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{एक}
नोएडा के एक आलीशान दफ़्तर के कॉन्फ़्रेंस रूम में उस दिन क़रीब 10 संपादक जमा थे. वहां सीएनएन न्यूज़18 के कार्यकारी संपादक, आईबीएन नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी निर्माता और मनीकंट्रोल और फ़र्स्टपोस्ट समेत कई न्यूज़ वेबसाइटों के संपादक थे. यह नेटवर्क18 का शीर्ष संपादकीय नेतृत्व था. नेटवर्क18 समूह को अक्सर एशिया के सबसे बड़े मीडिया साम्राज्यों में एक माना जाता है. सीएनएन न्यूज़18 अपने सहयोगी नेटवर्क सीएनएन इंटरनेशनल से ज़्यादा दर्शकों तक पहुंच का दावा करता है, लेकिन 2015 के उस सर्द नवंबर के दिन उनके सामने एक बड़ी समस्या थी.
जिस दिन का ऊपर ज़िक्र हो रहा है वह बिहार में महीने भर चले चुनाव के आख़िरी चरण से ठीक पहले का दिन था. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपना अब तक का सबसे महंगा चुनाव प्रचार अभियान चला रही थी. पार्टी ने 600 से ज़्यादा रैलियां कीं, जिनमें से 30 ख़ुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की. 2014 में मिली ज़बरदस्त जीत ने उन्हें स्टार प्रचारकों से भी ऊपर उठा दिया था. सीएनबीसी ने टिप्पणी की, "पहले किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने एक राज्य के चुनाव में इतना प्रचार नहीं किया." मोदी के ख़िलाफ़ कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) का गठबंधन था. लेकिन, कॉन्फ़्रेंस रूम में उपस्थित संपादक अपने ही एग्जिट पोल परिणाम से परेशान थे जो मोदी की ज़बरदस्त हार दिखा रहा था.
कॉन्फ्रेंस रूम में मौजूद एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि कई संपादकों को, ख़ासकर बिहार के अपने रिपोर्टरों के संपर्क में रहने वाले संपादकों को, पोलिंग एजेंसी 'एक्सिस माय इंडिया' के पोल को प्रकाशित करने में कोई समस्या नहीं दिखी. वहां मौजूद एक डिजिटल रणनीतिकार ने कहा कि लगभग हर दूसरा पोल बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी कर रहा था, लेकिन जमीनी रिपोर्ट ने 'एक्सिस' के नतीजों की तस्दीक की. नेटवर्क18 के दो कर्मचारी ने, जिन्होंने पार्टी के उग्र प्रचार अभियान की रिपोर्टिंग की थी, मुझे बताया कि उन्होंने अपने संपादकों को साफ़ शब्दों में बताया था कि गठबंधन ही जीतेगा.
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