मोदी सरकार के पक्ष में फर्जी खबर चलाने वाले रैकेट में एएनआई और श्रीवास्तव ग्रुप का नाम

14 दिसंबर 2020

ब्रसेल्स स्थित एक गैर सरकारी संगठन, ईयू डिसइन्फो लैब ने यूरोप में भारतीय हितधारकों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार के हितों के लिए, बड़े स्तर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. दुष्प्रचार को फैलाने के इस अभियान के प्रमुख करता-धर्ताओं में भारत की सबसे बड़ी वीडियो समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल और एक फर्जी व्यापार समूह, श्रीवास्तव समूह शामिल है. यह समूह भारत में तब सुर्खियों में आया जब 2019 के अंत में इसने यूरोपीय देशों के कुछ दक्षिणपंथी ससंद सदस्यों के लिए कश्मीर की यात्रा आयोजित की थी. "इंडियन क्रॉनिकल्स" शीर्षक वाली रिपोर्ट, एनजीओ द्वारा एक साल तक की गई जांच पर आधारित है, जिसे फ्रांस में लेस जर्स जैसे समाचार संगठनों द्वारा विशेष रूप से तैयार और प्रकाशित किया गया था. लेस जर्स ने झूठी खबरों के एक विशेषज्ञ के हवाले से इस अभियान को "एक नेटवर्क... जिसका दायरा और प्रभाव उतना ही है जितना संयुक्त राज्य अमेरिका में 2016 में अभियान के दौरान रूसी हस्तक्षेप के संचालन का था," के रूप में बताया.

डिसइन्फो लैब की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे श्रीवास्तव समूह द्वारा चलाए जा रहे फर्जी मीडिया वेबसाइटों और एनजीओ ने यूरोपीय संसद के सदस्यों या एमईपी की पैरवी की, जो अक्सर पाकिस्तान या चीन के खिलाफ भारत समर्थक रुख अपनाने के लिए ओप-एड लिखते, जिसे तब समूह की डमी समाचार वेबसाइटों पर प्रकाशित किया जाता. त​ब एएनआई इन्हें यूरोपीय मीडिया की विश्वसनीय रिपोर्टों के रूप में पेश करता, जहां से भारतीय मीडिया और समाचार चैनल बिना सत्यता जांचे इसे लोगों के बीच फैलाते. लेस जर्स की रिपोर्ट सुझाती है कि पूरा ऑपरेशन भारतीय खुफिया सेवाओं से जुड़ा हो सकता था.

डिसइन्फोलैब के अनुसार, इस नेटवर्क ऐसी छवि गढ़ने में किया जाता कि मोदी सरकार भारत में जो कुछ कर रही है यूरोपीय यूनियन के नेता उसका समर्थन करते हैं. रिपोर्ट में दिया गया एक उदाहरण 2019 के आम चुनावों से पहले भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक से जुड़ा है. श्रीवास्तव समूह द्वारा संचालित एक डमी वेबसाइट ईपी टुडे ने यूरोपीय संसद के एक सदस्य रेज्जर्ड कजारनेकी का लिखा एक ओप-एड प्रकाशित किया जिसमें कजारनेकी ने स्ट्राइक का समर्थन किया था. एएनआई ने कजारनेकी की इस राय को एक अलग रूप देते हुए फिर से प्रस्तुत किया और इसे यूरोपीय यूनियन का मोदी को समर्थन करने की घोषणा करने वाला आधिकारिक बयान बताया. इसी दुष्प्रचार को इकोनॉमिक टाइम्स जैसे अन्य भारतीय अखबारों ने लाखों भारतीयों तक पहुंचाया.

डिसइन्फोलैब की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 15 साल से श्रीवास्तव समूह से जुड़े संगठन संयुक्त राष्ट्र में मुख्य रूप से पाकिस्तान की अनदेखी करते हुए मानवाधिकार परिषद में प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

रिपोर्ट के अनुसार, श्रीवास्तव समूह से जुड़े संगठनों ने मर चुके लोगों और खत्म हो चुके गैर-सरकारी संगठनों को ''फिर से जिंदा'' कर इस्तेमाल किया, यानी अपने लिए विश्वसनीयता बनाने के लिए उनके नाम और पहचान का इस्तेमाल किया.

Keywords: ANI Narendra Modi Kashmir fake news european parliament European Union
कमेंट