सरकारी निर्देशों के बाद 14 जनवरी को फेसबुक ने भारत में एथिस्ट रिपब्लिक (नास्तिक गणराज्य) के पेज को ब्लॉक कर दिया. इससे पहले 11 अक्टूबर 2020 को ट्विटर ने पेज के संस्थापक अर्मिन नवाबी के ट्विटर अकाउंट को निलंबित कर दिया था. एथिस्ट रिपब्लिक वेबसाइट फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर मौजूद होने के साथ ही दुनिया भर में अनीश्वरवादी लोगों के सबसे बड़े ऑनलाइन समूहों में से एक है.
भारत में फेसबुक पर इस संगठन के पेज को ढूंढने पर यह दिखाया जा रहा है कि यह पेज उपलब्ध नहीं है या लिंक खराब है. एथिस्ट रिपब्लिक सितंबर 2020 में चर्चा में आया जब धर्म को त्यागने वाले ईरानी कनाडाई नवाबी ने हिंदू देवी काली की एक तस्वीर पोस्ट की जो दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोगों के अनुसार उकसाने वाली थी. इस घटना के बाद नवाबी और फेसबुक के खिलाफ हमलों की बौछार शुरू हो गई. इसने तस्वीर को और अधिक फैलाने में ही मदद की.
फेसबुक ने मेरे सवाल का जवाब देते हुए पुष्टि की कि एथिस्ट रिपब्लिक का फेसबुक पेज सरकार के आदेश पर ब्लॉक किया गया है. फेसबुक प्रवक्ता ने मुझे भेजे ईमेल में बताया, "सरकार द्वारा दिए एक निर्देश का अनुपालन करते हुए, हमने भारत में https://www.facebook.com/AtheistRepublic पेज पर प्रतिबंध लगा दिया है." सरकार ने किस कारण प्रतिबंध के निर्देश दिए यह अभी तक स्पष्ट नहीं है. फेसबुक के पारदर्शिता नियमों के अनुसार अगर किसी सामग्री को कानून का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है या फिर वह सामुदायिक मानकों के विपरीत होती है, तो सोशल नेटवर्क फेसबुक और इंस्टाग्राम उस सामग्री को प्रतिबंधित कर सकती हैं. एक फेसबुक पेज को प्रभावी रूप से प्रतिबंधित करने का मतलब है कि इसे अब कोई नहीं देख पाएगा. एथिस्ट रिपब्लिक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुसान्ना मैकलंट्री ने मुझे ट्विटर के साथ हुई बातचीत के स्क्रीनशॉट भेजे, जो दिखाते है कि नवाबी के खाते को निलंबित करने के लिए भारतीय कानून प्रवर्तन द्वारा अनुरोध किया गया था. इसके बाद मैकलंट्री के ट्विटर अकाउंट को भी निलंबित कर दिया गया.
4 सितंबर 2020 को तस्वीर के सामने आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने अपमानजनक तस्वीरों के प्रसार की अनुमति देने के लिए ट्विटर के खिलाफ दिल्ली और मुंबई के पुलिस थानों में शिकायत दर्ज कराई. भारत सरकार के आलोचकों पर हमले करने के लिए पहचानी जाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी ट्विटर पर नवाबी और उनकी मां पर हल्ला बोल दिया. दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल ने नवाबी की पोस्ट के खिलाफ दो मुकदमे दायर किए. तस्वीर के खिलाफ अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आज्ञापत्र में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करने और नफरत फैलाने वाले भाषणों का प्रसार करने के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को जिम्मेदार ठहराने के निर्देशों की मांग की गई थी. जनवरी में दायर एक अन्य आज्ञापत्र में फेसबुक इंडिया और संचार मंत्रालय के तहत आने वाले दूरसंचार विभाग को उत्तरदायी ठहराया गया. इसमें फेसबुक द्वारा स्थाई रूप से अपमानजनक सामग्री के प्रकाशन, प्रसारण, वितरण या प्रचार को रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की गई थी. दूसरे मुकदमे के कारण भी ऐसा हो सकता है कि फेसबुक ने भारत में पेज को ब्लॉक कर दिया हो.
एथिस्ट रिपब्लिक खुद को ईश्वर को न मानने वाले लोगों का समुदाय बताता है जो एक-दूसरे से अपने विचार साझा करते हैं और एक-दूसरे को अपना निरीश्वरवाद व्यक्त करने में मदद करते हैं.
उनके फेसबुक पेज पर लिखा है, "हम नास्तिक हैं और हमें इस पर गर्व है. हम जिस चीज में विश्वास करते हैं या जिसमें नहीं करते उसके लिए हम माफी नहीं मांगेंगे. हम नफरत फैलाने वालों से डर कर अपना नाम या पहचान नहीं बदलेंगे. एकजुट होने के बाद भी हम डर के आगे नहीं झुकेंगे. क्रूरता और अन्याय को देखकर हम चुप नहीं रह सकते, क्योंकि हम सिर्फ नास्तिक नहीं हैं बल्कि ऐसे नास्तिक हैं जो सभी का सम्मान करते हैं." एथिस्ट रिपब्लिक के फेसबुक पेज पर 2.35 मिलियन और ट्विटर हैंडल पर 130000 फॉलोअर्स हैं.
मैकलंट्री ने ईमेल में कहा कि उनके फेसबुक पेज को भारत में 14 जनवरी 2021 को ब्लॉक कर दिया गया था. जिंदल की याचिका में उल्लेख किया गया है कि कानूनी रूप से मामले को आगे बढ़ाने के पीछे सिर्फ काली की तस्वीर ही मुख्य कारण नहीं थी, बल्कि मुस्लिम विरोधी हिंसा के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली अफवाहों के कारण भी इस तकनीकी क्षेत्र को नियंत्रित में रखने की जरूरत है.
2013 के मुजफ्फरनगर दंगे और 2014 में पश्चिमी महाराष्ट्र की एक घटना, जहां मध्यकालीन हिंदू राजाओं की मूर्तियों को लेकर दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने दंगा कर दिया था, जैसी कुछ घटनाएं अफवाहों से फैली हिंसा की उदाहरण हैं.
जिंदल ने फोन पर हुई बातचीत में मुझे बताया, "अर्मिन नवाबी और एथिस्ट रिपब्लिक द्वारा ट्विटर और फेसबुक पर प्रसारित की गई हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें अपमानजनक होने के साथ ही इस्लाम की भावनाओं के भी खिलाफ हैं. यह सिर्फ हिंदू-देवताओं के बारे में नहीं है, वे सभी धर्मों को निशाना बना रहे हैं. मैंने जो दीवानी मुकदमा दायर किया है वह फेसबुक के खिलाफ है जिसमें दूरसंचार विभाग को उत्तरदायी बनाया गया है." मैंने उनसे पूछा कि क्या फेसबुक ने आपकी ही याचिका के कारण पेज को निलंबित किया है, तो जिंदल ने हां में जवाब दिया. “शायद फेसबुक को मंत्रालय से एक निर्देश की आवश्यकता थी, अन्यथा उनके पास अपने दिशानिर्देश भी हैं. पहले मैंने एथिस्ट रिपब्लिक के फेसबुक पेज को रिपोर्ट किया लेकिन उन्होंने इसे ब्लॉक करने से इनकार कर दिया, इसलिए मैंने फेसबुक और मंत्रालय के खिलाफ याचिका दायर की."
एथिस्ट रिपब्लिक के फेसबुक पेज पर अक्सर सभी धर्मों के बारे में पोस्ट किया जाता है. यह विभिन्न धर्मों के देवी-देवताओं की कामुक तस्वीरों वाली टी-शर्ट और अन्य सामान भी बेचते हैं. मैकइंट्री ने ईमेल किए गए प्रश्नों के जवाब में कहा कि पेज के भारत में 300000 से अधिक फॉलोर्स हैं. मैकइंट्री ने यह भी आरोप लगाया कि भारत में कई इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया था, हालांकि मैं साइट का उपयोग कर सकता था. उन्होंने यह भी माना कि हो सकता है कि प्रतिबंध कुछ प्रमुख क्षेत्रीय आईएसपीएस द्वारा चुनिंदा रूप से लागू किया गया हो. इस तक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करके भी पहुंच बनाई जा सकती है.
कारवां ने इस बारे में दूरसंचार विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से कुछ सवाल पूछे हैं. यदि वे जवाब देते हैं तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
डिजिटल अधिकारों से जुड़े एक संगठन इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता ने मुझे बताया, "यहां ऐसे कई मुद्दे हैं. सबसे पहला मुद्दा सामग्री में मुख्य आपराधिकता से सम्बंधित है, यदि कोई हो. भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत बताए गए भाषण से जुड़े अपराध वास्तव में घृणा फैलाने भाषणों पर लगाम नहीं लगते है. और यह बस मोटे तौर पर लिख दिए गए हैं. दूसरा मुद्दा यह है कि जब प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म ऐसे कदम उठाते है तब उनके पास पारदर्शिता के स्पष्ट पैमाने नहीं होते. और वे पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं दे पाते, यही कारण है कि लोग उनकी नीतियों के परस्पर विरोधी होने की बात करते हैं, जहां कुछ सामग्री की अनुमति होती है और कुछ पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है." गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार को कुछ वेबसाइटों और पेजों को ब्लॉक करने की शक्तियां प्रदान करने वाली वर्ष 2000 में बनी सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A एक विशिष्ट नियम है जो उन्हें मालिक या मध्यस्थ को सूचना दिए बगैर सामग्री को प्रतिबंध करने के लिए निर्देश जारी करने की अनुमति देती है.
हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा एथिस्ट रिपब्लिक के खिलाफ अभियान चलाने के बाद नवाबी, मैकइंट्री और उनके परिवार को निशाना बनाने के लिए अश्लील चित्र और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए. उदाहरण के लिए, नवाबी और उसकी मां के बारे में kreately.in नामक वेबसाइट पर एक पोस्ट डाली गई, जिसे भारतीय जनता पार्टी के नेता और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुस्लिम विरोधी हिंसा को उकसाने के आरोपी कपिल मिश्रा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया. ट्विटर पर कई और लोगों ने भी अश्लील वीडियो साझा किए हैं, जिसमें नवाबी की मां का चेहरा किसी और चेहरे पर लगाया गया है. कारवां द्वारा समीक्षा किए गए दो ट्विटर पोस्टों में से एक जिसमें नवाबी की मां का मजाक बनाया गया है अभी भी वहां उपलब्ध है. हालांकि, एक अन्य अश्लील तस्वीर को ट्विटर नियमों का उल्लंघन करने पर हटा दिया गया है. ऐसा लगता है कि कारवां द्वारा ट्विटर से पूछे गए प्रश्नों के बाद ही ट्विटर ने यह कदम उठाया है. मैकइंट्री ने मुझे बताया कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक करने की भी कोशिश की गई थी.
मैकइंट्री ने ट्वीट के आपत्तिजनक अश्लील सामग्री वाले कुछ स्क्रीनशॉट भेजे जिसमें उनकी, नवाबी की मां और उसकी पत्नी को निशाना बनाया गया है. 18 जनवरी 2021 को एथिस्ट रिपब्लिक ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया कि मैकइंट्री का ट्विटर अकॉउंट बिना किसी औपचारिक सूचना के निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने अकॉउंट के निलंबन की समीक्षा के लिए ट्विटर को भेजी मैकइंट्री की अपील का स्क्रीनशॉट भी ट्वीट किया. मैकइंट्री ने ट्विटर की कानूनी टीम द्वारा नवाबी को भेजे एक ईमेल के स्क्रीनशॉट भी भेजे थे. उस समय उनका अकॉउंट चालू था. इसमें लिखा है, “पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए हम आपको सूचित कर रहे हैं कि ट्विटर से भारतीय कानून प्रवर्तन ने आपके ट्विटर अकाउंट की सामग्री को लेकर अनुरोध किया है, जिसमें दावा किया गया है कि आपके द्वारा प्रसारित सामग्री भारत के कानून का उल्लंघन करती है. हमने इस समय तक रिपोर्ट की गई आपकी सामग्री पर कोई कार्रवाई नहीं की है." हालांकि, 3 दिसंबर को ट्विटर ने नवाबी को एक ईमेल में बताया कि उनका खाता निलंबित कर दिया गया है और उसे अब बहाल नहीं किया जाएगा क्योंकि यह ट्विटर की सेवा शर्तों का उल्लंघन करता और विशेष रूप से ट्विटर के घृणास्पद आचरण से जुड़े नियमों के खिलाफ पाया गया है.
भेजे गए ईमेल का जवाब देते हुए ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा, "अर्मिन नवाबी के अकॉउंट को दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और घृणास्पद आचरण से जुड़ी नीति का उल्लंघन करने पर स्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था." भेजे गए सवालों के साथ मैंने कुछ ट्विटर पोस्ट भी भेजे जिसमें नवाबी को निशाना बनाया गया था. और जवाब मांगा कि जिन अकाउंट से उन्हें पोस्ट किया था, उन्हें दुरुपयोग और उत्पीड़न के समान नियमों के तहत निलंबित नहीं किया गया. प्रवक्ता ने कहा, "ट्विटर की खुली प्रकृति का मतलब है कि हमारी प्रभावशील क्रियाएं सार्वजनिक रूप से सभी के सामने रहती हैं. और तब भी हम अपने नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं." प्रवक्ता ने आगे कहा, “लोग ट्विटर पर स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करें, हम इसका स्कवागत करते हैं, तब भी हमारे पास विशेष रूप से हिंसा, दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और घृणित आचरण जैसी समस्याओं का समाधान करने के लिए नीतियां हैं."