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इंडिया टुडे टीवी की संवाददाता तनुश्री पांडे ने 30 सितंबर 2020 को रात के 1.44 बजे ट्वीट किया, “गांव में बवाल मचा हुआ है. उत्तर प्रदेश पुलिस और अधिकारी करीबियों पर रात में ही दाह संस्कार करने का दबाव बना रहे हैं. परिवार की मांग है कि हमें कम से कम एक बार लड़की को घर ले जाने दें.”
पांडे उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में थी. वहां दो हफ्ते पहले एक युवा दलित महिला के साथ प्रभावशाली ठाकुर जाति के चार पुरुषों ने बलात्कार किया था. इस घटना के बाद महिला लकवाग्रस्त हो गई थी और उसकी जीभ कट चुकी थी. उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने इस बर्बरता को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की, लेकिन जैसे-जैसे मामला सामने आया और लोगों में आक्रोश बढ़ता गया, उन्हें आरोपियों को गिरफ्तार करना पड़ा. जख्मी पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. उसके शव को घर वापस लाया गया था.
उसी रात लगभग 3 बजे पांडे ने फिर ट्वीट किया, “बिल्कुल अविश्वसनीय. मेरे ठीक पीछे #HathrasCase पीड़िता की जलती हुई लाश है. पुलिस ने परिवार को उनके घर के अंदर बंद किया और बिना किसी को बताए शव को जला दिया.” ट्वीट के साथ लगी एक वीडियो में अंधेरे में एक अकेली चिता को जलते हुए देखा जा सकता है, जिसमें पुलिस पास खड़े कुछ लोगों को दूर रखे हुए है.
पांडे के ट्वीट जल्द ही वायरल हो गए, जिसने भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय सिंह बिष्ट के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के संकट को और बढ़ा दिया. कई लोगों ने इस बात का पर्दाफ़ाश करने के लिए उनकी सराहना की. इस बीच बीजेपी इस अपराध की गंभीरता को हल्का करने में जुटी हुई थी. पार्टी के सूचना-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने पीड़िता का एक पुराना वीडियो, जिसमें वह हमले का वर्णन कर रही है, पोस्ट करते हुए सुझाव दिया कि उसका गला घोंटा गया था, लेकिन यह यौन हिंसा का मामला नहीं था. (ऐसा प्रतीत होता है कि मालवीय को परवाह नहीं थी कि बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर कर उनका वीडियो भारतीय कानून का उल्लंघन कर रहा है.) उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी एक फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ था.
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