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भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के एशिया कप में पाकिस्तान को हराने के तुरंत बाद, 28 अगस्त को, सैकड़ों की तादाद में लोग गोल्डन माइल नामक लेस्टर शहर के बेलग्रेव उपनगर की एक सड़क पर जश्न मनाने के लिए इकट्ठा हुए. यह सड़क अपने भारतीय रेस्तरां और दुकानों के साथ-साथ भारत के बाहर सबसे बड़े दिवाली समारोह की मेजबानी के लिए भी जानी जाती है. मैच के बाद इस तरह की सभाएं हिंदू-बहुसंख्यक इस उपनगर में असामान्य नहीं है. जून 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान द्वारा भारत को हराने के बाद, दोनों टीमों के समर्थक गोल्डन माइल पर आपस भिड़ गए और पुलिस पर भी बोतलें फेंकीं. दो साल बाद जब भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान को हराया, तो नतीजा शांतिपूर्ण था. लेस्टर मर्करी के अनुसार, "सीटी, कार के हॉर्न और जयकारे की आवाजें" ही सुनाई दे रही थीं.
हालांकि, इस बार करने के लिए बहुत कुछ था. पिछले कुछ महीनों से लेस्टर के दक्षिण एशियाई समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा था. लेस्टर में पली-बढ़ी और फिलहाल चैनल4 में होम अफेयर्स की संवाददाता दर्शना सोनी ने मुझे बताया कि शहर में हिंदू और मुसलमान अलग-अलग मोहल्लों में रहते और शायद ही कभी अंतर्जातीय विवाह करते, फिर भी वे "हमेशा अच्छी तरह से मिलते थे." उन्होंने कहा कि दमन और दीव के हाल के हिंदू आप्रवासियों का- जो केंद्र शासित प्रदेश के औपनिवेशिक इतिहास के कारण पुर्तगाली पासपोर्ट के हकदार हैं और ब्रेक्जिट से कुछ ही समय पहले बड़ी संख्या में लेस्टर चले आए थे- स्थानीय मुसलमानों के साथ अधिक टकराव था. 22 मई को एक मुस्लिम किशोर पर हिंदू पुरुषों के एक समूह ने कथित तौर पर हमला किया था. सोनी ने कहा कि घटना पर पुलिस की धीमी प्रतिक्रिया और इसे हेट क्राइम के रूप में मानने से शुरुआती इनकार ने स्थिति को और खराब कर दिया. "मुस्लिम पुरुषों का रवैया कुछ इस तरह था, 'पुलिस कुछ नहीं कर रही है. हमें अपनी हफाजत खुद करनी होगी.'" (लेस्टरशायर पुलिस के एक प्रवक्ता ने मुझे बताया कि इस घटना की जांच जारी है.) दो दशकों तक ब्रिटेन में दक्षिण एशियाई समुदायों को कवर करने वाले पत्रकार सनी हुंदल ने मुझे बताया कि कई हिंदू बेबुनियाद अफवाहों के बारे में शिकायत करते हैं कि "मुस्लिम गिरोह हमारे कर्मचारियों की पिटाई और हिंदू महिलाओं को शिकार बना रहे हैं."
मैच के बाद सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में भारत समर्थकों को "पाकिस्तान मुर्दाबाद" और क्षेत्र में लड़ाई के नारे लगाते हुए दिखाया गया है. सोनी ने कहा, "हिंदू लड़कों के मस्जिद के पास से गुजरने, देर रात हॉर्न बजाने और लोगों को परेशान करने की खबरें थीं. कुछ लड़के कह रहे थे कि मुस्लिम लड़कों के समूह ने उनका सामना किया, उनकी कारों का पीछा किया, उन्हें गालियां दीं." नारेबाजी को रोकने की कोशिश करने वाले एक सिख व्यक्ति की पिटाई की गई, जो कि एक आपातकालीन कर्मचारी था.
लेस्टरशायर पुलिस ने घोषणा की कि वह "नस्लवादी और नफरती जुबान" को हेट क्राइम के रूप में देख रही है. अगले दो हफ्तों में, अफवाहों और हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच, पुलिस ने स्थानीय धर्म समूहों के साथ बैठकें कीं और शांति की अपील करने में उनका साथ दिया. इसने आपातकालीन स्टॉप-एंड-सर्च उपायों की स्थापना की और 27 लोगों को विभिन्न कथित अपराधों के लिए गिरफ्तार किया, जैसे कि हथियार रखना, मौत की धमकी देना और हिंसक अव्यवस्था पैदा करना.
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