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अशोक कुमार पांडेय ने इस जीवनी में राहुल सांकृत्यायन के बौद्धिक विकास पर प्रकाश डाला है. राहुल के हिंदी-उर्दू विवाद में हस्तक्षेप को भी पुस्तक में विस्तार से बताया गया है जो उनके व्यक्तित्व के इस पक्ष से पाठकों को अवगत कराता है.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 229, पेज 224
निर्देशक राहुल रवेल ने भारतीय सिनेमा के शोमैन राज कपूर के साथ आर. के. स्टूडियों में बिताए दिनों पर यह किताब लिखी है. रवेल ने राज कपूर द्वारा फ़िल्म बनाने में अपनाई जाने वाली विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया है. रवेल ने लिखा कि उन्होंने राज कपूर से जो सीखा वह अपनी फिल्मों में प्रयोग में लाने की कोशिश की.
प्रभात प्रकाशन, मूल्य 195, पेज 248
दशकों से नीतीश कुमार भारतीय राजनीति में प्रासंगिक बने हुए है. फिर भी उनका निजी जीवन एक रहस्य है. हम जितना अन्य नेताओं के बारे में सचेत हैं, उतना शायद नीतीश कुमार के बारे में नहीं. और शायद यही कारण है कि उनके उठाए कदम हमें हैरान करते हैं. उदय कांत की यह किताब नीतीश कुमार के इंजीनियर बनने से लेकर बिहार की राजनीति तक के सफ़र पर है. किताब में कुमार के मित्रों, परिजनों के हवाले से इस रहस्यमयी राजनेता का परतों के पीछे छिपा निजी-पारिवारिक जीवन सामने आता है.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 550, पेज 784
कबीर ग्रंथावली में पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कबीर की वाणी को शुद्धतम और सरल रूप देने की कोशिश की है. उन्होंने कबीर से जुड़े अध्ययन के इतिहास की जटिलताओं को सुलझाकर उन्हें बेहतर ढ़ंग से जानने योग्य बनाया है.
राजकमल प्रकाशन, मूल्य 499, पेज 480
इस किताब में जाने-माने आलोचक शंभुनाथ उत्तर-आधुनिक विमर्शों पर पुनर्विचार कर रहे हैं. उनके अनुसार उत्तर-आधुनिक वैचारिक बुद्धिपरकता, समावेशी राष्ट्रीयता, लोकतांत्रिक चेतना और प्रगतिशील सोच का ही विरोध नहीं करता, बल्कि मानवीय मूल्यों से भी किनाराकशी करता है. शंभुनाथ बताते हैं कि अपनी दृष्टि के स्तर पर आधुनिक हुए बिना उत्तर-आधुनिक होना मृत अतीत को वर्तमान पर लादना है.
वाणी प्रकाशन, मूल्य 495, पेज 352
इस नयी जीवनी में शशि थरूर आंबेडकर के जीवनवृत्त की 14 अप्रैल, 1891 को बंबई प्रेसीडेंसी में एक महार परिवार में जन्म से लेकर 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में उनके निधन तक उनकी वैचारिक यात्रा का अध्ययन करते हैं. किताब में गांधी और नेहरू के साथ उनके मतभेद की पड़ताल है.
वाणी प्रकाशन, मूल्य 395, पेज 218
कश्मीर में जन्मी युवा कवयित्री सपना भट्ट का यह दूसरा कविता संग्रह है जिसमें तीन उपशीर्षकों में उनकी कविताओं में स्त्री विमर्श, पर्यावरण , सामाजिक सरोकार, स्त्री चेतना एवं प्रेम के विविध रंग हैं. उनकी कविताएं अंग्रेज़ी और कई भारतीय भाषाओं में भी अनूदित हैं.
सेतु प्रकाशन, मूल्य 275, पेज 168