सरकार के दबाव में कुछ तबलीगियों ने की प्ली बारगेनिंग, कुछ जारी रखेंगे कानूनी लड़ाई

31 अगस्त 2020
जुलाई में गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार ने 2765 विदेशी तबलीगियों के वीजा रद्द किए हैं.
पीटीआई
जुलाई में गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार ने 2765 विदेशी तबलीगियों के वीजा रद्द किए हैं.
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21 अगस्त को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़े तीखे स्वर में फैसला सुनाते हुए तबलीगी जमात के सदस्यों पर आपराधिक मुकदमा चलाने के केंद्र सरकार के फैसले की भर्त्सना की. इससे एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया था कि सरकार ने 2765 विदेशी तबलीगी सदस्यों का वीजा रद्द कर दिया है. गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि तबलीगी सदस्यों के भारत में पुनः प्रवेश को रोकने के लिए उन्हें काली सूची में डाल दिया गया है. उसने यह भी बताया कि देशभर में विदेशी तबलीगी सदस्यों के खिलाफ 205 एफआईआर दर्ज की गई हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दायर एफआईआर खारिज कर दी है और कोरोना महामारी के दौरान तबलीगी सदस्यों को बलि का बकरा बनाए जाने की आलोचना की है.

गृह मंत्रालय ने 35 अलग-अलग देशों के तबलीगी सदस्यों द्वारा दायर याचिकाओं के जवाब में उपरोक्त हलफनामा दायर किया था. उस हलफनामे के अनुसार तबलीगी सदस्यों के खिलाफ एफआईआर इसलिए दर्ज की गई है क्योंकि ये लोग तबलीगी गतिविधियों में भाग लेते पाए गए थे जबकि टूरिस्ट या पर्यटक वीजा में इसकी अनुमति नहीं होती है. गृह मंत्रालय ने जारी आपराधिक कार्यवाही के मद्देनजर इन सदस्यों को देश छोड़ने नहीं दिया. मंत्रालय ने मामले की सुनवाई निपट जाने तक इन्हें भारत में ही रोक लिया है. याचिकाकर्ताओं ने कहां है कि वे लोग भारत वैध टूरिस्ट वीजा पर आए थे और भारत सरकार यह नहीं बता रही है कि उन्होंने किस प्रकार वीजा का उल्लंघन किया है.

हालांकि गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि उसने वीजा को केस बाइ केस आधार पर खारिज किया है, तबलीगी जमात के सदस्यों का दावा है कि सभी का वीजा एकसाथ रद्द किया गया है. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि पुलिस ने गृह मंत्रालय के निर्देश में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. चूंकि ये लोग देश छोड़कर अपने वतन नहीं लौट पा रहे थे इस वजह से इनमें से कइयों ने सरकार से समझौता कर घर लौटने की एवज में मामूली आपराधिक आरोपों को स्वीकार कर लिया.

याचिकाकर्ताओं ने वीजा रद्द किए जाने, सदस्यों को ब्लैकलिस्ट करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को चुनौती दी है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि विदेशी सदस्यों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वदेश लौटने के अधिकार का उल्लंघन हुआ है. गृह मंत्रालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया है जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित है. ये अधिकार देश में न केवल नागरिकों को बल्कि विदेशी नागरिकों को भी है. याचिकाकर्ताओं के दावे और गृह मंत्रालय के कदम की वैधानिकता को समझने के लिए यहां तीन चीजों पर विचार करना जरूरी है. ये हैं : वीजा रद्द करना, सदस्यों को ब्लैकलिस्ट करना और उन पर आपराधिक मामले चलाना.

गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि विदेशी तबलीगी सदस्यों ने तबलीगी गतिविधियों में भाग लेकर वीजा शर्तों का उल्लंघन किया है. हलफनामे के अनुसार ऐसा करना वीजा मैन्युअल 2019 के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन है और साथ ही यह विदेशी नागरिक कानून 1946 की धारा 13 और 14 का आपराधिक उल्लंघन है और उपरोक्त धाराओं के तहत दंडनीय है. लेकिन मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में तबलीगी गतिविधियां क्या हैं यह स्पष्ट नहीं है. इन दिशानिर्देशों के 15 नंबर पॉइंट में “तबलीगी गतिविधियों में शामिल होने पर रोक” को इस प्रकार बताया गया है :

अर्शु जॉन कारवां के सहायक संपादक (वेब) है. पत्रकारिता में आने से पहले दिल्ली में वकालत कर रहे थे.

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