सफ़ेद झूठ

आरएसएस के सच पर पर्दा डालता वॉशिंगटन पोस्ट  

जिम गेराघ्टी ने आरएसएस के 100वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के बाद इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया.
जिम गेराघ्टी ने आरएसएस के 100वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के बाद इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया.

We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing

2 अक्टूबर, 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी स्थापना की 100वीं सालगिरह समारोह में अमेरिकी मीडिया के कम से कम पांच मीडियाकर्मी को अपने मंच पर जगह देकर लामबंदी करने की अपनी क्षमता दिखा दी. इनमें से एक अमेरिकी पत्रकार, वॉशिंगटन पोस्ट के राजनीतिक संवाददाता और स्तंभकार, जिम गेराघ्टी ने 12 दिन बाद एक लेख लिख कर मोहन दास करमचंद गांधी की हत्या के मामले में आरएसएस के झूठों को हवा दी और उसके कलंकित अतीत को साफ़-सुथरा दिखाने की कोशिश की.

गेराघ्टी सहित कुल पांच प्रमुख अमेरिकी मीडियाकर्मी, मेगन मैकार्डल (स्तंभकार, वॉशिंगटन पोस्ट), जेसन विलिक (स्तंभकार, वॉशिंगटन पोस्ट), निकोलस क्लेयरमांट (लाइफ़ एंड आर्ट्स सेक्शन के संपादक, वॉशिंगटन एग्ज़ामिनर मैगज़ीन) और लीना बेल (ओपिनियन सेक्शन की मैनेजिंग एडिटर, वॉल स्ट्रीट जर्नल) को नागपुर में आयोजित शताब्दी समारोह में आरएसएस ने अपने मंच पर बैठाया था. शताब्दी समारोह को कवर कर रहे एक विदेशी संवाददाता ने मुझे बताया, 'मंच पर बैठे सभी लोग बेहद खुश नज़र आ रहे थे. जब उनका नाम पुकारा गया, तो उन्होंने उत्साह के साथ खड़े हो कर अपना परिचय दिया.'

14 अक्टूबर को वॉशिंगटन पोस्ट ने नागपुर में मंच साझा करने वाले जिम गेराघ्टी का आरएसएस पर लेख प्रकाशित किया. लेख में आरएसएस को ठीक वैसा ही दिखाया गया जैसा आरएसएस ख़ुद के बारे में प्रचार करता है. गेराघ्टी ने आरएसएस को अर्द्धसैनिक संगठन कहे जाने को ग़लत बताते हुए कहा, 'मुझे यह थोड़ा अजीब लगता है कि जिस संगठन के सदस्य बंदूकों की बजाए लंबी लाठियों के साथ परेड करते हैं, उसे बार-बार अर्द्धसैनिक संगठन कहा जाता है.'

तो सवाल यह है कि क्या सिर्फ़ इसलिए कि वह खुलेआम बंदूकें नहीं लहराता, आरएसएस को अर्द्धसैनिक संगठन नहीं कहा जा सकता? अर्द्धसैनिक संगठन क्या होता है? क्या इसके लिए हमेशा हथियार लहराना ज़रूरी है या सैना जैसी बाहरी बनावट ही काफ़ी है?

Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute