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राजदीप सरदेसाई की संतुलनवादी पत्रकारिता की मुश्किलें

कारवां के लिए शाहिद तांत्रे
कारवां के लिए शाहिद तांत्रे
18 December, 2025

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सितंबर 2012 को नरेन्द्र मोदी गुजरात के पाटन जिले से गुज़र रही एक वैन की पैसेंजर सीट पर बैठे थे. उनके बगल में न्यूज़ चैनल सीएनएन-आईबीएन के फ़ाउंडर-एडिटर राजदीप सरदेसाई बैठे थे. सरदेसाई की टीम ने वैन के पिछले हिस्से को इंटरव्यू के लिए सैट की तरह तैयार किया था, लेकिन उस दिन गुजरात के मुख्यमंत्री ने स्टार एंकर सरदेसाई को गाड़ी के फ़ुटबोर्ड पर बैठ कर इंटरव्यू करने के लिए मजबूर कर दिया. अपनी पुरानी जान-पहचान के मद्देनज़र राजदीप सरदेसाई के लिए यह एक झटका था. आज भी सरदेसाई इस किस्से को यूं याद रखना चाहते हैं कि उन्होंने एक ताकतवर राजनेता के सामने डट कर सवाल पूछ थे, लेकिन वह अक्सर फ़ुटबोर्ड पर बैठने वाली बात को पचा जाते हैं.

नरेन्द्र मोदी और राजदीप सरदेसाई पहली बार 1990 में मिले थे. तब भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा कर राम मंदिर निर्माण की लामबंदी के लिए देशव्यापी रथयात्रा निकाल रहे थे. गुजरात में, जहां से यात्रा शुरू हुई थी, मोदी पार्टी के संगठन सचिव थे. यह उनके ज़िम्मे आया पहला बड़ा आयोजन था, जिसे उन्होंने पूरी कुशलता से पूरा किया.

आडवाणी की रथयात्रा सरदेसाई के लिए भी एक बड़ा म़ौका थी. पत्रकारिता कैरियर के सिर्फ़ दो साल में ही वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुंबई ब्यूरो में सबसे तेज़ी से उभरते चेहरों में शामिल हो चुके थे और वह रैली एक राष्ट्रीय राजनीतिक घटना को कवर करने का पहला बड़ा मौक़ा थी. अगले कुछ सालों में मोदी और सरदेसाई के बीच एक ऐसी दोस्ती पनपी कि वे अक्सर कढ़ी-चावल खाने के लिए मिलने लगे. दोनों ही उभरते सितारे थे. सरदेसाई जल्द ही एनडीटीवी से जुड़ गए और 1990 से 2000 के दशक में अंग्रेज़ीभाषी भारतीयों के बीच प्राइम-टाइम न्यूज़ का स्थायी चेहरा बन गए. एनडीटीवी को प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय का प्रोडक्शन हाउस चला रहा था. उधर मोदी गुजरात की राजनीति में एक प्रमुख नाम बनते जा रहे थे और बीजेपी को महत्वपूर्ण चुनाव जिताते जा रहे थे.

कुछ समय के लिए उन्हें गुटबाजी करने के आरोप में पार्टी ने दिल्ली भेज कर हाशिए पर डाल दिया. यहां सरदेसाई ने मोदी को वह राष्ट्रीय नज़र दिलाने में मदद की जिसकी उन्हें तलाश थी. 'मोदी ने कभी चुनाव नहीं लड़ा था,' सरदेसाई ने मुझसे कहा. 'टीवी उनका मंच बन गया.' एक बार एनडीटीवी के रात 10 बजे के शो, न्यूज़ ऑवर, में बीजेपी का मेहमान अंतिम क्षण में पीछे हट गया. सरदेसाई ने मोदी को फ़ोन किया. मोदी कुछ ही मिनट में स्टूडियो पहुंच गए. एक और बार मोदी बारिश में घंटों छतरी के नीचे बैठे रहे, धैर्यपूर्वक ऑन-एयर जाने का इंतज़ार करते रहे. 2001 में सरदेसाई के बहस शो, द बिग फ़ाइट, के एक एपिसोड में हिस्सा लेते हुए मोदी ने ख़ेद जताते हुए कहा था कि '9/11 जैसा एक हमला लग गया इस देश की झूठी सेकुलर मीडिया को ‘इस्लामिक टेररिज्म’ जैसा शब्द इस्तेमाल करने में.'

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