(1)
दिल्ली उच्च न्यायालय में मुरलीधर और तलवंत सिंह की पीठ के सामने तुषार मेहता खड़े थे. बात 26 फरवरी की है. वह दोपहर बाद तेजी से वहां पहुंचे थे.
इससे एक दिन पहले दो याचिकाकर्ताओं ने अदालत से गुहार लगाई थी कि वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस को आदेश दे. पिछले तीन दिनों से हिंदुओं का हुजूम उत्तर पूर्वी दिल्ली में लूटपाट मचाए हुए था और मुस्लिम बाशिंदों तथा उनके कारोबार और घरों पर हमले कर रहा था. दर्जनों मारे जा चुके थे और जिस समय अदालत की कार्यवाही चल रही थी उस समय भी ये हमले जारी थे. हिंसा की शुरुआत से पहले बीजेपी के नेताओं ने सांप्रदायिक उन्माद और नफरत से भरे भाषण दिए जिन्हें रेकॉर्ड कर के बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया. लेकिन बीजेपी नेताओं के दंगा भड़काने के आरोपों को लेकर पुलिस से जब शिकायत की गई तो उसने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया.
एक दिन पहले याचिकाकर्ताओं ने अदालत की शरण में जाते ही अनुरोध किया था कि उन्हें तत्काल सुना जाए. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पटेल छुट्टी पर थे. पटेल के बाद वरिष्ठता क्रम में दूसरे स्थान पर जो न्यायाधीश जी॰एस॰सिस्तानी थे, उनके नेतृत्व वाली पीठ ने इस मामले को जरूरी नहीं माना जबकि हिंसा जारी थी. सिस्तानी ने मुख्य न्यायाधीश पटेल की अदालत में इसकी सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख निर्धारित की.
लेकिन अगले दिन भी पटेल अदालत में नहीं आए और सिस्तानी भी अनुपस्थित रहे. याचिकाकर्ता के वकील जस्टिस मुरलीधर के पास गए जो पटेल और सिस्तानी के बाद वरिष्ठ जजों में से एक थे और उन्होंने इस मसले पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति दे दी. कुछ ही मिनट के अंदर मुरलीधर ने दोपहर 12:30 पर सुनवाई का समय निर्धारित किया और दिल्ली पुलिस को एक नोटिस भेज दिया गया.
कमेंट