प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को तीन सप्ताह के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा करने से लगभग छह घंटे पहले, मुख्यधारा के बीस से अधिक प्रिंट मीडिया संपादकों और मालिकों से व्यक्तिगत रूप से कोविड-19 महामारी के बारे में सकारात्मक समाचार प्रकाशित करने को कहा था. मोदी ने जिन मालिकों और संपादकों से मुलाकात की उनमें 11 क्षेत्रीय भाषाओं के मीडिया घरानों के मालिकों और संपादकों सहित इंडियन एक्सप्रेस समूह, हिंदू समूह और पंजाब केसरी समूह जैसे राष्ट्रीय मीडिया घरानों के वरिष्ठ सदस्य भी शामिल हैं. मोदी की आधिकारिक वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने इन लोगों को “सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करने” और कोविड-19 संकट से निपटने के लिए “सरकार की सतत प्रतिक्रिया” के बारे में जानकारी उपलब्ध करने के लिए कहा है. वेबसाइट में आगे कहा गया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित और डेढ़ घंटे तक चली बातचीत में प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि "निराशावाद, नकारात्मकता और अफवाहों से निपटना महत्वपूर्ण है. नागरिकों को आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि सरकार कोविड-19 के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
प्रधानमंत्री की वेबसाइट बताती है कि बातचीत के दौरान मोदी एक नोटबुक और पेन लेकर बैठे थे और प्रतिभागियों द्वारा कोई सुझाव देने पर मोदी को उन्हें नोट करते हुए देखा जा सकता है. यह कवायद पत्रकारों को लगभग सरकार के एक अंग के तौर पर दर्शाती है बजाए इसके कि वे एक ऐसी संस्था के सदस्य हैं जिनका काम सरकार की कमियों पर सवाल उठाना होता है. इसके बजाय ज्यादातर मालिक और संपादक इस बातचीत के लिए आभार प्रकट करते नजर आए. प्रधानमंत्री की वेबसाइट ने बताया कि पत्रकारों ने कोविड-19 के बारे में "प्रेरक और सकारात्मक खबरों को प्रकाशित करने के लिए प्रधानमंत्री के सुझावों पर काम" किया है. बातचीत के बाद बैठक में उपस्थित कुछ मालिकों और संपादकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल करने और उनके सुझाव सुनने के लिए ट्वीटर पर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और कुछ ने अगले दिन टीवी स्क्रीन पर आई अपनी और मोदी की तस्वीरों के साथ बैठक की रिपोर्ट प्रकाशित की.
कॉन्फ्रेंस के बाद, मैंने बातचीत में शामिल राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया घरानों के 9 मालिकों और संपादकों से बात की. लगभग सभी इस कॉन्फ्रेंस से अभिभूत दिखाई दिए, जिसके बारे में कुछ ने बताया कि मोदी उनके सुझावों पर ध्यान देते हुए गंभीर ''मुद्रा'' में थे.
मैंने मालिकों और संपादकों से पूछा कि क्या मोदी के साथ उनकी बातचीत, जिसमें सकारात्मक खबरों को प्रकाशित करने का सुझाव दिया गया है, नोवेल कोरोनवायरस से लड़ने के लिए सरकार की नीतियों पर कोई आलोचनात्मक लेख प्रकाशित करने पर उनकी संपादकीय नीति को प्रभावित करेगी. उनमें से केवल दो ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे बातचीत के बावजूद सवाल उठाने वाली रिपोर्ट और लेख प्रकाशित करते रहेंगे, जबकि तीन ने कहा कि वे ऐसा नहीं करेंगे, लेकिन यह अन्य कारणों की वजह से होगा, कॉन्फ्रेंस में हुई बातचीत के कारण नहीं. उनमें से एक ने मुझसे इस रिपोर्ट में हमारी बातचीत का हवाला देते हुए इस तरह के सवाल का संदर्भ न देने को कहा. दूसरों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
लेकिन उनके बाद के कोविड कवरेज की पड़ताल से पता चलता है कि मोदी की चेतावनी ने अपना काम कर दिया है, समाचार पत्र वायरस के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर आलोचनात्मक नहीं हैं. इन संस्थानों द्वारा सार्वजनिक-स्वास्थ्य संकट के कवरेज में लॉकडाउन की खराब योजना और विनाशकारी कार्यान्वयन या विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व चेतावनी के बावजूद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों का स्टॉक करने में विफलता जैसी महामारी से लड़ने की तैयारी में सरकार की विफलता का बहुत कम उल्लेख है.
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