"किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए मीडिया ने उछाला मेरा मामला," टिकरी की यौन उत्पीड़न पीड़िता

19 जनवरी 2021 को दिल्ली की टिकरी सीमा पर किसानों के आंदोलन स्थल पर महिला प्रदर्शनकारी. सितंबर 2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन में महिलाओं ने बड़े स्तर पर उपनी भागीदारी दिखाई है.
शाहिद तांत्रे / कारवां
19 जनवरी 2021 को दिल्ली की टिकरी सीमा पर किसानों के आंदोलन स्थल पर महिला प्रदर्शनकारी. सितंबर 2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन में महिलाओं ने बड़े स्तर पर उपनी भागीदारी दिखाई है.
शाहिद तांत्रे / कारवां

“उनका उद्देश्य सिर्फ आंदोलन को बदनाम करना है और मेरे साथ या आंदोलन में शामिल महिलाओं के साथ उनकी सहानुभूति नकली है,” टिकरी में यौन उत्पीड़न की पीड़िता का कहना है. अप्रैल 2021 में हुई इस घटना के बारे में गलत रिपोर्टिंग करने के लिए दो मीडिया संस्थानों, ऑपइंडिया और सीएनएन न्यूज18, को कानूनी नोटिस भेजने के तुरंत बाद उन्होंने मुझसे बात की. पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट 29 वर्षीय महिला ने बताया, "इन झूठी रिपोर्टों में बलात्कार और छेड़छाड़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके पूरे मामले को सनसनीखेज बनाने से पहले उन्होंने मुझसे बात तक नहीं की."

उनका मानना ​​है कि सरकार आंदोलन को बदनाम करने और पटरी से उतारने के लिए उनके मामले में झूठी कहानियां बनाकर इस्तेमाल कर रही है. "ये सभी तथाकथित समाचार चैनल और समाचार पत्र जिन्होंने मुझसे पूछे बिना ही मेरी कहानी प्रकाशित कर इसे सनसनीखेज बनाया, वे सभी सरकार द्वारा समर्थित मीडिया हैं."

महिला ने कहा कि वह आंदोलन में भाग लेना जारी रखेगी. वह किसानों के हितों का समर्थन करती हैं और "इस आंदोलन को महिलाओं के लिए और अनुकूल बनाना चाहती हैं क्योंकि इससे महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ेगी.” उन्होंने मुझे बताया कि उनहोंने घटनाओं के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात की क्योंकि वह चाहती थी कि आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोग महिलाओं के मुद्दों पर भी ध्यान दें. "महिलाएं इस बात की परवाह किए बिना कि आंदोलन कितना लंबा खिच सकता है, पिछले छह महीनों से पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चली हैं लेकिन आंदोलन स्थल पर शिकायत निवारण तंत्र भी नहीं है." उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं के प्रति पितृसत्तात्मक मानसिकता और द्वेषपूर्ण रवैया हर जगह मौजूद है इसलिए ऐसे ढ़ाचों की सख्त जरूरत है जहां महिलाएं या कोई भी व्यक्ति अपने मुद्दों के निवारण के लिए आ सके.”

पीड़िता ने पहले 29 मई को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में घटना पर सार्वजनिक रूप से बता की थी. इसमें 22 और 23 अप्रैल के बीच हुई घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है. उस समय वह महिला पिंड कैलिफोर्निया नाम के एक क्लिनिक और रैन बसेरा में सेवा कर रही थीं. डॉ. सवाईमान सिंह, अमेरिकी हृदय रोग विशेषज्ञ, इसे चला रहे हैं. जिस दिन वह पोस्ट डाली गई उसी दिन पत्रकार संदीप सिंह ने महिला के पोस्ट के बारे में लिखा.

पोस्ट में बताया गया था कि क्लिनिक में दो स्वयंसेवकों ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न और उनके साथ छेड़छाड़ की. पोस्ट में लिखा था कि जब पीड़िता मदद के लिए सवाईमान के पास गईं तो उन्होंने कहा कि “मैं आपकी सुरक्षा नहीं कर सकता. फिर उन्होंने कहा कि वह मुझे वापस सिंघू छोड़ देगें और जब महिला डॉक्टर यहां होंगी तो फोन करेंगे. डॉक्टर साहब ने कुछ नहीं पूछा कि क्या हुआ? वे स्वयंसेवक कौन थे जिन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया? मुझे इसे लेकर क्या करना चाहिए? मैं ठीक हूं या नहीं? कुछ भी नहीं पूछा. वह केवल मुझसे छुटकारा पाना चाहते थे. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि वह मुझे खुद सिंघू सीमा पर छोड़ देगें.” महिला ने मुझे बताया, "उसने मुझे सिंघू सीमा नहीं छोड़ा और पूरे दिन इंतजार करने और दुर्व्यवहार करने वालों के साथ एक ही छत के नीचे दो रातें बिताने के बाद मुझे वापस रेल से घर जाना पड़ा."

पीड़िता पोस्ट में लिखती हैं, “मोर्चे का सम्मान उन महिलाओं द्वारा नहीं गिरता है जो अपने साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ बोलती हैं बल्कि उन पुरुषों के कारण बदनामी होती है जो ऐसी चीजें करते हैं और यह मेरे लिए शर्मिंदगी या अपमान की बात नहीं है बल्कि उत्पीड़न करने वालों और उनका साथ देने वालों को आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है. वे हम महिलाओं को इस आंदोलन और समाज का एक तुच्छ हिस्सा मानना बंद करें."

जतिंदर कौर तुड़ वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले दो दशकों से इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और डेक्कन क्रॉनिकल सहित विभिन्न राष्ट्रीय अखबारों में लिख रही हैं.

Keywords: Farmers' Protest Tikri Border sexual harassment
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