16 अगस्त को शाम 6.10 बजे पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्टर साझा किया. उस पोस्टर में हिंदू आर्मी के सुशील तिवारी की फोटो के साथ लिखा था, “राम मंदिर में शूद्रों- OBC SC ST- का प्रवेश निषेध रहेगा. सभी लोग एकसाथ आवाज उठाएं.”
प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने बताया कि वह पोस्टर प्रशांत से पहले कई लोग शोयर कर चुके थे. उन्होंने बताया कि “जैसे ही प्रशांत को पता चला कि पोस्टर मॉर्फ्ड (छेड़छाड़ की गई) है तो उन्होंने उसे हटा दिया था. इसके बावजूद पुलिस ने प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया.”
17 अगस्त की शाम लखनऊ के हजरतगंज थाने में प्रशांत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1890 की नौ और सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की एक धारा के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई. एफआईआर हजरतगंज थाने के सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार शुक्ला की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है जिसमें प्रशांत पर आरोप लगाया गया है कि उनका “आपत्तिजनक पोस्ट विभिन्न समुदायों में वैमनस्य फैलाने वाला, सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला तथा धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला है जिससे लोक प्रशांति भंग हो सकती है.”
पिछले साल जून में उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रशांत को लखनऊ के एक अन्य सब इंस्पेक्टर विकास कुमार की शिकायत पर राज्य के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ (अजय सिंह बिष्ट) को लेकर एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. तब प्रशांत की गिरफ्तारी का दिल्ली और अन्य राज्यों के पत्रकारों ने विरोध किया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था.
जगीशा का कहना है कि प्रशांत की रिपोर्टिंग की वजह से उत्तर प्रदेश प्रशासन उन्हें निशाना बना रहा है. जगीशा ने बताया कि प्रशांत ने वायर के लिए की अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि 2 अप्रैल 2018 को दलित संगठनों द्वारा आयोजित भारत बंद के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ में पुलिस ने नाबालिग बच्चों को गिरफ्तार किया था और इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने बाद से ही राज्य प्रशासन उन्हें निशाना बना रहा है. जगीशा ने यह भी कहा कि प्रशांत को दलित होने की वजह से भी निशाना बनाया जा रहा है.
नीचे पेश है कारवां हिंदी के विष्णु शर्मा के साथ जगीशा अरोड़ा की बातचीत.
विष्णु : पत्रकार प्रशांत कनौजिया को किन परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया?
जगीशा : 18 अगस्त को 12 बजे के आसपास उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशांत को गिरफ्तार करने दिल्ली स्थित हमारे घर आई थी. उस दिन मेरा जन्मदिन था. मैंने दरवाजा खोला और पूछा कि वे लोग कौन हैं, तो उन्होंने कहा कि ‘आप प्रशांत को बुलाइए, वह हमें जानते हैं.’ जब हम जान गए कि वे लोग यूपी पुलिस हैं तब हमने उनसे पूछा कि किस मामले में प्रशांत को गिरफ्तार करने आए हैं परंतु उन लोगों ने बस इतना ही कहा कि एक ट्वीट का मामला है. जब हमने पूछा कि बताइए कि वह ट्वीट कौन सा है तो उन लोगों ने बस इतना ही कहा कि आप खुद पता कर लीजिएगा.
पुलिस ने हमें बताया कि फिलहाल वे प्रशांत को लेकर ट्रांजिट रिमांड लेने वसंत विहार थाने जा रहे हैं. उन लोगों ने मुझे आधे घंटे में थाने पहुंच कर मामले के बारे पता लगाने के लिए कहा. 15-20 मिनट बाद जब हम लोग वसंत विहार थाने पहुंचे तो पता चला कि वहां आए ही नहीं हैं. मैंने प्रशांत को लेने आए 5-6 पुलिस वालों में से एक का नंबर रख लिया था. जब मैंने उस नंबर पर फोन किया तो मुझे बताया गया कि वे लोग नोएडा क्रॉस कर चुके हैं.
विष्णु : क्या उन लोगों ने आप से ट्रांजिट रिमांड के बारे में झूठ बोला?
जगीशा : जी, उन्होंने हमसे झूठ बोला. मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे घर आने से पहले ही ट्रांजिट रिमांड ले ली होगी और हमें साथ आने से रोकने के लिए कहा होगा कि हम बाद में वसंत विहार थाने आएं. जब वे प्रशांत को ले जा रहे थे तब मैंने उनसे जिद्द की थी कि मैं भी वसंत विहार थाने साथ चलूंगी लेकिन उन्होंने हमें कह दिया कि मैं नहीं आ सकती. वे लोग पुलिस थे तो हम क्या कर सकते थे? हम लोग ज्यादा कुछ बोल नहीं सकते थे.
बाद में हमें एफआईआर की कॉपी भेजी गई. उसमें प्रशांत पर 10 धाराओं में आरोप लगाए गए हैं. सब इंस्पेक्टर दिनेश कुमार शुक्ला ने शिकायत की थी कि प्रशांत द्वारा शेयर की गई तस्वीर का उद्देश्य सुशील तिवारी की “ख्याति को अपहानि” पहुंचाना है.
आप सुशील तिवारी की टाइम लाइन देखिए तो पता चलेगा कि वह शख्स यूपीएससी से इस्लामिक स्टडीज को हटाने की बात करता है, यूट्यूब और फेसबुक में वह कम्युनल टिप्पणी और भड़काऊ भाषण शेयर करता है. मुसलमानों को काट देने जैसी बात करता है. ऐसे वीडियो अभी भी मौजूद हैं. दूसरी तरफ प्रशांत के पास एक मॉर्फ्ड इमेज आई जिसमें लिखा था, ‘राम मंदिर में शूद्रों- OBC SC ST- का प्रवेश निषेध रहेगा. सभी लोग एकसाथ आवाज उठाएं.’ प्रशांत को जैसे ही पता चला कि वह मॉर्फ्ड फोटो है तो उन्होंने उसे ट्विटर से हटा दिया. एक बात और वह इमेज बहुत दिनों से सोशल मीडिया में सर्क्युलेट हो रही थी. हमें नहीं पता कि वह किसने बनाई है. पुलिस ने उस फोटो को बनाने वाले पर कोई कार्रवाई नहीं की. यहां तक कि पुलिस ने सुशील तिवारी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी पोस्ट बहुत ज्यादा कम्युनल और इस्लामोफोबिक है. उसने प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया जबकि उन्होंने वह पोस्ट डिलीट कर दी थी. उन्हें स्क्रीनशॉट के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.
विष्णु : आपने बताया कि जो पोस्टर प्रशांत ने ट्वीट किया था वह पहले से ही सोशल मीडिया पर मौजूद था. आपको क्या लगता है कि प्रशांत को ही क्यों टारगेट किया जा रहा है?
जगीशा : इसकी मुख्य वजह यह है कि जब प्रशांत वायर में काम करते थे तो उन्होंने यूपी सरकार को लेकर बहुत सारी रिपोर्टें की थीं. 2018 के भारत बंद में मेरठ पुलिस द्वारा नाबालिगों को 18-19 साल का बताकर जेल में बंद करने का उन्होंने खुलासा किया था. वह मुद्दा बड़ा हो गया और काफी हाइलाइट हुआ और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संज्ञान लिया और निर्देश दिया कि उन बच्चों को छोड़ दिया जाए. इसके अलावा भी यूपी सरकार के कामकाज के तरीकों को लेकर प्रशांत बोलते रहे थे और क्रिटिकल थे. मेरा कहना है कि सरकार उन सभी लोगों को निशाना बना रही है जो सरकार से सवाल करते हैं, जो उसकी गलत नीतियों को उजागर करते हैं. सरकार सोचती है कि गिरफ्तारियों को इतना नॉर्मल बना दो कि कोई आवाज ही ना उठा पाए, सब डर जाएं.
विष्णु : पिछले डेढ़ महीनों में उनकी रिहाई के लिए आपने क्या-क्या किया है?
जगीशा : मैं उनकी रिहाई के लिए सबसे पहले लखनऊ सत्र न्यायालय गई. वहां हमारी अपील बिना कोई ठोस वजह बताए खारिज कर दी गई. उसके बाद हम लोग हाई कोर्ट गए तो हाई कोर्ट ने हमें चार हफ्ते बाद की तारीख दे दी. अब चार हफ्ते बाद सरकार काउंटर करेगी कि क्यों प्रशांत को बेल नहीं मिलनी चाहिए. यह सुनवाई 19 अक्टूबर को होनी है. इसके अलावा मैं इस मुद्दे पर बहुत सारे लोगों से संपर्क कर रही हूं और ट्विटर पर रोज अपनी बात रखती हूं. मैं अन्य पत्रकारों से बात कर रही हूं. मैं महाराष्ट्र के बहुजन एक्टिविस्टों से बात कर रही हूं. मैं दलित जर्नलिस्टों से बात कर रही हूं कि वे सभी प्रशांत को लेकर आवाज उठाएं. प्रशांत को एक गलती से किए गए ट्वीट की वजह से गिरफ्तार किया गया है.
विष्णु : प्रशांत को कहां बंद रखा गया है? आप उनसे पिछली बार कब मिली थीं?
जगीशा : शुरुआत के सात दिन क्वारंटीन सेंटर में रखा गया था फिर बाद में उन्हें लखनऊ जेल शिफ्ट कर दिया गया. मुझे पर्सनली नहीं पता कि वह किस स्थिति में हैं. इस बीच मैं बस एक ही बार 19 अगस्त को प्रशांत से बात कर पाई हूं जब कोर्ट में उनकी पेशी हुई थी और उनके वकील ने मेरी उनसे फोन पर बात कराई थी. हमें जेल में उनसे मिलने नहीं दिया जाता है.
विष्णु : जिस मामले में प्रशांत को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था उसकी स्थिति क्या है?
जगीशा : उस मामले में कुछ नहीं हुआ है. पुलिस उस पर (अदालत में) कुछ नहीं बोल पाई. पुलिस का मकसद शुरू से ही किसी न किसी बहाने प्रशांत को टारगेट करना रहा है. वह एक केस खत्म नहीं करती है और दूसरा केस लगा देती है. इतने सारे लोग कितना कुछ शेयर करते हैं, क्या-क्या नहीं लिखते, सांप्रदायिकता फैलाते हैं, इस्लामोफोबिक हैं लेकिन उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता लेकिन प्रशांत पर लिया जाता है क्योंकि वह एक इजी टारगेट हैं, दलित हैं.
जो कुछ हाथरस में हो रहा है उसे देखते हुए मुझे यूपी पुलिस और प्रशासन से बिल्कुल उम्मीद नहीं है कि कुछ पॉजिटिव होगा. वहां जानबूझकर अरेस्ट को नॉर्मल बनाने की कोशिश की जा रही है.
विष्णु : हाल में हम देखते हैं कि उमर खालिद और अन्य युवा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का सिलसिला सा चल रहा है. क्या आप प्रशांत की गिरफ्तारी को उनके साथ जोड़ कर देखती हैं?
जगीशा : बिल्कुल. प्रशांत बहुत खुले रूप से अपनी बात करते थे. उमर खालिद और अन्य लोग जो गिरफ्तार हुए हैं, वे लोग बहुत खुलकर अपनी बात रखते थे. सीएए विरोधी प्रोटेस्टों में भी प्रशांत सक्रिय रूप से अपनी आवाज रखते थे. वह कहते हैं कि यह नहीं होना चाहिए. वह जगह-जगह जाकर अपनी बात रख रहे थे, महिलाओं से मिल रहे थे. वह बहुत एक्टिवली प्रोटेस्ट कर रहे थे. वह इस मामले में प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ की आलोचना कर रहे थे. सरकार को लोगों का उसके विरोध में लिखना पच नहीं रहा है और वह लोगों को सीधे जेल में डाल दे रही है. प्रशांत के खिलाफ तो कोई मामला भी नहीं था. प्रशांत को एक ट्वीट करने पर गिरफ्तार किया गया है, जो उन्होंने डिलीट कर दिया था.
विष्णु : आपने कहा कि आपको यूपी सरकार से बिल्कुल उम्मीद नहीं है. ऐसा क्यों है?
जगीशा : यह सरकार दलित और मुस्लिम विरोधी है. आप आंकड़े उठाकर देख लीजिए कि यूपी में दलितों पर कितने अत्याचार हुए हैं, दलित महिलाओं पर कितने अत्याचार हुए हैं. इन मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन है.
विष्णु : प्रशांत को गिरफ्तार कर उत्तर प्रदेश ले जाने तक जिस तरह से पुलिस ने आपको गुमराह किया क्या आपने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की है?
जगीशा : हमें शिकायत करने का मौका नहीं मिला क्योंकि हमारे अंदर एक डर पैदा किया जा रहा है कि अगर हम लोग शिकायत करेंगे तो हमारे लिए मुश्किल हो जाएगी.
विष्णु : क्या पुलिस ने आपको धमकाया है?
जगीशा : पुलिस ने मुझे सीधे तौर पर तो नहीं धमकाया लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो मुझे रेप थ्रेट (बलात्कार की धमकी) देते हैं. प्रशांत के लिए लड़ने के साथ-साथ मैं एक अलग लड़ाई भी लड़ रही हूं.
विष्णु : आपको इस लड़ाई में घर वालों से कितना सहयोग मिल रहा है?
जगीशा : मैं 28 साल की हूं और प्रशांत 27 साल के हैं. हम दोनों ने परिवार के खिलाफ जाकर इंटर कास्ट मैरिज (अंतर जाति विवाह) की है. आने वाली 11 अक्टूबर को हमारी शादी को दो साल हो जाएंगे. वह मुंबई के हैं और मैं दिल्ली की हूं. मेरी फैमिली से मुझे इस मामले में कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है.
मेरे परिवार वाले मुझसे कहते हैं कि हमने तो शादी करने से मना ही किया था. वे तो चाहते ही हैं कि हमारा तलाक हो जाए. वे लोग मुझे बहुत कम फोन करते हैं और जब भी करते हैं तो यही कहते हैं कि हमने तो तुम्हें शादी करने से मना किया था. लेकिन प्रशांत के घर से सपोर्ट मिलता है लेकिन वे मुंबई में हैं और फिलहाल ट्रैवल नहीं कर सकते.
विष्णु : आप पाठकों से कुछ कहना चाहेंगी?
जगीशा : मैं यह अपील करना चाहती हूं की अदालत की कार्यवाही से न्याय जब मिलेगा, तब मिलेगा लेकिन मैं चाहती हूं कि लोग प्रशांत को लेकर बात करें. मुझे प्रशांत से बात किए हुए एक महीने से ज्यादा हो गया है. मैं मानसिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हूं. मैं लोगों से कहना चाहती हूं कि आप लोग कम से कम राजनीतिक बंदियों के बारे में बात कीजिए. उनका साथ मत छोड़िए. जैसे कोई तीसरा पुलिस इंस्पेक्टर सुशील तिवारी की मानहानि पर चिंतित हो सकता है तो प्रशांत की गिरफ्तारी पर आप लोग भी चिंतित हों.