए कर चोरी का आरोप लगाते हुए पत्र भेजा. पत्र के साथ जैन ने मार्च 2010 और मार्च 2011 के बीच सूर्यकांत के कहने पर खरीदी या बेची गई संपत्तियों की सेल डीड (विक्रय विलेख) भी संलग्न की.
सीजीआई को पत्र लिखने के तीन सप्ताह बाद 11 सितंबर 2012 को जैन को सुप्रीम की रजिस्ट्री से जवाब आया. उस जवाब में लिखा था- “कृप्या ध्यान दें, चार सप्ताह के भीतर यदि प्रमाण योग्य सामग्री और शपथपत्र नहीं मिलता है तो शिकायत पर सुनवाई नहीं की जाएगी.” छह दिन बाद जैन ने शिकायत में उल्लेख सभी बातों का हस्ताक्षरित शपथपत्र अदालत को भेजा. जिसकी एक प्रति कारवां के पास है.
जैन ने अपनी शिकायत में लिखा कि चंडीगढ़ के सेक्टर 10 के आधिकारिक आवास, सेक्टर 16 के दो कमरों और हरियाणा के पंचकुला में 15 एकड़ के फार्म हाउस की मरम्मत का काम सूर्यकांत ने उनसे कराया था. इस काम में 19 लाख रुपया खर्च हुआ लेकिन सूर्यकांत ने उन्हें “एक भी पैसा नहीं दिया”. सितंबर में दायर अपने हस्ताक्षरित शपथपत्र में जैन ने कहा कि अगस्त की शिकायत के बाद सूर्यकांत ने उन्हें 6 लाख रुपए दिए थे.
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