हिंदी युग्म द्वारा प्रकाशित ‘पतझड़’ मानव कौल की बाहरवीं किताब और पांचवां उपन्यास है. दो दशकों से भी अधिक समय से लेखन में सक्रिय मानव ने बीते छह-सात सालों में बहुत सघन लेखन किया है. इस उपन्यास की कहानी प्रेम में धोखा खाए एक व्यक्ति की है.
हिंद युग्म, मूल्य 299, पेज 240
मूल मराठी में लिखा गया यह एक ज़रूरी उपन्यास है. यह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान असम के एक मशहूर सर्कस की कहानी है जो बर्मा से लौटते वक़्त जंगल में फंस जाता है. यह युद्ध, प्राकृतिक आपदा, बमबारी, इंसानी अहंकार और आघातों के बीच जीवित बचे रहने की जद्दोजहद की कहानी है.
वाणी प्रकाशन, मूल्य 495, पेज 350
राजनीतिक अर्थशास्त्री, लेखक और सामाजिक टिप्पणीकार परकाला प्रभाकर की यह किताब उनके 20 से अधिक आलेखों का संग्रह है. यह किताब देश में बढ़ती ग़रीबी और सरकार द्वारा उस पर पर्दा डालने की कोशिशों की आलोचना करती है. साथ ही, परकाला सिकुड़ते पब्लिक स्पेस और भारत के भविष्य की तफ़तीश करते है.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 299, पेज 248
यह उपन्यास एक ऐसे ऐतिहासिक चरित्र की गाथा है जिसने लैंगिक, धार्मिक, क्षेत्रीय और नैतिक मर्यादाएं तोड़ दीं. तेरहवीं शताब्दी के भारत के जटिल और निरंतर बदलते सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक परिवेश का निरंतर शिकार होकर, अलाउद्दीन खिलजी के नायब मलिक काफ़ूर का एकमात्र लक्ष्य दिल्ली की सत्ता हासिल करना है. यह उपन्यास उस युग की वास्तविकता एवं कल्पना और यथार्थ का संगम है.
पेंगुइन स्वदेश, मूल्य 499, पेज 368
उपन्यास 1984 के सिख क़त्लेआम के बाद सिखों की ज़िंदगी में आए बदलाव की हृदयस्पर्शी कहानी है. यह जबरदस्त उथल-पुथल के बाद एक ऐसे सिख युवक के जीवन में आए वैचारिक और राजनीतिक बदलाव की कहानी है जिसे अपना घर छोड़ना पड़ता है.
सेतु प्रकाशन, मूल्य 175, पेज 140
एक सूफ़ी साधक और हिंदी, फारसी का शायर मुग़ल शहज़ादा दारा शुकोह समाज में संगम-संस्कृति को विकसित करने के लिए निरंतर संघर्षरत रहा. अपने जीवनकाल में उसने दो किताबें लिखीं और 52 उपनिषदों और गीता का फ़ारसी में अनुवाद किया. अपनी धार्मिक-आध्यात्मिक उदारता की कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 295, पेज 192
शास्त्रीय संगीतकार अमजद अली ख़ान की यह किताब सरोद और संगीत के संबंध पर है. ख़ान के विश्वभर में लाखों प्रशंसक हैं. किताब कवि, गीतकार और फ़िल्म निर्देशक गुलज़़ार के उन गीतों पर आधारित है, जिन्हें अमजद अली ख़़ान ने संगीतबद्ध किया है.
पेंगुइन स्वदेश, मूल्य 199, पेज 120
मीर की शायरी इश्क़, ग़म, जीवन के दर्शन, सामाजिक चेतना, समाज में धर्म का के स्थान और मानव मूल्य के ईर्द-गिर्द घूमती है. उनकी ग़ज़लों, मस्नवियों और रुबाइयों में इश्क़ के तमाम नमूने भरे पड़े हैं.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 999, पेज 688