इबारत

कर्नाटक के एक वैकल्पिक अख़बार वार्ता भारती की कहानी

वार्ता भारती का पहला प्रिंटिंग प्रेस 2000 में लगाया गया.
वार्ता भारती का पहला प्रिंटिंग प्रेस 2000 में लगाया गया.

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19 मार्च, 2005 को कर्नाटक के उडुपी में हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए. हफ़्ते भर पहले हुई एक भयानक घटना ने इलाके को हिला कर रख दिया था. शहर के पास ही, मवेशी कारोबारी पिता-पुत्र, हजाब्बा और हसनब्बा, को हिंदू युवा सेना की अगुआई में भीड़ ने घेर लिया. भीड़ दोनों को घंटों तक बेरहमी से पीटती रही, उन्हें नंगा किया और आस-पड़ोस में उनकी परेड कराई.

इसके बाद के दिनों में, उडुपी और मंगलुरु में कई विरोध प्रदर्शन हुए. 19 मार्च को उडुपी में हुए प्रदर्शन पर रिपोर्टिंग करते हुए, इलाके के सबसे चर्चित कन्नड़ दैनिक, उदयवाणी, ने एक मुस्लिम प्रदर्शनकारी की फ़ोटो छापी, जिसमें वह चांद सितारे वाला हरा झंडा हाथ में लिए हुए था. इसके साथ एक ज़ोरदार हेडलाइन लगी थी, 'यह पाकिस्तान में नहीं, उडुपी है!' फ़ोटो के नीचे कैप्शन में इसे पाकिस्तानी झंडा बताया गया था और दावा किया गया कि पूरे विरोध प्रदर्शन में 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे सुनाई दे रहे थे. दो अन्य स्थानीय अख़बारों, विजया किराना और शाम के अख़बार करावली आले, ने भी इसी तरह की हेडलाइनों के साथ ख़बरें छापीं, जिनमें उडुपी को मिनी पाकिस्तान बनाने की साज़िश का हवाला दिया गया और कयास लगाया कि कहीं प्रदर्शनकारी पाकिस्तान से मदद की अपील तो नहीं कर रहे थे.

21 मार्च को, एक नए कन्नड़ अख़बार ने अपने पहले पन्ने पर एक ख़बर छापी, जिसमें पाकिस्तानी झंडे और विरोध प्रदर्शन में दिखे झंडे को साथ-साथ लगा कर साफ़ किया गया कि दोनों झंडों में फ़र्क है और प्रदर्शन के दौरान दिखा झंडा एक धार्मिक झंडा है, जो मस्जिदों और दरगाहों पर देखा जाता है. अख़बार में पुलिस सुपरिटेंडेंट का एक बयान भी छपा, जिसमें कहा गया था कि विरोध प्रदर्शन में कोई पाकिस्तानी झंडा नहीं फ़हराया गया और पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगाए गए. इसके ऊपर हेडलाइन थी, 'एक अख़बार की झूठी रिपोर्ट ने बढ़ाया तनाव'. ऐसा पहली बार नहीं था, जब स्थानीय अख़बारों ने कर्नाटक में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाया हो. लेकिन यह पहला मौक़ा था जब दो साल से भी कम समय से चल रहे एक वैकल्पिक अख़बार, वार्ता भारती, ने मुख्यधारा के नैरेटिव को चुनौती देने का दम दिखाया. मंगलुरु में अपने मुख्यालय के एक छोटे से केबिन में बैठे, 'वार्ता भारती' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मोहम्मद मुस्लिम, ने मुझे बताया, 'यह हमारी तरफ़ से पहला फ़ैक्ट-चेक था. इसका इतना बड़ा असर हुआ कि लोग अख़बार की फ़ोटोकॉपी करवा कर बांट रहे थे.'

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